नई दिल्ली : दो दिन बाद कांग्रेस पार्टी का चिंतन शिविर शुरू होने वाला है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चाहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का सामना करने के लिए कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता आंदोलनात्मक मोड को अपनाएं. राहुल ने यह भी शर्त रखी है कि टिकट उन्हीं को मिलेगा, जिन्होंने सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मुखरता से भागीदारी की हो.
राहुल ने हाल ही में तेलंगाना (किसानों की सभा) और गुजरात (जनजातीय रैली) के दौरे के दौरान अपनी सोच सबके सामने रखी. गुजरात के दाहौद में राहुल ने मंगलवार को कहा, 'मैं आपको अपनी बात बता रहा हूं. अगर आपको टिकट नहीं मिलता है, तो आप मेरे पास मत आना. अगर आपने जनजातीय लोगों के लिए लड़ाई लड़ी है, अगर आपका प्रभाव है वहां पर, तभी आपको टिकट मिलेगा. अन्यथा, आप सीनियर भी हैं, तो भी आपको टिकट नहीं मिलने वाला है.'
उन्होंने सात मई को तेलंगाना के वारंगल में भी लगभग ऐसी ही बात कही थी. राहुल ने रैली के दौरान कहा था कि कार्यकर्ताओं के फीड के आधार पर ही टिकट दिया जाएगा. कांग्रेस ने हाल ही में तेलंगाना में डिजिटल ड्राइव के तहत 40 लाख नए सदस्यों को जोड़ा है. सत्ताधारी टीआरएस का सामना करने के लिए राहुल नई राजनीति को सामने लाने का आश्वासन दे चुके हैं. यहां पर टीआरएस खुद आंध्र प्रदेश के खिलाफ आंदोलन चलाकर अपनी जमीन तैयार की है.
पार्टी के अंदरुनी सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने यह बहुत ही सोच-समझकर फैसला किया है कि फीडबैक के आधार पर टिकट वितरण किया जाएगा. इससे कार्यकर्ताओं का एन्वोल्वमेंट बढ़ेगा और उन्हें भी निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा लेने का न सिर्फ मौका मिलेगा, बल्कि उन्हें भी अच्छा महसूस होगा.
सूत्रों ने कहा, 'हमारे कार्यकर्ता हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं. वे राज्यों में राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं. लेकिन बात जब टिकट की आती है, तो नेताओं का दिल्ली कनेक्शन महत्वपूर्ण हो जाता है. परिणामतः जो योग्य उम्मीदवार हैं, वे पीछे रह जाते हैं. इसके बाद कार्यकर्ताओं के बीच निराशा घर कर जाती है, मतभेद सामने आने लगते हैं.'
2017 गुजरात विधानसभा चुनाव की समीक्षा में पाया गया कि पार्टी कुछ सीटों के अंतर से चुनाव हार गई, क्योंकि उन सीटों पर टिकट बंटवारा सही नहीं था. हाल ही में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी राज्य के कुछ नेताओं ने प्रबंधकों द्वारा टिकट बेचने के आरोप लगाए हैं.
पार्टी के रणनीतिकारों ने तर्क दिया है कि आंदोलन में भाग लेने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राहुल का नया दृष्टिकोण सराहनीय है. यह पार्टी को पुनर्जीवित करने के उनके प्रयासों से जुड़ा है.
एआईसीसी के वरिष्ठ नेता ने बताया, 'अधिकांश राज्यों में हम विपक्ष में हैं. इसलिए हमें गलियों में लोगों के लिए संघर्ष करते हुए दिखना चाहिए. हमें राज्य सरकारों पर लगातार निशाना साधना चाहिए. इससे लंबे समय में मदद मिलती है. ' इसके पहले भी राहुल ने पार्टी कार्यकर्ताओं की तुलना शेरों से की और उन्हें एकजुट रहने का मंत्र दिया. उन्होंने गुजरात में कार्यकर्ताओं से कहा, 'अगर आप बीजेपी को हराने का मन बना लें, तो आप कर सकते हैं.'
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