नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय डेटा के दुरुपयोग, रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) और दवाओं के मूल्य निर्धारण जैसी कुछ चिंताओं के कारण डिजिटल फार्मेसियों को बंद करने पर विचार कर रहा है. फिक्की की ओर से इस मुद्दे पर स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पत्र लिखकर पर चिंता जताई गई है. इससे जुड़े समूह जिसमें उद्योग जगत के बड़े लोग, प्रतिनिधियों, जानकारों ने इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों के समाधान को लेकर रास्ता निकाल रहे हैं. फिक्की की ओर से ई-फार्मेसी कोड ऑफ कंडक्ट विकसित करने में भी मदद की है. संचालन के उच्च मानकों को सुनिश्चित करने में भी सहायता की गई. हाल ही में, फिक्की ने कोविड-19 फ्रंटलाइन फाइटिंग द ऑड्स शीर्षक से एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया. इसमें राष्ट्र की सेवा, 'महामारी के दौरान फार्मासिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया है.
देश को भविष्य के लिए तैयार डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है, जैसा कि कोविड-19 महामारी में उजागर किया गया. सस्ती दरों पर और व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य कवरेज एक मजबूत डिजिटल नींव प्रदान करती हैं. इसमें फार्मास्यूटिकल आपूर्ति एक महत्वपूर्ण घटक है. पहुंच और अनुपालन में सुधार करके, ई-फार्मेसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने में बेहतरीन साबित हुई हैं. महामारी के दौरान यह देखा गया था कि इसे कार्य करने की अनुमति दी गई थी. प्रधानमंत्री ने इस व्यवस्था को मान्यता दी और इस दौरान की गई सेवा को लेकर उनकी प्रशंसा की.
फिक्की की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया, 'इस साल जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के लिए डिजिटल स्वास्थ्य एक प्रमुख क्षेत्र है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में डिजिटल को बढ़ावा देने के लिए दवाओं तक पहुंच की आवश्यकता है. ई-फार्मेसी की दवाओं की पहुंच खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाने को लेकर भंडारण और एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला बनाने की जरूरत है. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं का विस्तार करके, ई-फार्मेसी फार्मास्यूटिकल्स तक पहुंच में काफी वृद्धि कर सकती हैं. पत्र में कहा गया कि किसी भी नियामक अस्पष्टता को खत्म करने और सभी मौजूदा नियमों के साथ तालमेल बिठाने के लिए, जिसके साथ ई-फार्मेसी पहले से ही अनुपालन कर रही है, हम ड्राफ्ट ई-फार्मेसी नियम और नई की शीघ्र अधिसूचना के लिए भी अनुरोध करते हैं और आपका समर्थन मांगते हैं.
(एएनआई)