नई दिल्ली: सरकार ने एक प्रमुख थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) का फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) लाइसेंस निलंबित कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मामले की पुष्टि आधिकारिक सूत्रों ने की है. सूत्रों ने बताया कि सितंबर 2022 में सीपीआर और ऑक्सफैम इंडिया पर आयकर सर्वेक्षणों के बाद सीपीआर का लाइसेंस जांच के दायरे में था. ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए लाइसेंस जनवरी 2022 में रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने गृह मंत्रालय के साथ एक संशोधन याचिका भी दायर की थी.
इस मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में एफसीआरए नियमों का पालन नहीं करने पर सीपीआर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था और सोसायटी ने नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था. हालांकि, उनके एफसीआरए खाते में मिले धन का इस्तेमाल करने के लिए अब सीपीआर के तौर-तरीकों पर काम किया जा रहा है.
एक सीपीआर फाइलिंग से यह जानकारी सामने आई है कि अक्टूबर 2022 से दिसंबर 2022 के लिए उनके खाते में प्राप्त एफसीआरए 10.1 करोड़ रुपये था, जिसमें बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय, विश्व संसाधन संस्थान और ड्यूक विश्वविद्यालय से दान लिया गया था. इसके अलावा यह भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से अनुदान भी प्राप्त करता है और विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (DST) से मान्यता प्राप्त संस्थान है.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सीपीआर पर आयकर खोजों के निष्कर्षों को इसके एफसीआरए लाइसेंस के निलंबन के मुख्य कारणों में से एक के रूप में दर्शाया गया था. जानकारी के अनुसार मंत्रालय ने थिंक टैंक से एफसीआरए-आधारित फंड के संबंध में स्पष्टीकरण और दस्तावेज मांगे. सीपीआर के अधिकारियों ने आगे बताया कि उनका एफसीआरए आवेदन अभी भी नवीनीकरण के अधीन है और उन्हें लाइसेंस के निलंबन के बारे में जानकारी नहीं है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी से बात करते हुए बताया कि कई एनजीओ के रिव्यू और रिन्यूअल एप्लिकेशन अभी भी प्रोसेस में हैं और पिछले छह महीनों में 200 से ज्यादा एनजीओ के लाइसेंस रद्द या लैप्स किए गए हैं. इस साल की शुरुआत में, 6,000 से अधिक एनजीओ, जिनके लाइसेंस वापस ले लिए गए थे, उन्होंने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, उच्च न्यायालय ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया.