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Dr. M.S. Swaminathan : हरित क्रांति के जनक डॉ. एम एस स्वामीनाथन के बारे में जानें ये खास बातें

एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का पिता माना जाता है क्योंकि उन्होंने किसानों को धान की फसल के लिए जागरूक किया था. बता दें, हरित क्रांति ने भारत और पाकिस्तान को सबसे बड़ी समस्या से बचाया था, हरित क्रांति नॉर्मन बोरलॉग की पहल से प्रेरित थी.

Swaminathan
स्वामीनाथन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 28, 2023, 2:19 PM IST

Updated : Sep 28, 2023, 3:49 PM IST

हैदराबाद: भारतीय कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन हरित क्रांति का आज 98 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने चेन्नई में आखिरी सांस ली. वर्ष 1970 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नवाजा गया था. डॉ एम एस स्वामीनाथन को हरित क्रांति के पिता के रूप में भी जाना जाता है. हरित क्रांति का आंदोलन एक बड़ी सफलता थी और इसने देश की स्थिति पूरी तरह से बदल दिया था. स्वामीनाथन के एक प्रयास ने 1960 के दशक में भारत और पाकिस्तान को अकाल जैसी स्थितियों से बचाया था. 7 अगस्त 1925 को जन्मे एम एस स्वामीनाथन ने को पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है.

तो चलिए आज आपको स्वामीनाथन के बारे में विस्तार से बताते है....

स्वामीनाथन का जन्म : एम एस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 में तमिलनाडु कुम्भकोणम जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम मंकोम्बो सम्बासीवन स्वामीनाथन है. स्वामीनाथन के पिता एमके संबशिवन एक सर्जन और महात्मा गांधी के अनुयायी थे. उन्होंने स्वदेशी आंदोलन और तमिलनाडु में मंदिर प्रवेश आंदोलन में भाग लिया था. इससे छोटी उम्र में ही स्वामीनाथन के मन में सेवा भाव का विचार आ गया था.

स्वामीनाथन की शिक्षा : तमिलनाडु के कुम्भकोणम जिले के एक स्थानीय स्कूल से स्वामीनाथन ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास की थी, उन्होंने तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से प्राणीशास्त्र में स्नातक पूरा किया. जिसके बाद वह पादप प्रजनन और आनुवंशिकी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में दाखिला लिया. यहां पीजी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की. इधर, आलु की आनुवंशिकी पर स्वामीनाथन ने अपना शोध जारी रखते हुए वे नीदरलैंड के वैगनिंगेन कृषि विश्वविद्यालय चले गए. इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर से पीएचडी की डिग्री हासिल की. स्वामीनाथन विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में एक शोधकर्ता के रूप में काम करने लगे, जिसके बाद वे भारत लौट आए.

काम, काज और भुमिका : स्वामीनाथन ने भारतीय वन सर्वेक्षण के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी, 1979 में भारत सरकार में उन्हें कृषि मंत्रालय का प्रधान सचिव बनाया गया. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, आपको बता दें, हरित क्रांति शब्द का प्रयोग सबसे पहले विलियम गौड ने किया था और पूरे विश्व में उन्हें लोग हरित क्रांति के जनक मानते है लेकिन भारत में एमएस स्वामीनाथन की मदद से हरित क्रांति की शुरुआत इसलिए स्वामीनाथन को हरित क्रांति (भारत) के जनक के रूप में जाना जाता है |

1981 से 1985 तक स्वामीनाथन खाद्य और कृषि संगठन के स्वतंत्र अध्यक्ष थे, 1984 से 1990 तक, वह IUCN के अध्यक्ष थे, 1996 तक स्वामीनाथन वल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया के अध्यक्ष थे, वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. उन्होंने कई बार कृषि संबंधी मुद्दों पर भारत सरकार को सलाह भी दी थी. स्वामीनाथन ने बायोस्फीयर रिजर्व के ट्रस्टीशिप प्रबंधन की अवधारणा को शुरू किया था, उन्होंने मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व ट्रस्ट को इम्पलीमेंट किया था, अपने जीवनकाल में एमएस स्वामीनाथन ने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान जीते हैं.

हैदराबाद: भारतीय कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन हरित क्रांति का आज 98 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने चेन्नई में आखिरी सांस ली. वर्ष 1970 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार नवाजा गया था. डॉ एम एस स्वामीनाथन को हरित क्रांति के पिता के रूप में भी जाना जाता है. हरित क्रांति का आंदोलन एक बड़ी सफलता थी और इसने देश की स्थिति पूरी तरह से बदल दिया था. स्वामीनाथन के एक प्रयास ने 1960 के दशक में भारत और पाकिस्तान को अकाल जैसी स्थितियों से बचाया था. 7 अगस्त 1925 को जन्मे एम एस स्वामीनाथन ने को पद्म भूषण से भी नवाजा जा चुका है.

तो चलिए आज आपको स्वामीनाथन के बारे में विस्तार से बताते है....

स्वामीनाथन का जन्म : एम एस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 में तमिलनाडु कुम्भकोणम जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम मंकोम्बो सम्बासीवन स्वामीनाथन है. स्वामीनाथन के पिता एमके संबशिवन एक सर्जन और महात्मा गांधी के अनुयायी थे. उन्होंने स्वदेशी आंदोलन और तमिलनाडु में मंदिर प्रवेश आंदोलन में भाग लिया था. इससे छोटी उम्र में ही स्वामीनाथन के मन में सेवा भाव का विचार आ गया था.

स्वामीनाथन की शिक्षा : तमिलनाडु के कुम्भकोणम जिले के एक स्थानीय स्कूल से स्वामीनाथन ने मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास की थी, उन्होंने तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से प्राणीशास्त्र में स्नातक पूरा किया. जिसके बाद वह पादप प्रजनन और आनुवंशिकी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में दाखिला लिया. यहां पीजी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की. इधर, आलु की आनुवंशिकी पर स्वामीनाथन ने अपना शोध जारी रखते हुए वे नीदरलैंड के वैगनिंगेन कृषि विश्वविद्यालय चले गए. इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर से पीएचडी की डिग्री हासिल की. स्वामीनाथन विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में एक शोधकर्ता के रूप में काम करने लगे, जिसके बाद वे भारत लौट आए.

काम, काज और भुमिका : स्वामीनाथन ने भारतीय वन सर्वेक्षण के परिवर्तन में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी, 1979 में भारत सरकार में उन्हें कृषि मंत्रालय का प्रधान सचिव बनाया गया. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, आपको बता दें, हरित क्रांति शब्द का प्रयोग सबसे पहले विलियम गौड ने किया था और पूरे विश्व में उन्हें लोग हरित क्रांति के जनक मानते है लेकिन भारत में एमएस स्वामीनाथन की मदद से हरित क्रांति की शुरुआत इसलिए स्वामीनाथन को हरित क्रांति (भारत) के जनक के रूप में जाना जाता है |

1981 से 1985 तक स्वामीनाथन खाद्य और कृषि संगठन के स्वतंत्र अध्यक्ष थे, 1984 से 1990 तक, वह IUCN के अध्यक्ष थे, 1996 तक स्वामीनाथन वल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इंडिया के अध्यक्ष थे, वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. उन्होंने कई बार कृषि संबंधी मुद्दों पर भारत सरकार को सलाह भी दी थी. स्वामीनाथन ने बायोस्फीयर रिजर्व के ट्रस्टीशिप प्रबंधन की अवधारणा को शुरू किया था, उन्होंने मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व ट्रस्ट को इम्पलीमेंट किया था, अपने जीवनकाल में एमएस स्वामीनाथन ने कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान जीते हैं.

Last Updated : Sep 28, 2023, 3:49 PM IST
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