अलवर : छोड़ेंगे न हम तेरा साथ ए साथी मरते दम तक. यह गीत अमर प्रेम कहानी बन गई. पूरी जिंदगी एक साथ जिए, दुनिया भी छोड़ी तो एक साथ. एक ही दिन में पति-पत्नी दोनों ने 45 मिनट के अंतराल में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. बेटियां मां की चिता को आग देने ही वाली थीं कि उन्हें पिता के मौत की सूचना मिली. इस खबर ने बेटियों के साथ वहां मौजूद लोगों को बेचैन कर दिया. बेटियों काे मां-पिता को मुखाग्नि देते हुए देख सबकी आंखें भर आईं.
उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी 75 वर्षीय राजेन्द्र कुमार को कई दिन पहले अलवर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिनको लीवर की बीमारी थी. इसी बीच उनकी 70 वर्षीय पत्नी सुमन की भी तबीयत बिगड़ गई. इनकी दो बेटियां व एक बेटा है, जो अमेरिका में नौकरी करता है. पिता की तबीयत खराब होने पर बेटियां पिता को दिल्ली लेकर गईं. वहां बेड नहीं मिलने के करण पिता को अलवर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया. कुछ दिन बाद मां की तबीयत खराब हुई. उनको भी अलवर के अस्पताल में भर्ती कराया. कई दिन से उनका अलवर में इलाज चल रहा था. दोनों बेटियां ही देखरेख में लगी थी.
मंगलवार को दोपहर एक बजे उनकी मां की मौत हो गई. मंगलवार दोपहर बाद करीब दो बजे जब बेटी सगुन अपनी मां की चिता को अग्नि देने की तैयारी में थी, उसी समय अस्पताल से उनके पास फोन आया कि पिता का भी निधन हो गया है.
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कुछ देर बाद एंबुलेंस पिता का शव लेकर पहुंची. गैस मशीन से शव दाह गृह शुरू हुआ था. फिर दूसरी बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी. गैस शव दाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया. यह सब देखकर श्मशान घाट पर कोरोना के मृतकों का अंतिम संस्कार कराने वाली नगर परिषद की टीम के सदस्यों व वहां मौजूद लोगों की आंखों में भी आंसू नजर आए.
बेटियों ने रोते हुए कहा कि उनका भाई अमेरिका में नौकरी करता है. कोरोना महामारी के कारण माता-पिता के बीमार होने पर भी वो नहीं आ सका. फ्लाइट बंद होने के कारण दिक्कत हुई. बेटी सुगन व दूसरी बहन ने ही माता-पिता को संभाला है. मंगलवार को माता-पिता की मौत हो गई. ऐसे में दोनों बेटियों ने बेटे का फर्ज पूरा किया.