जबलपुर: हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि अपनी मर्जी से प्रेम विवाह करने से बाप-बेटी का रिश्ता खत्म नहीं होता है. शादी के बाद भी बेटी के लिए वह पिता ही रहेगा. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में न्यायालय के अधिकार सीमित रहते हैं. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एमएस भट्टी ने बालिग होने के कारण न्यायालय में उपस्थित युवती को अपनी मर्जी के अनुसार रहने की स्वतंत्रता प्रदान की है.
युवती को नारी निकेतन में रखा
होशंगाबाद निवासी इटारसी निवासी फैसल खान की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि उसकी प्रेमिका जो हिन्दू है, उसे नारी निकेतन में रखा गया है. वह एक-दूसरे से प्रेम करते हैं. युवती की उम्र 19 वर्ष है. वह पूरी तरह से बालिग है. जनवरी के पहले सप्ताह में वह अपना घर छोड़कर उसके साथ रहने लगी थी. लापता होने की रिपोर्ट युवती के पिता ने पुलिस में दर्ज करवाई थी, जिसके बाद दोनों ने थाने में उपस्थित होकर बताया था कि वे स्वेच्छा से एक दूसरे के साथ रहना चाहते हैं.
युवती ने की पति प्रेमी के साथ रहने की इच्छा
पुलिस में बयान दर्ज करवाने के बाद वह भोपाल आकर रहने लगे थी. इटारसी पुलिस ने फरवरी माह के पहले सप्ताह में एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज करवाने के लिए उन्हें बुलाया था. एसडीएम के समक्ष बयान दर्ज करवाने के बाद पुलिस ने बिना किसी आदेश के युवती को नारी निकेतन भेज दिया था. इसके खिलाफ उक्त बंदी प्रत्यक्षिकरण याचिका दायर की गयी है. याचिका में सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित युवती से कहा था कि वह याचिकाकर्ता के साथ रहना चाहती है. (habeas corpus in mp high court)
याचिकाकर्ता ने शामिल किया हलफनामा
हाईकोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता ने अपने शिक्षा, आय तथा धर्म के संबंध में हलफनामा पेश किया था. हलफनामे में कहा गया था कि दोनों अपने धर्म को मानने में स्वतंत्र हैं. वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करेंगे. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के हलफनामा की प्रति युवती को फैक्स व व्हाट्सएप के माध्यम से भेजने के निर्देश जारी किये हैं. युगलपीठ ने 24 घंटों में युवती को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश जारी किये हैं.
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हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युवती को युगलपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया. इसके अलावा युवती के पिता तथा भाई और याचिकाकर्ता भी युगलपीठ के समक्ष उपस्थित हुए. युगलपीठ ने का पक्ष सुनने के बाद निर्देश जारी किये. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि युवती की उम्र महज 19 साल है. उसके पिता को उसके शैक्षणिक करियर की चिंता थी.
युवती को यह संशय था कि याचिकाकर्ता बाद में दूसरी शादी नहीं कर ले, इसलिए उससे हलफनामा पेश करने आदेशित किया गया था. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि विवाह के बाद भी पिता को बेटी की सुरक्षा का अधिकार है. न्यायालय को उम्मीद है कि शादी के बाद भी युवती के संपर्क में रहेंगे और भावनात्मक प्यार प्रदान करेंगे. इसके अलावा वह वित्तिय सहयोग भी प्रदान करेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मोहम्मद रिजवान खान ने पैरवी की.