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किसान आंदोलन ने फल विक्रेता की बदली किस्मत

राजधानी की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन ने महामारी के बीच घाटे में चल रहे एक फल विक्रेता के लिए उम्मीद की किरण ला दी है. दंपती अब किसानों द्वारा खाली किए गए खाने के डिब्बों को इकट्ठा करते हैं. इससे उनको 200 रुपये से लेकर 500 रुपये की आमदनी होती है, जानें कैसे...

new hope for fruit seller
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Published : Dec 5, 2020, 10:55 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली-उत्तर प्रदेश गाजीपुर सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन ने कोविड -19 महामारी के बीच घाटे में चल रहे एक फल विक्रेता के परिवार के लिए उम्मीद की किरण ला दी है. कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, अकरम और उनकी पत्नी तबस्सुम को अपने व्यवसाय में नुकसान उठाना पड़ रहा था और उनकी दैनिक कमाई 100 रुपये से भी कम हो गई थी.

गाजीपुर सीमा पर मैक्स अस्पताल के पास 'ठेला' पर फल बेचने वाले दंपती ने अब खाली खाद्य डिब्बों को इकट्ठा करके कमाई का एक नया जरिया खोज लिया है.

दंपती अब किसानों द्वारा खाली किए गए खाने के डिब्बों को इकट्ठा करते हैं और प्रतिदिन 200 रुपये से लेकर 500 रुपये तक में इन्हें स्थानीय कचरा डीलर को बेच देते हैं.

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आंदोलन ने बदली किस्मत

असलम ने कहा, 'हम उन डिब्बों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें स्थानीय कचरा डीलर को बेचते हैं, डीलर हमें 200 से 500 रुपये के बीच भुगतान करता है.'

पढ़ें-किसान आंदोलन : आज भी नहीं बनी बात, अब 9 दिसंबर को फिर मिलेंगे

उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में उनके पास फल खरीदने और अस्पताल के पास अपने फल की दुकान के कारोबार को फिर से शुरू करने के लिए पर्याप्त पैसे होंगे.

असलम ने कहा, 'कम से कम हम इन डिब्बों को बेचकर कुछ कमा रहे हैं.'

तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के हजारों किसान पिछले 10 दिनों से दिल्ली-यूपी गाजीपुर सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं. किसानों को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और कई अन्य गैर-लाभकारी संगठनों से पैक्ड फूड पैकेट्स मिलते रहे हैं.

शनिवार को, गुरुद्वारा बंगला साहिब से कई भोजन से भरे वाहन पहुंचे और गाजीपुर सीमा पर सैकड़ों किसानों को भोजन परोसा गया.

गाजीपुर में भोजन से लदे वाहन को लाने वाले बलविंदर सिंह ने बताया, 'हम पिछले 10 दिनों से भोजन ला रहे हैं और हम यहां के सभी किसानों की सेवा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.'

किसानों की भलाई के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पास विरोध स्थल पर डॉक्टरों की एक टीम भी है.

नई दिल्ली : दिल्ली-उत्तर प्रदेश गाजीपुर सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन ने कोविड -19 महामारी के बीच घाटे में चल रहे एक फल विक्रेता के परिवार के लिए उम्मीद की किरण ला दी है. कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से, अकरम और उनकी पत्नी तबस्सुम को अपने व्यवसाय में नुकसान उठाना पड़ रहा था और उनकी दैनिक कमाई 100 रुपये से भी कम हो गई थी.

गाजीपुर सीमा पर मैक्स अस्पताल के पास 'ठेला' पर फल बेचने वाले दंपती ने अब खाली खाद्य डिब्बों को इकट्ठा करके कमाई का एक नया जरिया खोज लिया है.

दंपती अब किसानों द्वारा खाली किए गए खाने के डिब्बों को इकट्ठा करते हैं और प्रतिदिन 200 रुपये से लेकर 500 रुपये तक में इन्हें स्थानीय कचरा डीलर को बेच देते हैं.

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आंदोलन ने बदली किस्मत

असलम ने कहा, 'हम उन डिब्बों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें स्थानीय कचरा डीलर को बेचते हैं, डीलर हमें 200 से 500 रुपये के बीच भुगतान करता है.'

पढ़ें-किसान आंदोलन : आज भी नहीं बनी बात, अब 9 दिसंबर को फिर मिलेंगे

उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में उनके पास फल खरीदने और अस्पताल के पास अपने फल की दुकान के कारोबार को फिर से शुरू करने के लिए पर्याप्त पैसे होंगे.

असलम ने कहा, 'कम से कम हम इन डिब्बों को बेचकर कुछ कमा रहे हैं.'

तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के हजारों किसान पिछले 10 दिनों से दिल्ली-यूपी गाजीपुर सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं. किसानों को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और कई अन्य गैर-लाभकारी संगठनों से पैक्ड फूड पैकेट्स मिलते रहे हैं.

शनिवार को, गुरुद्वारा बंगला साहिब से कई भोजन से भरे वाहन पहुंचे और गाजीपुर सीमा पर सैकड़ों किसानों को भोजन परोसा गया.

गाजीपुर में भोजन से लदे वाहन को लाने वाले बलविंदर सिंह ने बताया, 'हम पिछले 10 दिनों से भोजन ला रहे हैं और हम यहां के सभी किसानों की सेवा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.'

किसानों की भलाई के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पास विरोध स्थल पर डॉक्टरों की एक टीम भी है.

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