नई दिल्ली : केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 40वां दिन है. इन सबके बीच सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की अहम वार्ता आज होने वाली है. उससे एक दिन पहले रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक की और इस वर्तमान संकट के यथाशीघ्र समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है. एक महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों और सरकार के बीच छह बार वार्ता हो चुकी है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार ने अगर मांगे नहीं मानी तो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालेगें. किसान और सरकार के बीच अगले दौर की वार्ता चार जनवरी यानी की आज होनी है.
सूत्रों के अनुसार तोमर ने सिंह के साथ इस संकट के समाधान के लिए बीच का रास्ता ढूंढने के लिए सभी संभावित विकल्पों पर चर्चा की.
पिछली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रहे राजनाथ सिंह एक अहम संकटमोचक के रूप में उभरे हैं और वह इस मुद्दे पर अधिकतर पर्दे के पीछे से काम कर रहे हैं.
पिछले 39 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर ठिठुरती ठंड और अब बारिश के बाद भी टिके प्रदर्शनकारी किसानों ने धमकी दी है कि यदि तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी स्वरूप प्रदान करने की उनकी दो बड़ी मांगें सरकार चार जनवरी की बैठक में नहीं मानती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे.
शनिवार रात से वर्षा होने से प्रदर्शन स्थलों पर पानी जमा हो गया है लेकिन किसान संगठनों ने कहा है, जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जाती है तब तक हम यहां से नहीं हटेंगे.
पांच दौर की वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में सरकार और 40 किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि एवं पराली जलाने पर जुर्माने पर प्रदर्शनकारी किसानों की चिंताओं के समाधान पर बात बनी थी. लेकिन तीन कृषि कानूनों के निरसन एवं एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के विषय पर दोनों पक्षों में गतिरोध कायम है.
एक जनवरी को तोमर ने कहा था कि सरकार चार जनवरी को किसान संगठनों के साथ अगले दौर की बैठक में सकारात्मक नतीजे आने को लेकर आशान्वित है लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया कि क्या सातवां दौर वार्ता का आखिरी दौर होगा.
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें उम्मीद है कि चार जनवरी की बैठक आखिरी दौर होगा, तो उन्होंने कहा,मैं ऐसा पक्के तौर पर नहीं कह सकता. मै कोई ज्योतिषी नहीं हूं. मैं आशान्वित हूं कि (बैठक में) जो भी निर्णय होगा, वह देश और किसानों के हित में होगा.
हरियाणा पुलिस ने किसान समूहों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया
हरियाणा पुलिस ने दिल्ली की तरफ जा रहे किसानों के एक समूह पर रेवाड़ी जिले के मसानी बांध के पास रविवार की शाम को आंसू गैस के गोले छोड़े.
किसानों ने बुधला सांगवारी गांव के पास पहले पुलिस बैरीकेड तोड़ डाले और फिर शाम में वे दिल्ली की तरफ बढ़ने लगे.
पुलिस ने बताया कि वे पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-जयपुर राजमार्ग के सर्विस लेन पर डेरा डाले हुए हैं.
किसानों का समूह जब मसानी बांध पर पहुंचा तो पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. बांध पर पुलिस ने बैरीकेड लगा रखे थे.
रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल ने फोन पर बताया, हमने उन्हें (किसानों को) मसानी पर रोक दिया है.
कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों में से तीन की मौत
केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब डेढ़ महीने से प्रदर्शन कर रहे किसानों में से तीन लोगों की मौत हो गई. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बॉर्डरों पर जमे किसानों में से टिकरी बॉर्डर पर एक जबकि कुंडली बॉर्डर पर दो किसानों की कथित रूप से ठंड लगने से मौत हो गई.
कुंडली के थाना प्रभारी रविकुमार ने बताया कि कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आये दो पंजाब निवासियों बलबीर सिंह गोहाना और निर्भय सिंह की मौत हो गई है. उन्होंने बताया कि युधिष्ठर सिंह नामक एक किसान को दिल का दौरान पड़ने के बाद नाजुक हालत में पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया है.
पुलिस को आशंका है कि किसानों की मौत सर्दी लगने से हृदयाघात के कारण हुई है. मौत के वास्तविक कारणों की जानकारी पोस्टमार्टम के बाद हो हो सकेगी.
वहीं टिकरी बॉर्डर पर जमे किसानों में से एक जींद निवासी जगबीर (66) की शनिवार की रात मौत हो गई. मौत का कारण ठंड से ह्रदय गति रूकना बताया गया है.
बता दें कि पिछले सप्ताह प्रदर्शनकारी किसानों ने अल्टीमेटम जारी किया था कि यदि अगली दौर की वार्ता में उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो वे गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के साथ प्रवेश करेंगे.