कानपुर देहात: जमीन पर जबरन कब्जा (forcible occupation of land kanpur dehat ) कर खनन से तंग आकर एक किसान ने जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. आरोप है कि नगर पंचायत रसूलाबाद के अधिकारी और नगर पंचायत चेयरमैन प्रतिनिधि किसान के बाग में लंबे समय से कब्जा कर खनन करवा रहे थे. इसकी शिकायत उसने तहसील से लेकर जिला स्तर पर की थी, लेकिन कोई सुनवाई न होने से किसान ने उसी बाग में जाकर आत्महत्या कर ली.
मामले में समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर सवाल करते हुए लिखा है कि आखिरकार कब तक ऐसे ही मरते रहेंगे अन्नदाता. बता दें कि मामला कानपुर देहात के रसूलाबाद थाना क्षेत्र के सुभाष नगर वार्ड नं. 7 का है. यहां के निवासी इंद्रपाल सिंह भदौरिया ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. मौके पर पहुंचे परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके बाग में नगर पंचायत के अधिकारियों व नगर पंचायत प्रतिनिधि ने मिलकर जबरन मिट्टी निकलवाकर नगर पंचायत की जमीन पर डलवा रहे थे. कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इससे थक हारकर किसान ने जहर खाकर अपनी जान दे दी. यह भी कहा जा रहा है कि मृतक इंद्रपाल ने मरने से पहले दो सुसाइट नोट लिखे. एक थाने के लिए और एक उपजिलाधिकारी के लिए. सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरी जमीन पर नगर पंचायत ने जबरन कब्जा कर लिया है, जबकि उसके सारे पेपर मेरे पास हैं. इसके बाद मेरे परिवार को परेशान न किया जाए.
बताया जा रहा है कि घटना स्थल पर पहुंचे परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस को मामले की सूचना दी. कई घंटों तक जब पुलिस व प्रशासन से कोई आश्वासन नहीं मिला तो ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए रसूलाबाद-झींझक मुख्य मार्ग जाम कर दिया. वहीं, पुलिस का कहना है कि तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है. जांच कर मामले में कार्रवाई की जाएगी. तहरीर के आधार पर दिनेश शुक्ला अधिशासी अधिकारी, अमित कुमार वरिष्ठ लिपिक, चेयरमैन राजधानी, चेयरमैन प्रतिनिधि अकील अहमद, मोहिन व आनंद खरे समेत कुल 6 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके साथ ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
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इधर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट कर मामले पर सवाल उठाया है. अखिलेश यादव ने अपने शोसल एकाउंट पर ट्वीट कर लिखा है कि नगर पंचायत की तरफ से खेत खोदने के विरोध में कानपुर देहात के सुभाषनगर में एक किसान द्वारा नगर पंचायत के खिलाफ सुसाइड नोट लिखकर, जहर खाकर जान देने की खबर बेहद दुखदायी है. पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवजा व न्याय मिले. भाजपा सरकार में लखीमपुर के बाद अब कानपुर..ये सिलसिला कब रुकेगा?