पटना : जिंदा रहते समय दवाओं की कालाबाजारी ने लूटा. मर गए तो अंतिम संस्कार के लिए तीन गुनी कीमत चुकानी पड़ रही है. यह स्थिति कोरोना महामारी के चलते लोगों को देखनी पड़ रही है. ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने राजधानी के बांस घाट का जायजा लिया तो पता चला कि कफन से लेकर चिता सजाने की लकड़ी तक के लिए परिजनों को दो से चार गुना अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं.
राजधानी पटना के बांस घाट स्थित श्मशान में पहले रोज 20-25 शव आते थे. इन दिनों 80-100 शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जा रहे हैं. शव अधिक आने के चलते यहां अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाले सामान की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हुई है. नगर निगम ने कोरोना संक्रमित के अंतिम संस्कार के लिए रेट फिक्स कर दिया है. इसके बावजूद यहां मनमाना पैसा वसूला जा रहा है.
महंगा हुआ अंतिम संस्कार
पहले 10-11 हजार में अंतिम संस्कार हो जाता था. अब कोरोना संक्रमितों के परिजनों को 20-25 हजार चुकाने पड़ रहे हैं. डोम राजा, पंडित और हजाम भी अधिक पैसे वसूल रहे हैं. कोरोना से मरने वालों के पार्थिव शरीर को संक्रमण के भय से परिवार के सदस्य छूना नहीं चाह रहे हैं. इसका फायदा उठाते हुए घाटों पर अधिक पैसे वसूले जा रहे हैं. परिजनों द्वारा ज्यादा से ज्यादा मोलभाव करने पर 1-2 हजार की छूट मिल रही है.
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मशीन से कम होता है खर्च
शव को लकड़ी से जलाने की अपेक्षा क्रिमेशन मशीन से अंतिम संस्कार करने पर कम खर्च होता है. मशीन से अंतिम संस्कार करने पर परिजनों को करीब 7 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं. बांसघाट में 3 मशीनें लगी हैं. लेकिन ज्यादातर समय इनके खराब रहने के चलते लोगों को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता है.