पटना : विश्व परिवार दिवस पर बोधगया का एक परिवार चर्चा में है. इनके परिवार में एक को दर्द हुआ तो पूरे परिवार को इसका एहसास होता है. इसी परिवार परंपरा को जिंदा रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व परिवार दिवस मनाने का फैसला किया था. आज पूरे देश में विश्व परिवार दिवस मनाया जा रहा है.
परिवार को बचाने की जिम्मेवारी
इस कोरोना काल में परिवार की अहमियत सबको पता है जो, परिवार से दूर है उनके पास जाने की बेताबी है. जो पास है उन्हें पूरे परिवार को बचाने की जिम्मेवारी है. गया के बोधगया में एक ऐसा परिवार है, जो कभी नहीं बिखरा है. इस आधुनिक युग में डेढ़ एकड़ में मात्र एक किचन है और 50 कमरे हैं. इस परिवार को कल्याण परिवार कहा जाता है.
सभी का अलग-अलग कमरा
इस परिवार के अधिकांश लोग समाजसेवा, राजनीतिक दल और व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. कल्याण परिवार के सदस्य विवेक कल्याण बताते हैं कि मेरे और मेरे चाचा जी का परिवार एक साथ रहता है. हम लोग 60 लोग एक साथ रहते हैं. इस घर में नौ भाई हैं. उनका पूरा परिवार साथ रहता है. हमलोग साथ में भोजन करते हैं. हर दिन शाम में सभी लोग कोई न कोई एक खेल जरूर खेलते हैं. घर में सभी का अलग-अलग कमरा है, लेकिन किचन एक है.
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मेरे पिता संयुक्त परिवार में विश्वास रखते हैं. इसलिए आज तक घर का बंटवारा नहीं हुआ है. पिता के विचारों को अब हमलोग साथ लेकर चल रहे हैं. साथ रहने में थोड़ी दिक्कतें है. लेकिन फायदा उसे 100 गुना अधिक है.
अंतरराष्ट्रीय वर्ष की घोषणा
बता दें कि हमारे जीवन में परिवार का काफी महत्व होता है और इसी को बताने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 दिसंबर 1989 के 44/82 के प्रस्ताव में परिवारों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष की घोषणा की. इसके बाद साल 1993 में महासभा द्वारा एक संकल्प में हर साल विश्व परिवार दिवस को 15 मई को मनाने का फैसला किया गया.