धारवाड़ : 15 अगस्त 1947 का वह ऐतिहासिक दिन पूरे देश की जनता के लिए अविस्मरणीय दिन था. इस दिन देश को आजादी मिली और हमारे देश की आन, बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा घर-घर में फहराया गया. उस वक्त फहराए गये झंडे की गरिमा आज भी कायम है. इसे कायम रखा है कर्नाटक के धारवाड़ स्थित गांधीनगर निवासी गंगाधर कुलकर्णी ने.
गंगाधर को यह तिरंगा उनके शिक्षक से तब मिला था, जब वह 1947 में चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे. उनकी मां ने उस समय इस झंडे को शिक्षक से सिर्फ 25 पैसे में खरीदा और गंगाधर को सौंप दिया था. उस वक्त उन्होंने कहा था कि अब इस तिरंगे की हिफाजत का जिम्मा तुम्हारा है. उसके बाद से आज तक गंगाधर का परिवार इस तिरंगे को सुरक्षित रखा हुआ है.
बता दें कि गंगाधर एक सेवानिवृत्त पशु चिकित्सा अधिकारी हैं. गंगाधर का परिवार 1947 से हर साल राष्ट्रीय ध्वज फहराता आया है. खास बात यह है कि 1947 में फहराए गये उस तिरंगे की गरिमा आज भी उन्होंने बरकरार रखी है. पहले वे इसे अपने घर में सुरक्षित रखते थे. लेकिन 2011 में परिवार के धारवाड़ शिफ्ट होने के बाद उन्होंने इस झंडे को बैंक लॉकर में रखना शुरू कर दिया. हर साल स्वतंत्रता दिवस के लिए गंगाधर अपने लॉकर से निकालकर झंडा घर ले आते हैं. इसे अपने घर के सामने फहराकर अगले दिन फिर से लॉकर में सुरक्षित रख देते हैं.
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धारवाड़ जाने से पहले गंगाधर के परिवार ने पैतृक गांव नलटवाड़ स्थित अपने घर के सामने यह झंडा फहराया था. कभी-कभी यह झंडा गांव के स्कूल में भी फहराया जाता था.
गंगाधर कुलकर्णी के घर पर ध्वजारोहण समारोह में उनके परिवार के सभी सदस्य, स्थानीय लोग और विदेशों से भी लोग शामिल होते थे. हालांकि, पिछले साल कोविड -19 महामारी की वजह से केवल परिवार के कुछ ही सदस्य इस अवसर पर शामिल हो रहे हैं.