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मैसूर में नकली रेमेडिसिविर ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ - fake Remedesivir Drug Network

देशभर में जहां कोरोना कहर भरपा रहा है, वहीं चंद पैसों के लिए नकली दवा के सौदागर कोरोना संक्रमित मरीजों की जान से खेल रहे हैं. मैसूर में सीसीबी पुलिस ने एक नकली दवा के सरगना को धरदबोचा है, जो पिछले 11 वर्षों से जेएसएस अस्पताल में स्टाफ कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था.

नेटवर्क का भंडाफोड़
नेटवर्क का भंडाफोड़
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Published : Apr 20, 2021, 12:42 AM IST

मैसूर : कर्नाटक के मैसूर में सीसीबी पुलिस ने नकली रेमेडिसिविर ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. सीसीबी पुलिस ने नकली दवा के गिरोह के सरगना को गिरफ्तार किया है, जो नकली रेमेडिसिविर की संक्रमित बोतलों में स्टैफोरियाक्सन (Staphoriaxon) नामक एंटीबायोटिक और खारा पानी भर कर, उन्हें 4000 रुपये में बेच रहा था.

नकली रेमेडिसिविर ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़

सिटी पुलिस कमिश्नर डॉ. चंद्रगुप्त ने कहा कि सीसीबी पुलिस ने एक रैकेट को गिरफ्तार किया है, जो रेमेडिसिविर की नकली और खाली बोतल बेच रहे थे. उन्होंने बताया कि शहर में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमित मरीजों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रेमेडिसिविर का उपयोग किया जा रहा है. शहर में इस दवा की काफी मांग है, जिसका फायदा उठाकर नकली दवा के सौदागर अस्पतालों के माध्यम से रेमेडिसिविर की खाली बोतलों में नकली दवाइयां भर कर, उन्हें सील पैक कर बेच रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड में राष्ट्रीय औसत से ऊपर पहुंचा कोविड डेथ रेट, देहरादून में सबसे ज्यादा मौतें

सिटी पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस दवा की कीमत 100 रुपये है और पकड़ा गया समूह इसे 4000 से अधिक में बेच रहा था. अब तक 800 से 900 बोतलें बेची जा चुकी हैं.

इस मामले का मुख्य आरोपी गिरीश पिछले 11 वर्षों से जेएसएस अस्पताल में स्टाफ कर्मचारी के रूप में काम कर रहा है. उसे अपोलो अस्पताल में एक सुरक्षा गार्ड शिवप्पा (Shivappa), मंजूनाथ और प्रशांत की भी मदद मिल रही थी, जो कोविड केयर सेंटर में हाउसकीपिंग वर्कर हैं.

पढ़ें- कोरोना टीके पर बड़ा फैसला : एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को लगेगी वैक्सीन

माना जा रहा है कि अस्पताल में उपयोग की जाने वाली नकली रेमेडिसिविर की संक्रमित बोतलों में स्टैफोरियाक्सन (Staphoriaxon) नामक एंटीबायोटिक और खारा पानी भरा हुआ था.

सीसीबी पुलिस ने नकली दवा के सरगना स्टाफ कर्मचारी गिरीश को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया और उनके द्वारा दी गई जानकारी से अन्य को भी धरदबोचा है. अधिकारियों ने बताया कि आरोपी के पास से पहले ही 2.82 लाख रुपये जब्त कर लिए गए हैं. जांच जारी है.

मैसूर : कर्नाटक के मैसूर में सीसीबी पुलिस ने नकली रेमेडिसिविर ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. सीसीबी पुलिस ने नकली दवा के गिरोह के सरगना को गिरफ्तार किया है, जो नकली रेमेडिसिविर की संक्रमित बोतलों में स्टैफोरियाक्सन (Staphoriaxon) नामक एंटीबायोटिक और खारा पानी भर कर, उन्हें 4000 रुपये में बेच रहा था.

नकली रेमेडिसिविर ड्रग नेटवर्क का भंडाफोड़

सिटी पुलिस कमिश्नर डॉ. चंद्रगुप्त ने कहा कि सीसीबी पुलिस ने एक रैकेट को गिरफ्तार किया है, जो रेमेडिसिविर की नकली और खाली बोतल बेच रहे थे. उन्होंने बताया कि शहर में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमित मरीजों में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रेमेडिसिविर का उपयोग किया जा रहा है. शहर में इस दवा की काफी मांग है, जिसका फायदा उठाकर नकली दवा के सौदागर अस्पतालों के माध्यम से रेमेडिसिविर की खाली बोतलों में नकली दवाइयां भर कर, उन्हें सील पैक कर बेच रहे हैं.

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सिटी पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस दवा की कीमत 100 रुपये है और पकड़ा गया समूह इसे 4000 से अधिक में बेच रहा था. अब तक 800 से 900 बोतलें बेची जा चुकी हैं.

इस मामले का मुख्य आरोपी गिरीश पिछले 11 वर्षों से जेएसएस अस्पताल में स्टाफ कर्मचारी के रूप में काम कर रहा है. उसे अपोलो अस्पताल में एक सुरक्षा गार्ड शिवप्पा (Shivappa), मंजूनाथ और प्रशांत की भी मदद मिल रही थी, जो कोविड केयर सेंटर में हाउसकीपिंग वर्कर हैं.

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माना जा रहा है कि अस्पताल में उपयोग की जाने वाली नकली रेमेडिसिविर की संक्रमित बोतलों में स्टैफोरियाक्सन (Staphoriaxon) नामक एंटीबायोटिक और खारा पानी भरा हुआ था.

सीसीबी पुलिस ने नकली दवा के सरगना स्टाफ कर्मचारी गिरीश को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया और उनके द्वारा दी गई जानकारी से अन्य को भी धरदबोचा है. अधिकारियों ने बताया कि आरोपी के पास से पहले ही 2.82 लाख रुपये जब्त कर लिए गए हैं. जांच जारी है.

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