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Fake doctor arrested: एयरोनॉटिकल इंजीनियर गूगल की मदद से इलाज करके देता था दवाएं, गिरफ्तार

तमिलनाडु के चेन्नई में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद फर्जी डॉक्टर बनकर गूगल की मदद से इलाज करने वाला पकड़ा गया.

Etv BharatFake doctor arrested in Chennai treats patients with help of Google
Etv Bचेन्नई में गूगल की मदद से इलाज करने वाला फर्जी डॉक्टर गिरफ्तारharat
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Published : Feb 11, 2023, 1:42 PM IST

चेन्नई: एक शख्स अधिक पैसा कमाने के चक्कर में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद फर्जी डॉक्टर बन गया. उसने फर्जीवाड़े से तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल का सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया. बाद में फैमिली क्लीनिक खोलकर लोगों से पैसे ऐंठता था. वह गूगल की मदद से मरीजों का इलाज करने लगा था.

सेम्बियन (35) तंजावुर जिले के रहने वाले हैं. वह दिल्ली के एक नामी निजी अस्पताल में काम करते हैं . उन्होंने 2013 में रूस में एमडी मेडिकल कोर्स पूरा किया और तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराया. अपना मेडिकल रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त करने के बाद, उन्होंने भारतीय चिकित्सा परिषद में पंजीकरण कराया और गुजरात जैसे क्षेत्रों में काम करने के बाद, दिल्ली में काम करते हैं.

हाल ही में उनकी शादी हुई. और उन्होंने फिर से तमिलनाडु में बसने का फैसला किया. इसलिए उन्होंने अपना प्रमाणपत्र मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट पर अपलोड करने की कोशिश. काफी प्रयास के बाद भी वह इसे अपलोड नहीं कर सके. इसलिए, तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल कार्यालय गए और इसके बारे में पूछताछ की.

उस समय, एक अलग फोन नंबर और ई-मेल पता पंजीकृत किया गया था और लिखित शिकायत दर्ज करने की सलाह दी गई थी. मेडिकल काउंसिल और चेन्नई पुलिस आयुक्त के पास शिकायत दर्ज करने के बाद मामला अन्ना नगर साइबर अपराध पुलिस को भी स्थानांतरित कर दिया गया था. पुलिस ने 7 तारीख को मामला दर्ज किया और धोखाधड़ी की जांच के लिए पुलिस निरीक्षक संथीदेवी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया. जांच में पता चला कि डॉक्टर सेम्बियन नाम से मयिलादुत्रयी जिले में एक शख्स इलाज करता है.

इसके बाद पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर पूछताछ की. उससे की गई पड़ताल में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई. फर्जी सेम्बियन (31) ने 2012 में पुडुकोट्टई के एक निजी कॉलेज में वैमानिकी इंजीनियरिंग का अध्ययन किया. 2017 में, जब वह नौकरी की तलाश में चेन्नई आया, तो उसने तीन महीने तक एक निजी कंपनी (जस्ट डायल) में काम किया.

बाद में उसने एक निजी अस्पताल में मार्केटिंग की नौकरी की. उसका काम निजी आईटी कंपनियों और बड़ी कंपनियों का दौरा करना और अस्पताल का प्रचार प्रसार करना था. उसे उन कंपनियों के बीमार पड़ने वाले कर्मचारियों को उस अस्पताल में इलाज के लिए लाना था. चिकित्सा के बारे में जानकर, वह चिकित्सा के क्षेत्र की ओर आकर्षित हो गया. यह जानकर कि वह अधिक से अधिक पैसा कमा रहा है. इसलिए उसने डॉक्टर बनने का फैसला किया.

ये भी पढ़ें- Suspected Terrorist Arrested In Bangalore : एनआईए ने बेंगलुरु में एक संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार किया

इसके लिए उसने प्राथमिक उपचार, अग्नि सुरक्षा आदि क्षेत्रों में डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई की. उसने गूगल के जरिए अपने नाम से डॉक्टरों को भी खोजा. अपने नाम के एक डॉक्टर को ढूंढ निकाला. तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट पर उसके प्रोफाइल में छेड़छाड़ कर उसने फर्जी दस्तावेज बना लिया. इस तरह फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी मिल गई और नीलांगराय में अस्पताल में काम करने लगा.

कोरोना काल में डॉक्टरों की डिमांड अधिक होने के कारण उसके सर्टिफिकेट की जांच ठीक तरीक से नहीं की गई. वह पिछले तीन महीने से तारामणी में स्पार्क फैमिली क्लीनिक नाम से मेडिकल अस्पताल चला रहा था. वह गूगल की मदद से मरीजों का इलाज कर रहा था. इस बीच मामला प्रकाश में आने पर पकड़ा गया.

चेन्नई: एक शख्स अधिक पैसा कमाने के चक्कर में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद फर्जी डॉक्टर बन गया. उसने फर्जीवाड़े से तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल का सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया. बाद में फैमिली क्लीनिक खोलकर लोगों से पैसे ऐंठता था. वह गूगल की मदद से मरीजों का इलाज करने लगा था.

सेम्बियन (35) तंजावुर जिले के रहने वाले हैं. वह दिल्ली के एक नामी निजी अस्पताल में काम करते हैं . उन्होंने 2013 में रूस में एमडी मेडिकल कोर्स पूरा किया और तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराया. अपना मेडिकल रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त करने के बाद, उन्होंने भारतीय चिकित्सा परिषद में पंजीकरण कराया और गुजरात जैसे क्षेत्रों में काम करने के बाद, दिल्ली में काम करते हैं.

हाल ही में उनकी शादी हुई. और उन्होंने फिर से तमिलनाडु में बसने का फैसला किया. इसलिए उन्होंने अपना प्रमाणपत्र मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट पर अपलोड करने की कोशिश. काफी प्रयास के बाद भी वह इसे अपलोड नहीं कर सके. इसलिए, तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल कार्यालय गए और इसके बारे में पूछताछ की.

उस समय, एक अलग फोन नंबर और ई-मेल पता पंजीकृत किया गया था और लिखित शिकायत दर्ज करने की सलाह दी गई थी. मेडिकल काउंसिल और चेन्नई पुलिस आयुक्त के पास शिकायत दर्ज करने के बाद मामला अन्ना नगर साइबर अपराध पुलिस को भी स्थानांतरित कर दिया गया था. पुलिस ने 7 तारीख को मामला दर्ज किया और धोखाधड़ी की जांच के लिए पुलिस निरीक्षक संथीदेवी के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया. जांच में पता चला कि डॉक्टर सेम्बियन नाम से मयिलादुत्रयी जिले में एक शख्स इलाज करता है.

इसके बाद पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर पूछताछ की. उससे की गई पड़ताल में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई. फर्जी सेम्बियन (31) ने 2012 में पुडुकोट्टई के एक निजी कॉलेज में वैमानिकी इंजीनियरिंग का अध्ययन किया. 2017 में, जब वह नौकरी की तलाश में चेन्नई आया, तो उसने तीन महीने तक एक निजी कंपनी (जस्ट डायल) में काम किया.

बाद में उसने एक निजी अस्पताल में मार्केटिंग की नौकरी की. उसका काम निजी आईटी कंपनियों और बड़ी कंपनियों का दौरा करना और अस्पताल का प्रचार प्रसार करना था. उसे उन कंपनियों के बीमार पड़ने वाले कर्मचारियों को उस अस्पताल में इलाज के लिए लाना था. चिकित्सा के बारे में जानकर, वह चिकित्सा के क्षेत्र की ओर आकर्षित हो गया. यह जानकर कि वह अधिक से अधिक पैसा कमा रहा है. इसलिए उसने डॉक्टर बनने का फैसला किया.

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इसके लिए उसने प्राथमिक उपचार, अग्नि सुरक्षा आदि क्षेत्रों में डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई की. उसने गूगल के जरिए अपने नाम से डॉक्टरों को भी खोजा. अपने नाम के एक डॉक्टर को ढूंढ निकाला. तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट पर उसके प्रोफाइल में छेड़छाड़ कर उसने फर्जी दस्तावेज बना लिया. इस तरह फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी मिल गई और नीलांगराय में अस्पताल में काम करने लगा.

कोरोना काल में डॉक्टरों की डिमांड अधिक होने के कारण उसके सर्टिफिकेट की जांच ठीक तरीक से नहीं की गई. वह पिछले तीन महीने से तारामणी में स्पार्क फैमिली क्लीनिक नाम से मेडिकल अस्पताल चला रहा था. वह गूगल की मदद से मरीजों का इलाज कर रहा था. इस बीच मामला प्रकाश में आने पर पकड़ा गया.

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