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Facebook पेशी : समिति ने पूछा, दिल्ली दंगों में फेक न्यूज़ पर कैसे की फेक्ट चैकिंग ? फेसबुक ने ये दिया जवाब …

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Published : Nov 18, 2021, 6:27 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 6:49 PM IST

दिल्ली दंगों के सिलसिले में फेसबुक (Facebook ) इंडिया के पदाधिकारी दिल्ली विधानसभा की शांति और सद्भाव समिति के समक्ष पेश हुए. समिति ने 'फेसबुक इंडिया' से कहा कि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों से एक महीने पहले और दो महीने बाद फेसबुक पर डाली गई सामग्री पर उपयोगकर्ताओं की रिपोर्ट (शिकायत) के रिकॉर्ड पेश करे.

फेसबुक
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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा की कमेटी के सामने पेश हुए मेटा कंपनी के प्रतिनिधियों को समिति के कड़े सवाल और पड़ताल से गुजरना पड़ा रहा है. मसलन, समिति ने मेटा (Facebook) प्रतिनिधियों से पूछा कि असंवेदनशील सामग्री होने पर आप किस लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी को जानकारी देते हैं. दिल्ली दंगों में फेक न्यूज, हेट स्पीच की फेक्ट चैकिंग कैसे की? हेट स्पीच की पहचान के लिए बनाए गए सिविल सोसायटी के सदस्य बायस्ड नहीं होंगे, ये कैसे तय करेंगे.

विधानसभा की शांति और समरसता समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने फेसबुक इंडिया (मेटा प्लेटफॉर्म्स) के 'पब्लिक पालिसी' निदेशक शिवनाथ ठुकराल के आवेदन पर सुनवाई के बाद रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा. चड्ढा ने फेसबुक के अधिकारी से कंपनी की संगठन संरचना, शिकायत सुनने की व्यवस्था, सामुदायिक मानकों और घृणा पैदा करने वाले पोस्ट की परिभाषा के बारे में भी पूछा.

ठुकराल ने कहा कि फेसबुक कोई कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसी एजेंसियों से सहयोग करती है. सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, 'जब असल दुनिया में घटनाएं होती हैं तो वे हमारे मंच पर भी दिखाई देती हैं. हम अपने मंच पर घृणा का प्रसार नहीं चाहते. कुछ बुरे लोग हैं जिनके विरुद्ध कार्रवाई करने की जरूरत है.'

ठुकराल ने कहा कि फेसबुक में सामग्री प्रबंधन पर काम करने के लिए 40 हजार लोग हैं जिसमें से 15 हजार लोग सामग्री में संशोधन करते हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली पुलिस प्रमुख के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सामुदायिक मानकों के विरुद्ध सामग्री पाए जाने पर वह मंच से तत्काल हटा ली जाती है. समिति ने गलत, भड़काऊ और बुरी नीयत से भेजे गए संदेशों पर लगाम लगाने में सोशल मीडिया मंचों की अहम भूमिका पर विचार रखने के लिए फेसबुक इंडिया को तलब किया था.

जानिए क्या है मामला

दिल्ली में बीते साल फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के दौरान विरोधियों और समर्थकों के बीच झड़पें देखते ही देखते सांप्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गईं थी, जिसके बाद उत्तरी दिल्ली में भड़की हिंसा ने ख़ौफनाक रूप ले लिया था. इसके बाद दिल्ली दंगों की जांच के लिए दिल्ली विधानसभा द्वारा शांति और सद्भाव समिति का गठन किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा की कमेटी के सामने पेश हुए मेटा कंपनी के प्रतिनिधियों को समिति के कड़े सवाल और पड़ताल से गुजरना पड़ा रहा है. मसलन, समिति ने मेटा (Facebook) प्रतिनिधियों से पूछा कि असंवेदनशील सामग्री होने पर आप किस लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी को जानकारी देते हैं. दिल्ली दंगों में फेक न्यूज, हेट स्पीच की फेक्ट चैकिंग कैसे की? हेट स्पीच की पहचान के लिए बनाए गए सिविल सोसायटी के सदस्य बायस्ड नहीं होंगे, ये कैसे तय करेंगे.

विधानसभा की शांति और समरसता समिति के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने फेसबुक इंडिया (मेटा प्लेटफॉर्म्स) के 'पब्लिक पालिसी' निदेशक शिवनाथ ठुकराल के आवेदन पर सुनवाई के बाद रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा. चड्ढा ने फेसबुक के अधिकारी से कंपनी की संगठन संरचना, शिकायत सुनने की व्यवस्था, सामुदायिक मानकों और घृणा पैदा करने वाले पोस्ट की परिभाषा के बारे में भी पूछा.

ठुकराल ने कहा कि फेसबुक कोई कानून प्रवर्तन एजेंसी नहीं है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह ऐसी एजेंसियों से सहयोग करती है. सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा, 'जब असल दुनिया में घटनाएं होती हैं तो वे हमारे मंच पर भी दिखाई देती हैं. हम अपने मंच पर घृणा का प्रसार नहीं चाहते. कुछ बुरे लोग हैं जिनके विरुद्ध कार्रवाई करने की जरूरत है.'

ठुकराल ने कहा कि फेसबुक में सामग्री प्रबंधन पर काम करने के लिए 40 हजार लोग हैं जिसमें से 15 हजार लोग सामग्री में संशोधन करते हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली पुलिस प्रमुख के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सामुदायिक मानकों के विरुद्ध सामग्री पाए जाने पर वह मंच से तत्काल हटा ली जाती है. समिति ने गलत, भड़काऊ और बुरी नीयत से भेजे गए संदेशों पर लगाम लगाने में सोशल मीडिया मंचों की अहम भूमिका पर विचार रखने के लिए फेसबुक इंडिया को तलब किया था.

जानिए क्या है मामला

दिल्ली में बीते साल फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के दौरान विरोधियों और समर्थकों के बीच झड़पें देखते ही देखते सांप्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गईं थी, जिसके बाद उत्तरी दिल्ली में भड़की हिंसा ने ख़ौफनाक रूप ले लिया था. इसके बाद दिल्ली दंगों की जांच के लिए दिल्ली विधानसभा द्वारा शांति और सद्भाव समिति का गठन किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Nov 18, 2021, 6:49 PM IST
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