नई दिल्ली : हिंसा प्रभावित मणिपुर के कम से कम 10 विपक्षी दलों ने मंगलवार को कहा कि वे 'बेहद निराश' हैं क्योंकि पीएम मोदी उनसे मिले बिना या यहां तक कि 3 मई से शुरू हुए उत्तर-पूर्वी राज्य में चल रही आगजनी पर एक शब्द भी बोले बिना अमेरिका के लिए रवाना हो गए.
जदयू नेता डॉ. नेमीचंद लुवांग (Dr. Nimaichand Luwang) ने कहा, 'हम बेहद निराश हैं क्योंकि प्रधानमंत्री हमारे प्रतिनिधिमंडल से मिलने में विफल रहे और मणिपुर में भड़की हिंसा पर एक शब्द भी नहीं बोले. हम 10 जून से पीएम से मिलने का समय लेने के लिए यहां इंतजार कर रहे थे.लेकिन हमें समय ही नहीं मिला.'
उन्होंने कहा कि 'यही वजह है कि, हमने मणिपुर की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए आज पीएमओ को एक ज्ञापन सौंपा. हमने प्रधानमंत्री से इस छोटे से सीमावर्ती राज्य में शांति बहाली के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है जो तीन मई से जल रहा है.'
लुवांग ने कहा कि 'हम सभी का मानना है कि मणिपुर में हुई हिंसा के लिए मुख्यमंत्री पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. सामान्य स्थिति में किसी भी मुख्यमंत्री ने दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की होती तो स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए एक सप्ताह से अधिक समय नहीं लगता. इससे भी बदतर, मुख्यमंत्री ने हाल ही में अपनी विफलता स्वीकार की जब उन्होंने कहा कि चल रही हिंसा के पीछे खुफिया विफलता थी और सुरक्षा में चूक हुई थी.'
इबोबी ने भी साधा निशाना : मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ओकराम इबोबी सिंह के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा के बावजूद इस छोटे से राज्य में हिंसा नियंत्रण से बाहर हो गई, इससे पता चलता है कि इसका एक मकसद था भड़कने के पीछे.'
इबोबी ने कहा कि 'क्या केंद्र और राज्य सरकार का कोई गुप्त एजेंडा है क्योंकि उन्होंने राज्य में हिंसा को नियंत्रित करने के लिए बहुत कम काम किया है. आगजनी की घटनाएं आज भी हो रही हैं और कल मेइती के पांच घर और नगा का एक घर जलकर खाक हो गया.'
इबोबी ने कहा कि 'कुछ दिनों में हम सबने देखा कि इंफाल में कनिष्ठ केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह का घर जला दिया गया. हमें डर है कि जो हिंसा मेइती और कुकीज के बीच थी, वह अब नगाओं के खिलाफ फैल सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह राज्य के लिए खतरनाक होगा.'
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 'जब राज्य जल रहा है, ऐसे समय में अगर प्रधानमंत्री के पास विपक्षी प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय नहीं है, जो यह संदेश देता है कि केंद्र को हमारी परवाह नहीं है, क्योंकि हम एक छोटे से राज्य हैं. अगर यह हरियाणा या मध्य प्रदेश जैसे राज्य में होता तो प्रतिक्रिया अलग होती.'
इबोबी ने कहा कि 'न केवल विपक्षी नेता, बल्कि मणिपुर के भाजपा सांसद भी हाल की हिंसा को लेकर पीएम से मिलने का इंतजार कर रहे हैं. हम भिखारी नहीं हैं. हम पीएम से मिलना नहीं चाहते थे और उनसे कुछ भी नहीं मांगना चाहते थे. हम चिंतित हैं कि मणिपुर एक सीमावर्ती राज्य है और वहां की स्थिति को तुरंत नियंत्रित किया जाना चाहिए. अगर आज मुख्यमंत्री को हटा दिया जाए तो 24 घंटे के अंदर जमीनी हालात में सुधार हो जाएगा.'
विपक्षी नेताओं ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या होगा यदि पीएम को अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान मणिपुर पर एक प्रश्न का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि 'अगर कोई उनसे मणिपुर के हालात के बारे में पूछेगा तो पीएम क्या कहेंगे. मणिपुर के लोग चिंतित हैं कि पीएम ने अभी तक हिंसा पर एक शब्द नहीं बोला है.'