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AB-PMJAY के तहत लाभार्थियों की सूची का विस्तार करे सरकार : संसदीय समिति

संसदीय समिति ने कहा है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) की सूची से कई लाभार्थियों के बाहर हो जाने से उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा. इस वजह से सूची का विस्तार किया जाना चाहिए. वहीं एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ. गिरधर ज्ञानी (Dr Giridhar Gyani) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि AB-PMJAY के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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Published : Mar 31, 2022, 9:10 PM IST

Dr Giridhar Gyani
डॉ. गिरधर ज्ञानी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) की सूची से कई लाभार्थियों के बाहर हो जाने से उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा. इस तथ्य से अवगत होने के कारण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की एक संसदीय समिति ने सरकार को इस योजना के तहत लाभार्थियों की सूची का विस्तार करने के सुझाव दिया है. इस बारे में राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 में शामिल है तो वह इसका लाभ उठा सकता है. लेकिन एसईसीसी जनगणना 2011 के आंकड़ाें के हिसाब से पहचान किए जाने से कई जरूरतमंद लाभार्थी इससे वंचित हो जाएंगे.

इसी के मद्देनजर समिति ने योजना के तहत लाभार्थियों की सूची के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही हाल ही में समिति ने राज्यसभा में प्रस्तुत अपनी 133वीं रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों को शामिल करके दिशानिर्देशों के व्यापक प्रसार के लिए जागरूकता अभियान चलाने की सिफारिश की है. बता दें कि 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल में प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का इलाज कराने की सुविधा प्रदान करती है.

सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के अनुसार अब तक लगभग 10.75 करोड़ लाभार्थी परिवारों की पहचान की जा चुकी है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चुनिंदा अभाव और व्यावसायिक मानदंडों के आधार पर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत लाभार्थी परिवारों की पहचान सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 से की गई है.

गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के कुछ सीमाओं को स्वीकार करते हुए कहा है कि डेटाबेस को अपडेट करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा है कि लगभग 30-40 प्रतिशत लाभार्थी परिवारों की जमीनी हकीकत का पता नहीं लगाया जा सकता है और सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार लाभार्थियों को उनकी पात्रता के बारे में संवाद करना मुश्किल है. इसके अलावा, जनसांख्यिकीय विवरण के आधार पर लाभार्थी डेटाबेस की खोज करना मुश्किल है.

ये भी पढ़ें - केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को दी मंजूरी

मंत्रालय ने आगे कहा कि कमियों को दूर करने के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) अन्य मंत्रालयों के साथ एसईसीसी डेटाबेस (बिजली मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और मंत्रालय) का उपयोग करके कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है. इसका उद्देश्य आम लाभार्थियों तक उनके दिए गए पते और मोबाइल नंबर के माध्यम से पहुंचना है. मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा साझा की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के लाभार्थियों के लिए पहले ही शुरू हो चुकी है.

इस संबंध में एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ. गिरधर ज्ञानी (Dr Giridhar Gyani, director general of Association of Health Care Providers) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को वास्तविक लाभार्थियों को मेगा राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के तहत नामांकित करने के लिए सभी विकल्पों का सक्रिय रूप से पता लगाना चाहिए.

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) पश्चिम बंगाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और ओडिशा को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है.

नई दिल्ली: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) की सूची से कई लाभार्थियों के बाहर हो जाने से उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा. इस तथ्य से अवगत होने के कारण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की एक संसदीय समिति ने सरकार को इस योजना के तहत लाभार्थियों की सूची का विस्तार करने के सुझाव दिया है. इस बारे में राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 में शामिल है तो वह इसका लाभ उठा सकता है. लेकिन एसईसीसी जनगणना 2011 के आंकड़ाें के हिसाब से पहचान किए जाने से कई जरूरतमंद लाभार्थी इससे वंचित हो जाएंगे.

इसी के मद्देनजर समिति ने योजना के तहत लाभार्थियों की सूची के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही हाल ही में समिति ने राज्यसभा में प्रस्तुत अपनी 133वीं रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों को शामिल करके दिशानिर्देशों के व्यापक प्रसार के लिए जागरूकता अभियान चलाने की सिफारिश की है. बता दें कि 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल में प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का इलाज कराने की सुविधा प्रदान करती है.

सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के अनुसार अब तक लगभग 10.75 करोड़ लाभार्थी परिवारों की पहचान की जा चुकी है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चुनिंदा अभाव और व्यावसायिक मानदंडों के आधार पर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत लाभार्थी परिवारों की पहचान सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 से की गई है.

गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के कुछ सीमाओं को स्वीकार करते हुए कहा है कि डेटाबेस को अपडेट करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा है कि लगभग 30-40 प्रतिशत लाभार्थी परिवारों की जमीनी हकीकत का पता नहीं लगाया जा सकता है और सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार लाभार्थियों को उनकी पात्रता के बारे में संवाद करना मुश्किल है. इसके अलावा, जनसांख्यिकीय विवरण के आधार पर लाभार्थी डेटाबेस की खोज करना मुश्किल है.

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मंत्रालय ने आगे कहा कि कमियों को दूर करने के लिए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) अन्य मंत्रालयों के साथ एसईसीसी डेटाबेस (बिजली मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय और मंत्रालय) का उपयोग करके कल्याणकारी योजनाएं चला रहा है. इसका उद्देश्य आम लाभार्थियों तक उनके दिए गए पते और मोबाइल नंबर के माध्यम से पहुंचना है. मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा साझा की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के लाभार्थियों के लिए पहले ही शुरू हो चुकी है.

इस संबंध में एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ. गिरधर ज्ञानी (Dr Giridhar Gyani, director general of Association of Health Care Providers) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करना एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है. उन्होंने कहा कि इसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को वास्तविक लाभार्थियों को मेगा राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के तहत नामांकित करने के लिए सभी विकल्पों का सक्रिय रूप से पता लगाना चाहिए.

यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) पश्चिम बंगाल, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और ओडिशा को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है.

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