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कृषि कानून पर विशेष बातचीत : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री ने पूछा- किसके लिए काम करती है मोदी सरकार - सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी

कृषि कानूनों के मुद्दे पर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के आक्रामक रुख पर ईटीवी भारत दिल्ली के स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत ने आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती से खास बातचीत की.

aap leader somnath bharti on agriculture bills
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Published : Dec 18, 2020, 10:30 PM IST

Updated : Dec 19, 2020, 8:04 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में कृषि कानूनों के मुद्दे पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी का आक्रामक रुख देखने को मिला. सदन की कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री गोपाल राय सहित कुल चार विधायकों ने तीनों कृषि कानूनों की कॉपियां फाड़ीं. वहीं, सत्ताधारी विधायकों के भारी हंगामे के बाद जब सदन को स्थगित कर दिया गया, उसके बाद भी कानून की प्रतियों को जलाया गया. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत दिल्ली के स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत ने आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती से खास बातचीत की.

सवाल: कृषि कानून पर आम आदमी पार्टी सरकार ने पहले से इसे लागू किया और फिर विरोध और प्रतियां फाड़ी गईं. ऐसा क्यों? आपके विरोधी पूछ रहे हैं ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

जवाब: केंद्र के कानूनों को हम पास करने वाले होते कौन हैं. बीजेपी के पास कोई प्रोपेगेंडा नहीं, जिसके चलते आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया जा रहा है. देश में कोरोना महामारी और प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद ऐसी क्या जरूरत है कि कृषि कानून लागू किया गया. जब देश कोरोना से जूझ रहा था, तब केन्द्र सरकार इस कानून को लागू करने में लगी थी. 14 सितंबर 2020 को संविधान के धज्जियां उड़ाते हुए आनन-फानन में कृषि कानूनों को लागू किया गया, जिसे मैं संविधान किलिंग कांड कहूंगा. बाबा साहब अंबेडककर संविधान कहता है कि सदन में अगर कोई कह दे कि मुझे वोटिंग चाहिए तो वोटिंग करानी पड़ेगी, लेकिन हर जगह इसकी आलोचना हुई. वहीं केंद्र सरकार ने अपनी मसल पावर का प्रयोग कर कानून को पास कराया है.

सोमनाथ भारती से खास बातचीत

आजतक भाजपा ये बताने में असमर्थ रही है कि इन बिलों से किसानों को क्या फायदा होगा. संविधान को दर किनार कर के कानून को पास किया, जो गैर संविधानिक है. किसानों की समस्या को बिना समझे कृषि कानूनों को पास किया गया है. आम आदमी पार्टी आम राजनीति करती है, बीजेपी किस के लिए राजनीति करती है.

सवाल- कानून बनने के बाद आम आदमी पार्टी तब सक्रिय हुई, जब किसान सड़क पर उतर आए. इस मामले में पंजाब सरकार ने जो कुछ किया था, उस पर आपत्तियां आई थी. अब यही काम आप विधानसभा में कर रहे हैं. इसे आप पार्टी की राजनीतिक चूक मानते हैं या चुनावी राजनीति का मुद्दा ?

जवाब: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह खुद सीएम खुद ड्राफ्ट कमेटी में शामिल थे और तब उन्होंने अपना विरोध जाहिर नहीं किया. किसानों का विरोध जब तूल पकड़ने लगा तो इन्होंने किसानों के पक्ष में बोलना शुरू किया. पंजाब सरकार ने धोखा देने वाली बात कही है. नाम मात्र सपोर्ट दिखाया है, कानूनों के विरोध में, दिल्ली सरकार के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहले दिन से कृषि कानूनों को विरोध किया है. साथ ही सीएम केजरीवाल ने पीएम को पत्र भी लिखा. जिसके बाद से केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के खिलाफ हो गई.

सवाल: विशेष सत्र बुलाकर कानून की प्रतियां मुख्यमंत्री समेत कई विधायकों ने फाड़ दीं, ऐसे विरोध से राजनीतिक लाभ के अलावा क्या फायदे हो सकते हैं ?

जवाब: हमने समर्थन रोड पर दिया, संसद से लेकर हर जगह कृषि कानून का विरोध किया है. इसी के चलते हमने खुलेआम विधानसभा में कृषि कानूनों का विरोध किया. हमारे कानून की प्रतियों को जलाने या फाड़ने से गैरकानूनी कार्य नहीं हो जाता. हमारा यह मकसद था कि हमने कृषि कानूनों के बारे में सभी विधायकों को और दिल्ली की जनता को रूबरू कराने के बाद सभी के विरोध पर हमने विरोध किया.

सवाल: विरोध करने के पीछे आखिर आम आदमी पार्टी की रणनीति क्या है?

जवाब: हिंदुस्तान में सीएम केजरीवाल इकलौते इंसान हैं, जो पीएम मोदी की आंखों में आंखें डालकर बात कर सकते हैं. आम आदमी पार्टी अच्छी राजनीति करने में विश्वास रखती है. सीएम केजरवील ने ही पीएम से सवाल किया है और कोई नेता नजर क्यों नहीं आ रहे हैं.

सवाल: आपके विरोधी कह रहे हैं कि आप पॉलिटिकल स्टंट कर रहे हैं ?

जवाब: हमने पहले दिन से किसानों का साथ दिया है. चुनाव के लिए हमने अपना समर्थन नहीं दिखाया है. दिल्ली की जनता ने काम की राजनीति को स्वीकारा है.

तीनों कानून किसानों के फायदे में नहीं है. एमएसपी पर नया कानून लाने की जरूरत है. तब जाकर किसानों को फायदा होगा. किसानों के समर्थन में इस कानून को वापस लेने की जरूरत है. साथ ही पेंडिंग एमएसपी पर नया कानून लेकर आए.

सवाल: आप दोहरी भूमिका में हैं, एक और किसान आंदोलन, जिसे आपका समर्थन और दूसरी ओर दिल्ली की जनता का जनजीवन, क्या कहना चाहेंगे दिल्ली की जनता को...?

जवाब: ये जंग सिर्फ किसानों की नहीं है. अगर ये कानून जैसे-तैसे लागू हो जाता है तो किसानों के साथ-साथ आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. महंगाई 400-500% बढ़ जाएगी और सबको खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में कृषि कानूनों के मुद्दे पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी का आक्रामक रुख देखने को मिला. सदन की कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री गोपाल राय सहित कुल चार विधायकों ने तीनों कृषि कानूनों की कॉपियां फाड़ीं. वहीं, सत्ताधारी विधायकों के भारी हंगामे के बाद जब सदन को स्थगित कर दिया गया, उसके बाद भी कानून की प्रतियों को जलाया गया. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत दिल्ली के स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत ने आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती से खास बातचीत की.

सवाल: कृषि कानून पर आम आदमी पार्टी सरकार ने पहले से इसे लागू किया और फिर विरोध और प्रतियां फाड़ी गईं. ऐसा क्यों? आपके विरोधी पूछ रहे हैं ये रिश्ता क्या कहलाता है ?

जवाब: केंद्र के कानूनों को हम पास करने वाले होते कौन हैं. बीजेपी के पास कोई प्रोपेगेंडा नहीं, जिसके चलते आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया जा रहा है. देश में कोरोना महामारी और प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद ऐसी क्या जरूरत है कि कृषि कानून लागू किया गया. जब देश कोरोना से जूझ रहा था, तब केन्द्र सरकार इस कानून को लागू करने में लगी थी. 14 सितंबर 2020 को संविधान के धज्जियां उड़ाते हुए आनन-फानन में कृषि कानूनों को लागू किया गया, जिसे मैं संविधान किलिंग कांड कहूंगा. बाबा साहब अंबेडककर संविधान कहता है कि सदन में अगर कोई कह दे कि मुझे वोटिंग चाहिए तो वोटिंग करानी पड़ेगी, लेकिन हर जगह इसकी आलोचना हुई. वहीं केंद्र सरकार ने अपनी मसल पावर का प्रयोग कर कानून को पास कराया है.

सोमनाथ भारती से खास बातचीत

आजतक भाजपा ये बताने में असमर्थ रही है कि इन बिलों से किसानों को क्या फायदा होगा. संविधान को दर किनार कर के कानून को पास किया, जो गैर संविधानिक है. किसानों की समस्या को बिना समझे कृषि कानूनों को पास किया गया है. आम आदमी पार्टी आम राजनीति करती है, बीजेपी किस के लिए राजनीति करती है.

सवाल- कानून बनने के बाद आम आदमी पार्टी तब सक्रिय हुई, जब किसान सड़क पर उतर आए. इस मामले में पंजाब सरकार ने जो कुछ किया था, उस पर आपत्तियां आई थी. अब यही काम आप विधानसभा में कर रहे हैं. इसे आप पार्टी की राजनीतिक चूक मानते हैं या चुनावी राजनीति का मुद्दा ?

जवाब: पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह खुद सीएम खुद ड्राफ्ट कमेटी में शामिल थे और तब उन्होंने अपना विरोध जाहिर नहीं किया. किसानों का विरोध जब तूल पकड़ने लगा तो इन्होंने किसानों के पक्ष में बोलना शुरू किया. पंजाब सरकार ने धोखा देने वाली बात कही है. नाम मात्र सपोर्ट दिखाया है, कानूनों के विरोध में, दिल्ली सरकार के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पहले दिन से कृषि कानूनों को विरोध किया है. साथ ही सीएम केजरीवाल ने पीएम को पत्र भी लिखा. जिसके बाद से केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के खिलाफ हो गई.

सवाल: विशेष सत्र बुलाकर कानून की प्रतियां मुख्यमंत्री समेत कई विधायकों ने फाड़ दीं, ऐसे विरोध से राजनीतिक लाभ के अलावा क्या फायदे हो सकते हैं ?

जवाब: हमने समर्थन रोड पर दिया, संसद से लेकर हर जगह कृषि कानून का विरोध किया है. इसी के चलते हमने खुलेआम विधानसभा में कृषि कानूनों का विरोध किया. हमारे कानून की प्रतियों को जलाने या फाड़ने से गैरकानूनी कार्य नहीं हो जाता. हमारा यह मकसद था कि हमने कृषि कानूनों के बारे में सभी विधायकों को और दिल्ली की जनता को रूबरू कराने के बाद सभी के विरोध पर हमने विरोध किया.

सवाल: विरोध करने के पीछे आखिर आम आदमी पार्टी की रणनीति क्या है?

जवाब: हिंदुस्तान में सीएम केजरीवाल इकलौते इंसान हैं, जो पीएम मोदी की आंखों में आंखें डालकर बात कर सकते हैं. आम आदमी पार्टी अच्छी राजनीति करने में विश्वास रखती है. सीएम केजरवील ने ही पीएम से सवाल किया है और कोई नेता नजर क्यों नहीं आ रहे हैं.

सवाल: आपके विरोधी कह रहे हैं कि आप पॉलिटिकल स्टंट कर रहे हैं ?

जवाब: हमने पहले दिन से किसानों का साथ दिया है. चुनाव के लिए हमने अपना समर्थन नहीं दिखाया है. दिल्ली की जनता ने काम की राजनीति को स्वीकारा है.

तीनों कानून किसानों के फायदे में नहीं है. एमएसपी पर नया कानून लाने की जरूरत है. तब जाकर किसानों को फायदा होगा. किसानों के समर्थन में इस कानून को वापस लेने की जरूरत है. साथ ही पेंडिंग एमएसपी पर नया कानून लेकर आए.

सवाल: आप दोहरी भूमिका में हैं, एक और किसान आंदोलन, जिसे आपका समर्थन और दूसरी ओर दिल्ली की जनता का जनजीवन, क्या कहना चाहेंगे दिल्ली की जनता को...?

जवाब: ये जंग सिर्फ किसानों की नहीं है. अगर ये कानून जैसे-तैसे लागू हो जाता है तो किसानों के साथ-साथ आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. महंगाई 400-500% बढ़ जाएगी और सबको खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

Last Updated : Dec 19, 2020, 8:04 AM IST
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