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जेवलिन थ्रो में अभी और पदक के लिए तैयार रहे इंडिया : डॉ.दीपा मलिक

ओलंपिक में गोल्ड समेत सात मेडल जीतने के बाद अब सभी की नज़रें टोक्यो जा रहे भारतीय पैरालंपिक दल पर जा टिकी हैं. भारत की ओर से इस बार अब तक का सबसे बड़ा पैरा एथलिट्स का दल जा रहा है. टोक्यो में इस बार 54 पैराएथलिट जा रहे हैं, जो 9 स्पोर्ट्स इवेंट में शामिल होंगे. टीम के सदस्यों से प्रधानमंत्री ने मंगलवार सुबह बात की और देशवासियों की ओर से शुभकामनाएं दी. भारतीय दल मंगलवार रात को ही टोक्यो के लिए रवाना हो रहा है. भारतीय दल की तैयारियां कैसी हैं और मेडल को लेकर क्या उम्मीदें हैं. इस पर ईटीवी भारत के दिल्ली स्टेट एडिटर विशाल सूर्यकांत ने पैरालंपियन और पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ.दीपा मलिक से बातचीत की.

dipa malik
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Published : Aug 17, 2021, 9:25 PM IST

नई दिल्ली : ओलंपिक में गोल्ड समेत सात मेडल जीतने के बाद अब सभी की नज़रें टोक्यो जा रहे भारतीय पैरालंपिक दल पर जा टिकी हैं. भारत की ओर से इस बार अब तक का सबसे बड़ा पैरा एथलिट्स का दल जा रहा है. टोक्यो में इस बार 54 पैराएथलिट जा रहे हैं, जो 9 स्पोर्ट्स इवेंट में शामिल होंगे. टीम सदस्यों से प्रधानमंत्री ने मंगलवार सुबह बात की और देशवासियों की ओर से शुभकामनाएं दीं. भारतीय दल मंगलवार रात को ही टोक्यो के लिए रवाना हो रहा है. भारतीय दल की तैयारियां कैसी है और मेडल को लेकर क्या उम्मीदें हैं. इस पर ईटीवी भारत के दिल्ली स्टेट एडिटर विशाल सूर्यकांत ने विख्यात पैरालंपियन खिलाड़ी और इस वक्त पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ.दीपा मलिक से बात की.

दीपा मलिक से बातचीत

बड़ा एथलिट दल, ज्यादा पदक की उम्मीद

ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दीपा मलिक ने कहा, क्योंकि इस बार हमने रणनीतिक रूप से ज्यादा काम किया है. कोरोना काल में भी नए खिलाड़ी तैयार किए हैं. उनकी ट्रेनिंग और फिजिकल फिटनेस पर फोकस किया है. खिलाड़ियों को संसाधन भी बेहतर मुहैया करवाए हैं. इस लिहाज से उम्मीद है कि ओलंपिक खेलों की तर्ज पर हमारे पैराएथलिट्स भी विजय पताका फहराएंगे. भारत ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है. हमें उम्मीद है कि एक नहीं बल्कि कई पदक हम इस कैटेगरी में लेकर आएंगे क्योंकि हमारे पास इस खेल में माहिर पैरा एथलिट हैं.

खिलाड़ियों की जाति-धर्म सिर्फ उनका खेल

ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में पूर्व पैरालंपिक खिलाड़ी और मौजूदा पैरालंपिक कमेटी की अध्यक्ष दीपा मलिक ने सोशल मीडिया पर जाति और धर्म को लेकर पदक विजेताओं की ट्रोलिंग पर कड़ा एतराज जताया है. दीपा मलिक के मुताबिक, एक खिलाड़ी अगर मैदान में उतरता है तो लड़ाई नहीं बल्कि एक प्रतिस्पर्धा होती है. इसी भावना को देश को भी अपनाना चाहिए. जीतने वाले खिलाड़ियों पर सरकार, समाज और लोगों के ज्यादा फोकस पर दीपा मलिक ने कहा कि खिलाड़ी सालों तपस्या करते हैं, ऐसे में सिर्फ किसी एक दिन पर किए गए प्रदर्शन से उसका आकलन करना ठीक नहीं, लेकिन ये भी सही है कि उस दिन जो अच्छा प्रदर्शन कर जाते हैं वे पदक जीत जाते हैं. इसीलिए उनकी उपलब्धियां हमेशा विशेष रहेंगी.

पढ़ें :- चोट के बावजूद टोक्यो ओलंपिक की तैयारी में जुटीं सोनम, सोना लाने की उम्मीद

खेल संघों में कौन बेहतर - खिलाड़ी या प्रशासक ?

देश के सबसे बड़े खेल पुरुस्कार खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित हो चुकी दीपा मलिक, अब पैरालंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष की जिम्मेदारियां संभाल रही हैं. दीपा मलिक से ईटीवी भारत ने सवाल किया कि दोनों भूमिकाएं देखने के बाद किस नतीजे पर पहुंची हैं. दीपा मलिक के मुताबिक, खिलाड़ी और प्रशासक एक गाड़ी के दो पहिए हैं. दोनों साथ चलें तो टीम को इसका शानदार फायदा मिलता है. इसीलिए दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है. पूर्व खिलाड़ी के प्रशासक होने से खिलाड़ी और ज्यादा सहज रूप से जुड़ जाते हैं.

नई दिल्ली : ओलंपिक में गोल्ड समेत सात मेडल जीतने के बाद अब सभी की नज़रें टोक्यो जा रहे भारतीय पैरालंपिक दल पर जा टिकी हैं. भारत की ओर से इस बार अब तक का सबसे बड़ा पैरा एथलिट्स का दल जा रहा है. टोक्यो में इस बार 54 पैराएथलिट जा रहे हैं, जो 9 स्पोर्ट्स इवेंट में शामिल होंगे. टीम सदस्यों से प्रधानमंत्री ने मंगलवार सुबह बात की और देशवासियों की ओर से शुभकामनाएं दीं. भारतीय दल मंगलवार रात को ही टोक्यो के लिए रवाना हो रहा है. भारतीय दल की तैयारियां कैसी है और मेडल को लेकर क्या उम्मीदें हैं. इस पर ईटीवी भारत के दिल्ली स्टेट एडिटर विशाल सूर्यकांत ने विख्यात पैरालंपियन खिलाड़ी और इस वक्त पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष डॉ.दीपा मलिक से बात की.

दीपा मलिक से बातचीत

बड़ा एथलिट दल, ज्यादा पदक की उम्मीद

ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दीपा मलिक ने कहा, क्योंकि इस बार हमने रणनीतिक रूप से ज्यादा काम किया है. कोरोना काल में भी नए खिलाड़ी तैयार किए हैं. उनकी ट्रेनिंग और फिजिकल फिटनेस पर फोकस किया है. खिलाड़ियों को संसाधन भी बेहतर मुहैया करवाए हैं. इस लिहाज से उम्मीद है कि ओलंपिक खेलों की तर्ज पर हमारे पैराएथलिट्स भी विजय पताका फहराएंगे. भारत ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है. हमें उम्मीद है कि एक नहीं बल्कि कई पदक हम इस कैटेगरी में लेकर आएंगे क्योंकि हमारे पास इस खेल में माहिर पैरा एथलिट हैं.

खिलाड़ियों की जाति-धर्म सिर्फ उनका खेल

ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में पूर्व पैरालंपिक खिलाड़ी और मौजूदा पैरालंपिक कमेटी की अध्यक्ष दीपा मलिक ने सोशल मीडिया पर जाति और धर्म को लेकर पदक विजेताओं की ट्रोलिंग पर कड़ा एतराज जताया है. दीपा मलिक के मुताबिक, एक खिलाड़ी अगर मैदान में उतरता है तो लड़ाई नहीं बल्कि एक प्रतिस्पर्धा होती है. इसी भावना को देश को भी अपनाना चाहिए. जीतने वाले खिलाड़ियों पर सरकार, समाज और लोगों के ज्यादा फोकस पर दीपा मलिक ने कहा कि खिलाड़ी सालों तपस्या करते हैं, ऐसे में सिर्फ किसी एक दिन पर किए गए प्रदर्शन से उसका आकलन करना ठीक नहीं, लेकिन ये भी सही है कि उस दिन जो अच्छा प्रदर्शन कर जाते हैं वे पदक जीत जाते हैं. इसीलिए उनकी उपलब्धियां हमेशा विशेष रहेंगी.

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खेल संघों में कौन बेहतर - खिलाड़ी या प्रशासक ?

देश के सबसे बड़े खेल पुरुस्कार खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित हो चुकी दीपा मलिक, अब पैरालंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष की जिम्मेदारियां संभाल रही हैं. दीपा मलिक से ईटीवी भारत ने सवाल किया कि दोनों भूमिकाएं देखने के बाद किस नतीजे पर पहुंची हैं. दीपा मलिक के मुताबिक, खिलाड़ी और प्रशासक एक गाड़ी के दो पहिए हैं. दोनों साथ चलें तो टीम को इसका शानदार फायदा मिलता है. इसीलिए दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है. पूर्व खिलाड़ी के प्रशासक होने से खिलाड़ी और ज्यादा सहज रूप से जुड़ जाते हैं.

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