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पुरातात्विक स्थल पर फिर से शुरू खुदाई बनी छात्रों के लिए अध्ययन का केंद्र

हजारीबाग के बहोरनपुर में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने फिर से खुदाई शुरू कर दी है. खुदाई स्थल पर फिर से मृदभांड मिलने शुरू हो गए हैं. रांची विश्वविद्यालय से भी छात्र यहां पहुंचकर ट्रेनिंग ले रहे हैं. पुरातात्विक विभाग के साथ-साथ अब यह छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है.

पुरातात्विक स्थल
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Published : Feb 5, 2021, 3:58 PM IST

रांची : झारखंड के हजारीबाग जिले के बहोरनपुर में एक साल बाद पुरातात्विक स्थल पर खुदाई शुरू की गई है, लेकिन इस बार यह खुदाई स्थल छात्रों को भी आकर्षित कर रहा है. आलम यह है कि रांची विश्वविद्यालय से छात्र यहां पहुंचकर ट्रेनिंग भी ले रहे हैं. अब यह खुदाई स्थल अध्ययन केंद्र बनता दिख रहा है.

हजारीबाग के पुरातात्विक स्थल बहोरनपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने फिर से खुदाई शुरू कर दी है. 2020 में विभाग ने बजट की कमी के कारण खुदाई बीच में ही रोक दी थी. एक बार फिर से पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की टीम ने खुदाई का कार्य प्रारंभ कर दिया है.

पुरातात्विक स्थल पर खुदाई

खुदाई स्थल पर फिर से मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) मिलने शुरू हो गए हैं. दो टिलों पर वर्तमान समय में खुदाई चल रही है. ऐसा बताया जा रहा है कि अब खुदाई का क्षेत्र बढ़ेगा. इस केंद्र में अब तक कई पुरातात्विक अवशेष मिल चुके हैं, जिसमें खंडित मूर्तियां, अष्ट कमल, मिट्टी के बर्तन और पौराणिक लिपि अंकित पत्थर का टुकड़ा शामिल है. वहीं, कई टूटी हुई मूर्ति भी मिली है. अब पटना से आए पदाधिकारी कहते हैं कि हम लोगों ने फिर से यहां खुदाई का कार्य शुरू कर दी है. यह पुरातात्विक विभाग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

इस बार खुदाई होने के साथ-साथ छात्र भी ट्रेनिंग करने के लिए पहुंच रहे हैं. पुरातत्व विज्ञान और संग्रह विज्ञान के रांची विश्वविद्यालय के छात्र का कहना है कि हमने अपनी पढ़ाई समाप्त कर ली है. अब प्रशिक्षण के लिए हजारीबाग पहुंचे हैं, क्योंकि वे लोग किताब में खुदाई से संबंधित जानकारी प्राप्त करते थे लेकिन अब उन लोगों के लिए यह प्रयोगशाला से कम नहीं है. उनका कहना है कि वे अब खुले आकाश के नीचे जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं कि आखिर कैसे खुदाई की जाती है, कौन-कौन से हथियार होते हैं और खुदाई करने का तरीका कैसा होता है. यह छात्रों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है.

यहां खुदाई करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को लगाया गया है, जिसमें सबसे अधिक महिलाएं हैं, जिनकी संख्या 60 से अधिक है. स्थानीय महिलाओं में इसे लेकर काफी उत्साह है. महिलाओं का कहना है कि वे उत्खनन कार्य में लगे हैं जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी हो रहा है. साथ ही साथ इस बात की खुशी है कि वे अपने क्षेत्र के लिए काम कर रहे हैं, जो पूरे देश भर में उनके गांव को अलग पहचान देने वाला है.

पढ़ें :- ओडिशा : लिंगराज मंदिर के पास खुदाई, प्राचीन मंदिर के अवशेष होने की संभावना

हजारीबाग चूरचू मार्ग से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर सितागढ़ा पर खुदाई चल रही है. बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन कर बौद्ध भिक्षु बहोरनपुर पहुंचते थे और बुद्ध पद्धति से पूजा-अर्चना भी करते थे. बौद्ध साहित्य में उक्त स्थल को ओल्ड बनारस रोड के बगल में स्थित बताया गया है. ओल्ड बनारस रोड ओडिशा को बनारस से जोड़ता है. यह क्षेत्र बुद्ध सर्किट के रूप में भी देखा जा रहा है. ऐसे में क्षेत्र की अलग ही पहचान और गरिमा पूरे देश भर में बनने जा रही है. जरूरत है सरकार को इस क्षेत्र का विकास करने की ताकि रोजगार के साथ-साथ क्षेत्र को भी पहचान मिल सके.

रांची : झारखंड के हजारीबाग जिले के बहोरनपुर में एक साल बाद पुरातात्विक स्थल पर खुदाई शुरू की गई है, लेकिन इस बार यह खुदाई स्थल छात्रों को भी आकर्षित कर रहा है. आलम यह है कि रांची विश्वविद्यालय से छात्र यहां पहुंचकर ट्रेनिंग भी ले रहे हैं. अब यह खुदाई स्थल अध्ययन केंद्र बनता दिख रहा है.

हजारीबाग के पुरातात्विक स्थल बहोरनपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने फिर से खुदाई शुरू कर दी है. 2020 में विभाग ने बजट की कमी के कारण खुदाई बीच में ही रोक दी थी. एक बार फिर से पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की टीम ने खुदाई का कार्य प्रारंभ कर दिया है.

पुरातात्विक स्थल पर खुदाई

खुदाई स्थल पर फिर से मृदभांड (मिट्टी के बर्तन) मिलने शुरू हो गए हैं. दो टिलों पर वर्तमान समय में खुदाई चल रही है. ऐसा बताया जा रहा है कि अब खुदाई का क्षेत्र बढ़ेगा. इस केंद्र में अब तक कई पुरातात्विक अवशेष मिल चुके हैं, जिसमें खंडित मूर्तियां, अष्ट कमल, मिट्टी के बर्तन और पौराणिक लिपि अंकित पत्थर का टुकड़ा शामिल है. वहीं, कई टूटी हुई मूर्ति भी मिली है. अब पटना से आए पदाधिकारी कहते हैं कि हम लोगों ने फिर से यहां खुदाई का कार्य शुरू कर दी है. यह पुरातात्विक विभाग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

इस बार खुदाई होने के साथ-साथ छात्र भी ट्रेनिंग करने के लिए पहुंच रहे हैं. पुरातत्व विज्ञान और संग्रह विज्ञान के रांची विश्वविद्यालय के छात्र का कहना है कि हमने अपनी पढ़ाई समाप्त कर ली है. अब प्रशिक्षण के लिए हजारीबाग पहुंचे हैं, क्योंकि वे लोग किताब में खुदाई से संबंधित जानकारी प्राप्त करते थे लेकिन अब उन लोगों के लिए यह प्रयोगशाला से कम नहीं है. उनका कहना है कि वे अब खुले आकाश के नीचे जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं कि आखिर कैसे खुदाई की जाती है, कौन-कौन से हथियार होते हैं और खुदाई करने का तरीका कैसा होता है. यह छात्रों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र है.

यहां खुदाई करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को लगाया गया है, जिसमें सबसे अधिक महिलाएं हैं, जिनकी संख्या 60 से अधिक है. स्थानीय महिलाओं में इसे लेकर काफी उत्साह है. महिलाओं का कहना है कि वे उत्खनन कार्य में लगे हैं जिससे उन्हें आर्थिक लाभ भी हो रहा है. साथ ही साथ इस बात की खुशी है कि वे अपने क्षेत्र के लिए काम कर रहे हैं, जो पूरे देश भर में उनके गांव को अलग पहचान देने वाला है.

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हजारीबाग चूरचू मार्ग से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर सितागढ़ा पर खुदाई चल रही है. बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन कर बौद्ध भिक्षु बहोरनपुर पहुंचते थे और बुद्ध पद्धति से पूजा-अर्चना भी करते थे. बौद्ध साहित्य में उक्त स्थल को ओल्ड बनारस रोड के बगल में स्थित बताया गया है. ओल्ड बनारस रोड ओडिशा को बनारस से जोड़ता है. यह क्षेत्र बुद्ध सर्किट के रूप में भी देखा जा रहा है. ऐसे में क्षेत्र की अलग ही पहचान और गरिमा पूरे देश भर में बनने जा रही है. जरूरत है सरकार को इस क्षेत्र का विकास करने की ताकि रोजगार के साथ-साथ क्षेत्र को भी पहचान मिल सके.

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