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आरबीआई को दरों में वृद्धि का रुख जारी रखने की जरूरत: रंगराजन - रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर

आरबीआई के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए मौजूदा सख्त रुख को बनाए रखने की वकालत की है. उनका मानना है कि पूंजी की आवक दोबारा शुरू होने से रुपये को मजबूती मिलेगी.

Ex RBI Guv
पूर्व गवर्नर सी रंगराजन
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Published : Sep 18, 2022, 5:58 PM IST

कोलकाता : मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मौजूदा सख्त रुख को बनाए रखने की वकालत करते हुए केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन (Former RBI Governor C Rangarajan) ने यह उम्मीद भी जताई है कि पूंजी की आवक दोबारा शुरू होने से रुपये को मजबूती मिलेगी.

रंगराजन ने शनिवार को रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर में समर कांति पॉल स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने के लिए भारत को अगले पांच साल तक आठ-नौ फीसदी की सालाना वृद्धि दर हासिल करनी होगी. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि सात फीसदी पर भी पहुंच जाएगी तो उन्हें खुशी होगी.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने नीतिगत दरों में वृद्धि के संदर्भ में कहा, 'मौजूदा नीतिगत रुख जारी रहना चाहिए. विकसित देश भी दरों में तीव्र वृद्धि कर रहे हैं, मैं दरों में और वृद्धि की उम्मीद कर रहा हूं.' रुपये के बारे में उन्होंने कहा कि पूंजी की निकासी की वजह से घरेलू मुद्रा में तेजी से गिरावट आई है और यह 79 से 80 प्रति डॉलर तक गिर गया है.

रंगराजन ने कहा, 'अब पूंजी की आवक होने से रुपया मजबूत होगा, फिर भी यह कोविड से पहले के स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा.' उन्होंने कहा कि उच्च वृद्धि दर को हासिल करने के लिए निवेश की दर बढ़ाकर 33 फीसदी तक करनी होगी जो फिसलकर 27-28 फीसदी तक पहुंच गई है. उन्होंने निजी निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाने की भी बात कही.

पढ़ें- खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर सात प्रतिशत पर, आरबीआई बढ़ा सकता है नीतिगत दर

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मौजूदा सख्त रुख को बनाए रखने की वकालत करते हुए केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन (Former RBI Governor C Rangarajan) ने यह उम्मीद भी जताई है कि पूंजी की आवक दोबारा शुरू होने से रुपये को मजबूती मिलेगी.

रंगराजन ने शनिवार को रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर में समर कांति पॉल स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कहा कि पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने के लिए भारत को अगले पांच साल तक आठ-नौ फीसदी की सालाना वृद्धि दर हासिल करनी होगी. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि सात फीसदी पर भी पहुंच जाएगी तो उन्हें खुशी होगी.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने नीतिगत दरों में वृद्धि के संदर्भ में कहा, 'मौजूदा नीतिगत रुख जारी रहना चाहिए. विकसित देश भी दरों में तीव्र वृद्धि कर रहे हैं, मैं दरों में और वृद्धि की उम्मीद कर रहा हूं.' रुपये के बारे में उन्होंने कहा कि पूंजी की निकासी की वजह से घरेलू मुद्रा में तेजी से गिरावट आई है और यह 79 से 80 प्रति डॉलर तक गिर गया है.

रंगराजन ने कहा, 'अब पूंजी की आवक होने से रुपया मजबूत होगा, फिर भी यह कोविड से पहले के स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा.' उन्होंने कहा कि उच्च वृद्धि दर को हासिल करने के लिए निवेश की दर बढ़ाकर 33 फीसदी तक करनी होगी जो फिसलकर 27-28 फीसदी तक पहुंच गई है. उन्होंने निजी निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाने की भी बात कही.

पढ़ें- खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर सात प्रतिशत पर, आरबीआई बढ़ा सकता है नीतिगत दर

(पीटीआई-भाषा)

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