श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने ऐतिहासिक जामिया मस्जिद श्रीनगर को नमाज के लिए बंद किए जाने पर गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर घाटी में शांति और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है तो मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की लंबी कैद क्यों खत्म नहीं हो रही है? उक्त बातें डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने दरगाह हजरत बल में शुक्रवार की नमाज अदा करने के बाद मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान कही.
उन्होंने गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि रमजान के महीने में प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक जामा मस्जिद में जुमे के मौके पर नमाज की इजाजत नहीं देना बेहद खेदजनक और निंदनीय है. उन्होंने कहा कि अगर एलजी प्रशासन और केंद्र सरकार दावा कर रहे हैं कि कश्मीर घाटी में शांति व्यवस्था की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है तो ऐतिहासिक पूजा स्थल पर ताला लगाने का क्या मतलब है.
इस मौके पर डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने सवाल किया कि अगर यहां की मौजूदा सरकार शांति का माहौल बहाल करने को इच्छुक है तो मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की रिहाई क्यों नहीं हो पा रही है.
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि लंबी कैद को खत्म कर उन्हें अपने धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करने दिया जाए, क्योंकि जिस तरह के अपराध समाज में देखने को मिल रहे हैं, ऐसे में मीरवाइज मौलवी मुहम्मद उमर फारूक जैसे धार्मिक विद्वान समाज को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
उन्होंने प्रशासन और केंद्र सरकार से मीरवाइज उमर फारूक की बिना शर्त रिहाई को लागू करने का आग्रह किया ताकि वह अपनी सामान्य गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से फिर से शुरू कर सकें. वह लगभग 4 वर्षों से अपनी धार्मिक सेवाओं को करने में असमर्थ हैं. एक धार्मिक नेता होने के अलावा, मीरवाइज उमर फारूक सर्वदलीय हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख भी हैं.
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