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यूपी में हर दिन 4 बच्चियों का होता है यौन शोषण, लखनऊ सबसे आगे

उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में प्रतिदिन यौन शोषण के 4 मुकदमे दर्ज होते हैं. यह चौकाने वाला खुलासा चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस द्वारा डाली गयी आरटीआई के जवाब में हुआ है.

चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस Child activist Naresh Paras पुलिस अधीक्षक राज्य अपराध अभिलेख लखनऊ यौन शोषण के मामले यूपी में यौन शोषण के कुल मामले Total cases of sexual abuse in UP यूपी में यौन शोषण
चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस Child activist Naresh Paras पुलिस अधीक्षक राज्य अपराध अभिलेख लखनऊ यौन शोषण के मामले यूपी में यौन शोषण के कुल मामले Total cases of sexual abuse in UP यूपी में यौन शोषण
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Published : Dec 19, 2022, 10:06 AM IST

उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में प्रतिदिन यौन शोषण के 4 मुकदमे दर्ज होते हैं

आगराः ताजनगरी में बच्चों के प्रति सजगता से काम करने वाले चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस (Child activist Naresh Paras) द्वारा शासन से मांगी गयी एक आरटीआई के जवाब ने सभी को चौंका दिया हैं. चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस ने पुलिस अधीक्षक राज्य अपराध अभिलेख लखनऊ से आरटीआई के माध्यम से 2015 से 2021 तक बच्चों की उम्र के अनुसार जिलो में हुए क्रमवार यौन शोषण के मामलों की जानकारी मांगी थी. कार्यलय ने लगभग 48 जिलों का डाटा संकलन कर एक्टिविस्ट नरेश पारस को जवाब भेजा है, जिसमें राजधानी लखनऊ भी शामिल है.

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लड़कियों के यौन शोषण में लखनऊ सबसे आगे

आरटीआई के जवाब के अनुसार बच्चों के खिलाफ दर्ज यौन शोषण के मामलों के अनुसार बीते 7 वर्षो में 11,902 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अनुरूप प्रतिदिन 4 बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए. यह डाटा राजधानी लखनऊ सहित 48 जिलों का है, जिसमे 27 जिले का डाटा नदारद है. इस आरटीआई के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही हैं.

यौन शोषण मामलों में लखनऊ टॉप पर
इस आरटीआई में 48 जिलों का डाटा संकलन है, जिसके हिसाब से बच्चों के उम्र अनुसार दर्ज यौन शोषण के मामलों में राजधानी लखनऊ बीते 7 वर्षो में टॉप पर रही है. लखनऊ में 800 से अधिक, दूसरे पर पीलीभीत दर्ज मुकदमे 750, तीसरे पर बिजनौर दर्ज मुकदमे 589 और चौथे पर महाराजगंज दर्ज मुकदमे 489. इन आंकड़ो में 27 जिले का डाटा संकलन नही है, जिसका अभी इंतजार है.

आगरा में 85 बच्चों में से कुल 26 बरामद
आगरा में जिले के आंकड़ो के अनुसार बीते 2 महीनों में 85 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज की गई. जिसमें अधिकतर मामले प्रेमप्रसंग में बहला-फुसला कर ले जाने के थे. लड़कियां नाबालिग पायी गईं. पुलिस अधिकतर मामलों में बरामदगी की बात कहती है, लेकिन अब तक पुलिस सिर्फ 26 बच्चियों को बरामद कर पायी है. चाइल्ड एक्टिविस्ट के अनुसार जिले में बच्चियों के यौन शोषण के मामले बढ़े हैं, जिन्हें पुलिस दर्ज नहीं करती है और ये चिंता का विषय है.

पढ़ेंः यूपी के अवैध मदरसों में हो रहा है बच्चों का यौन शोषण, दी जा रही है समाज विरोधी शिक्षा: बाल आयोग

उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में प्रतिदिन यौन शोषण के 4 मुकदमे दर्ज होते हैं

आगराः ताजनगरी में बच्चों के प्रति सजगता से काम करने वाले चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस (Child activist Naresh Paras) द्वारा शासन से मांगी गयी एक आरटीआई के जवाब ने सभी को चौंका दिया हैं. चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस ने पुलिस अधीक्षक राज्य अपराध अभिलेख लखनऊ से आरटीआई के माध्यम से 2015 से 2021 तक बच्चों की उम्र के अनुसार जिलो में हुए क्रमवार यौन शोषण के मामलों की जानकारी मांगी थी. कार्यलय ने लगभग 48 जिलों का डाटा संकलन कर एक्टिविस्ट नरेश पारस को जवाब भेजा है, जिसमें राजधानी लखनऊ भी शामिल है.

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आरटीआई के जवाब के अनुसार बच्चों के खिलाफ दर्ज यौन शोषण के मामलों के अनुसार बीते 7 वर्षो में 11,902 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अनुरूप प्रतिदिन 4 बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए. यह डाटा राजधानी लखनऊ सहित 48 जिलों का है, जिसमे 27 जिले का डाटा नदारद है. इस आरटीआई के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलों में प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही हैं.

यौन शोषण मामलों में लखनऊ टॉप पर
इस आरटीआई में 48 जिलों का डाटा संकलन है, जिसके हिसाब से बच्चों के उम्र अनुसार दर्ज यौन शोषण के मामलों में राजधानी लखनऊ बीते 7 वर्षो में टॉप पर रही है. लखनऊ में 800 से अधिक, दूसरे पर पीलीभीत दर्ज मुकदमे 750, तीसरे पर बिजनौर दर्ज मुकदमे 589 और चौथे पर महाराजगंज दर्ज मुकदमे 489. इन आंकड़ो में 27 जिले का डाटा संकलन नही है, जिसका अभी इंतजार है.

आगरा में 85 बच्चों में से कुल 26 बरामद
आगरा में जिले के आंकड़ो के अनुसार बीते 2 महीनों में 85 बच्चों की गुमशुदगी दर्ज की गई. जिसमें अधिकतर मामले प्रेमप्रसंग में बहला-फुसला कर ले जाने के थे. लड़कियां नाबालिग पायी गईं. पुलिस अधिकतर मामलों में बरामदगी की बात कहती है, लेकिन अब तक पुलिस सिर्फ 26 बच्चियों को बरामद कर पायी है. चाइल्ड एक्टिविस्ट के अनुसार जिले में बच्चियों के यौन शोषण के मामले बढ़े हैं, जिन्हें पुलिस दर्ज नहीं करती है और ये चिंता का विषय है.

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