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योगाभ्यास से 62 साल की उम्र में भी महिला ने पाया दवाओं से छुटकारा, जीत चुकी हैं कई राष्ट्रीय पदक - योगाभ्यास से शरीर को बनाया स्वस्थ

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक महिला की कहानी बेहद प्रेरणादायक है. यहां 62 साल की एक महिला को डॉक्टरों ने कहा कि वह बिना दवाओं के नहीं रह सकतीं, लेकिन उन्होंने योगाभ्यास से अपने शरीर को इतना स्वस्थ बना लिया कि उन्हें अब दवाओं की जरूरत ही नहीं पड़ती.

Yoga beat the disease
योगाभ्यास से बीमारी को दी मात
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Published : May 26, 2023, 7:46 PM IST

श्रीकाकुलम: यदि आप अपनी जिंदगी के 40 साल पूरे कर लेते हैं, तो आपको ऐसा लगेगा कि आप अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं. पचास के बाद बीपी और शुगर जैसी बीमारियां आपके शरीर में प्रवेश करने लगती हैं. फिट तो सभी रहना चाहते हैं, लेकिन लोगों के पास फिट न रहने का कोई न कोई बहाना होता है. लेकिन 62 साल की लक्ष्मी बाकी सभी से अलग हैं. क्योंकि इस उम्र में भी वह बीमारी को मात देकर योग के जटिल आसन कर सबको अचंभित कर देती हैं.

डॉक्टरों ने उनसे एक समय में कहा था कि 'आप ज्यादा दिन नहीं जिएंगी, आपको जिंदगी भर दवाइयां और इंजेक्शन लेने होंगे.' इस बात ने उन्हें डरा दिया. उनके पति अप्पन्ना, जो उनके साथ थे, उन्होंने उन्हें योग करने के लिए प्रोत्साहित किया. अब करीब 25 साल हो गए हैं और लक्ष्मी स्वस्थ हैं. वह अधिक लोगों को उत्तम स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. कम उम्र में योग का अभ्यास करते हुए, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग प्रतियोगिताओं में 30 से अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं.

श्रीकाकुलम जिला अमुदलवलसा लगुडु लक्ष्मी का जन्मस्थान है. कुछ साल पहले उन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था. जोड़ों का दर्द, माइग्रेन और कई समस्याएं भी थीं. डॉक्टरों ने कहा कि उनकी बीमारी का कोई इलाज नहीं है और उसका जीना मुश्किल है. उन्हें रोजाना दवाइयां और इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. पूरा घर दवा की दुकान जैसा था. लेकिन उनके पति ने उनका साथ दिया और उन्हें हिम्मत दी.

वह जल संसाधन विभाग के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी है और अपनी पत्नी को किसी भी तरह बचाना चाहते थे, उन्होंने अपनी पत्नी को वह योग शास्त्र सिखाया जो वह जानते थे और उसका अभ्यास करते थे. कुछ ही समय में दवाओं का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी. दोनों पति-पत्नी ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर स्थानीय स्तर पर पतंजलि योग प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की. विभिन्न रोगों से पीड़ित गृहिणियों को नि:शुल्क योग शिक्षा प्रदान की जाती है. जो इच्छुक हैं उन्हें अपने खर्चे पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिताओं में भेजा जाता है.

पढ़ें: आंध्र प्रदेश में करंट लगने से शरीर के अंग हुए खराब, फिर भी नहीं मानी हार, कैट में सफलता हासिल की

शुरुआत में लक्ष्मी ने गृहणियों को उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षित किया. बाद में उन्होंने आसपास के गरीब छात्रों को मुफ्त योग का प्रशिक्षण देना शुरू किया. उनमें से मेधावी व्यक्तियों का चयन कर उन्हें राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इसका खर्च वह वहन कर रही हैं. उन्होंने 2001 से अब तक 5,000 लोगों को प्रशिक्षित किया है. लक्ष्मी कहती हैं कि इनमें से सौ से अधिक छात्रों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं और योग शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं.

श्रीकाकुलम: यदि आप अपनी जिंदगी के 40 साल पूरे कर लेते हैं, तो आपको ऐसा लगेगा कि आप अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं. पचास के बाद बीपी और शुगर जैसी बीमारियां आपके शरीर में प्रवेश करने लगती हैं. फिट तो सभी रहना चाहते हैं, लेकिन लोगों के पास फिट न रहने का कोई न कोई बहाना होता है. लेकिन 62 साल की लक्ष्मी बाकी सभी से अलग हैं. क्योंकि इस उम्र में भी वह बीमारी को मात देकर योग के जटिल आसन कर सबको अचंभित कर देती हैं.

डॉक्टरों ने उनसे एक समय में कहा था कि 'आप ज्यादा दिन नहीं जिएंगी, आपको जिंदगी भर दवाइयां और इंजेक्शन लेने होंगे.' इस बात ने उन्हें डरा दिया. उनके पति अप्पन्ना, जो उनके साथ थे, उन्होंने उन्हें योग करने के लिए प्रोत्साहित किया. अब करीब 25 साल हो गए हैं और लक्ष्मी स्वस्थ हैं. वह अधिक लोगों को उत्तम स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. कम उम्र में योग का अभ्यास करते हुए, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय योग प्रतियोगिताओं में 30 से अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं.

श्रीकाकुलम जिला अमुदलवलसा लगुडु लक्ष्मी का जन्मस्थान है. कुछ साल पहले उन्हें गंभीर दिल का दौरा पड़ा था. जोड़ों का दर्द, माइग्रेन और कई समस्याएं भी थीं. डॉक्टरों ने कहा कि उनकी बीमारी का कोई इलाज नहीं है और उसका जीना मुश्किल है. उन्हें रोजाना दवाइयां और इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. पूरा घर दवा की दुकान जैसा था. लेकिन उनके पति ने उनका साथ दिया और उन्हें हिम्मत दी.

वह जल संसाधन विभाग के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी है और अपनी पत्नी को किसी भी तरह बचाना चाहते थे, उन्होंने अपनी पत्नी को वह योग शास्त्र सिखाया जो वह जानते थे और उसका अभ्यास करते थे. कुछ ही समय में दवाओं का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ी. दोनों पति-पत्नी ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर स्थानीय स्तर पर पतंजलि योग प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की. विभिन्न रोगों से पीड़ित गृहिणियों को नि:शुल्क योग शिक्षा प्रदान की जाती है. जो इच्छुक हैं उन्हें अपने खर्चे पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिताओं में भेजा जाता है.

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शुरुआत में लक्ष्मी ने गृहणियों को उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षित किया. बाद में उन्होंने आसपास के गरीब छात्रों को मुफ्त योग का प्रशिक्षण देना शुरू किया. उनमें से मेधावी व्यक्तियों का चयन कर उन्हें राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इसका खर्च वह वहन कर रही हैं. उन्होंने 2001 से अब तक 5,000 लोगों को प्रशिक्षित किया है. लक्ष्मी कहती हैं कि इनमें से सौ से अधिक छात्रों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हैं और योग शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं.

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