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बेरोजगारी ने पढ़ी-लिखी मनप्रीत को अपने खेतों में काम करने किया मजबूर

पंजाब के गुरदासपुर जिले की युवती मनप्रीत कौर कंप्यूटर साइंस में एमएससी की है. लेकिन अपने धान के खेतों में काम करती हैं और वक्त निकालकर लोगों के घरों में भी काम करती है. इसकी बड़ी वजह बेरोजगारी है. इधर, बेरोजगारी में अपने परिवार का पेट पालने के लिए उसे और उसकी मां को लोगों के घरों में काम करना पड़ता है.

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Published : Jun 28, 2022, 6:30 PM IST

गुरदासपुर : देश में बेरोजगारी आज की युवा पीढ़ी के लिए एक बड़ी समस्या है. गरीब परिवारों का सपना होता है कि पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी और पद मिले, जिसे पाने के लिए वे कड़ी मेहनत कर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं. ये सपना केवल युवाओं का नहीं बल्कि उनके माता-पिता का भी होता है, कि उनका बेटा या बेटी अधिक पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करे. लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी गरीब परिवारों के युवाओं को नौकरी के लिए जगह-जगह भटकना पड़ता है, जिसके बाद घर-घर जाकर नौकरियों और कौशल को प्राथमिकता देने के सरकारी दावे खोखले लगने लगते हैं.

वहीं, कुछ ऐसे युवा भी हैं, जो अपने कौशल के बलबुते खुदा स्टार्ट-अप शुरू करने का विकल्प चुनते हैं, लेकिन आर्थिक समस्या के कारण दूसरे युवा या तो खेतों में अपने परिवार का हाथ बटाते हैं या फिर घर-घर जाकर काम करने को मजबूर होते हैं. ऐसी ही एक युवती पंजाब के गुरदासपुर जिले की है. बगोवन गांव की 25 वर्षीया मनप्रीत कौर कंप्यूटर साइंस में एमएससी पूरी करने के बाद अब धान के खेतों में काम करती है. इतना ही नहीं, अपने परिवार का पेट पालने के लिए लोगों के घरों में तरह-तरह के काम करने को मजबूर है.

मनप्रीत का कहना है कि वे चार भाई-बहन थे. लेकिन अब उनके परिवार में उनकी छोटी बहन और मां ही हैं. मां परमजीत कौर का सपना था कि उनके बच्चे शिक्षित हों और उच्च पद पर नौकरी करें ताकि जो गरीबी उन्होंने देखी है, वह उनके बच्चों को न देखना पड़े. बड़ी बहन ग्रेजुएट है और उसने कई भर्तियों के लिए आवेदन भी किया, लेकिन स्नातक कोर्स में अव्वल आने के बावजूद आर्थिक समस्या के कारण न उसे अच्छी नौकरी मिली और न आगे की पढ़ाई कर सकती. करीब दो साल पहले उसकी शादी कर दी गई.

मनप्रीत के भाई भी सरकारी भर्तियों के लिए तैयारी कर रहे थे, लेकिन कुछ साल पहले (2015) कुछ असामाजिक तत्वों के हमले में उसकी मौत हो गई. पिता इस दुख से बीमार रहने लगे और एक दिन उनकी भी मृत्यु हो गई. फिर भी मां ने लोगों के घरों में काम कर अपनी बाकी दो बेटियों को पढ़ाया. मनप्रीत ने पहले बीएससी और अब एमएससी कंप्यूटर साइंस किया. पढ़ाई के बाद मनप्रीत ने पटवारी और कई अन्य प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाएं दीं, लेकिन कहीं भी बात नहीं बनी. अब परिवार का पेट पालने के लिए पैसों की जरूरत थी, तो उसने लोगों के घरों में अपनी मां के साथ काम करना शुरू कर दिया. इसके अलावा उनके अपने खेतों में भी धान की खेती करती हैं. उन्होंने सरकार से अपील की है कि प्राथमिकता के आधार पर उनके परिवार की मदद की जाए और समाज सेवी संस्थाओं से भी आगे आकर परिवार की मदद करने का निवेदन किया है.

गुरदासपुर : देश में बेरोजगारी आज की युवा पीढ़ी के लिए एक बड़ी समस्या है. गरीब परिवारों का सपना होता है कि पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी और पद मिले, जिसे पाने के लिए वे कड़ी मेहनत कर उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं. ये सपना केवल युवाओं का नहीं बल्कि उनके माता-पिता का भी होता है, कि उनका बेटा या बेटी अधिक पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करे. लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी गरीब परिवारों के युवाओं को नौकरी के लिए जगह-जगह भटकना पड़ता है, जिसके बाद घर-घर जाकर नौकरियों और कौशल को प्राथमिकता देने के सरकारी दावे खोखले लगने लगते हैं.

वहीं, कुछ ऐसे युवा भी हैं, जो अपने कौशल के बलबुते खुदा स्टार्ट-अप शुरू करने का विकल्प चुनते हैं, लेकिन आर्थिक समस्या के कारण दूसरे युवा या तो खेतों में अपने परिवार का हाथ बटाते हैं या फिर घर-घर जाकर काम करने को मजबूर होते हैं. ऐसी ही एक युवती पंजाब के गुरदासपुर जिले की है. बगोवन गांव की 25 वर्षीया मनप्रीत कौर कंप्यूटर साइंस में एमएससी पूरी करने के बाद अब धान के खेतों में काम करती है. इतना ही नहीं, अपने परिवार का पेट पालने के लिए लोगों के घरों में तरह-तरह के काम करने को मजबूर है.

मनप्रीत का कहना है कि वे चार भाई-बहन थे. लेकिन अब उनके परिवार में उनकी छोटी बहन और मां ही हैं. मां परमजीत कौर का सपना था कि उनके बच्चे शिक्षित हों और उच्च पद पर नौकरी करें ताकि जो गरीबी उन्होंने देखी है, वह उनके बच्चों को न देखना पड़े. बड़ी बहन ग्रेजुएट है और उसने कई भर्तियों के लिए आवेदन भी किया, लेकिन स्नातक कोर्स में अव्वल आने के बावजूद आर्थिक समस्या के कारण न उसे अच्छी नौकरी मिली और न आगे की पढ़ाई कर सकती. करीब दो साल पहले उसकी शादी कर दी गई.

मनप्रीत के भाई भी सरकारी भर्तियों के लिए तैयारी कर रहे थे, लेकिन कुछ साल पहले (2015) कुछ असामाजिक तत्वों के हमले में उसकी मौत हो गई. पिता इस दुख से बीमार रहने लगे और एक दिन उनकी भी मृत्यु हो गई. फिर भी मां ने लोगों के घरों में काम कर अपनी बाकी दो बेटियों को पढ़ाया. मनप्रीत ने पहले बीएससी और अब एमएससी कंप्यूटर साइंस किया. पढ़ाई के बाद मनप्रीत ने पटवारी और कई अन्य प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाएं दीं, लेकिन कहीं भी बात नहीं बनी. अब परिवार का पेट पालने के लिए पैसों की जरूरत थी, तो उसने लोगों के घरों में अपनी मां के साथ काम करना शुरू कर दिया. इसके अलावा उनके अपने खेतों में भी धान की खेती करती हैं. उन्होंने सरकार से अपील की है कि प्राथमिकता के आधार पर उनके परिवार की मदद की जाए और समाज सेवी संस्थाओं से भी आगे आकर परिवार की मदद करने का निवेदन किया है.

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