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#etv dharma: ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा, प्रसन्न होकर बरसायेंगी कृपा

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में खुले में खीर रखने से उसमें अमृत बरसता है. उसके बाद यह खीर खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और रोग मुक्त हो जाता है. कहा जाता है कि इस दिन अमृत की वर्षा होती है और चंद्रमा धरती के सबसे पास होता है. मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन व वैभव में वृद्धि होती है.

शरद पूर्णिमा पर ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
शरद पूर्णिमा पर ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
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Published : Oct 17, 2021, 9:26 AM IST

नई दिल्लीः सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बेहद खास त्योहार माना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि इस वर्ष शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आकाश से अमृत की बूंदों की वर्षा होती है. इस बार पंचांग भेद की वजह से कुछ जगहों पर 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएग. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं.

अनीष व्यास बताते हैं कि देश के कई इलाकों में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कोजागरी पूर्णिमा का त्योहार पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल व ओडिशा में मान्यता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.

शरद पूर्णिमा पर करें मां लक्ष्मी की पूजा

पौराणिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा पर ही महारास की रचना की थी. इस दिन चंद्र देवता की विशेष पूजा की जाती है और खीर का भोग लगाया जाता है. रात में आसमान के नीचे खीर रखी जाती है. ऐसा माना जाता है कि अमृत वर्षा से खीर भी अमृत के समान हो जाती है.

ये भी पढ़ें-दीपावली पर दुर्लभ संयोग देगा आर्थिक लाभ, शुभ फल की होगी प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं. इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है और पृथ्वी पर चारों तरफ चंद्रमा की उजियारी फैली होती है. धरती जैसे दूधिया रोशनी में नहा जाती है.

ये भी पढ़ें-#etv dharma: शरद पूर्णिमा तक खरीदारी के लिए शुभ रहेगा समय

अनीष व्यास बताते हैं कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें. नदी में स्नान नहीं कर सकते, तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें. चौकी के ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं. अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन करें. इसके बाद लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें. पूजन संपन्न होने के बाद आरती करें. शाम के समय पुनः मां और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें. चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें. मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं.

शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ-19 अक्टूबर शाम 7 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर

नई दिल्लीः सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बेहद खास त्योहार माना जाता है. शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि इस वर्ष शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही शरद पूर्णिमा कहा जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आकाश से अमृत की बूंदों की वर्षा होती है. इस बार पंचांग भेद की वजह से कुछ जगहों पर 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएग. शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं.

अनीष व्यास बताते हैं कि देश के कई इलाकों में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कोजागरी पूर्णिमा का त्योहार पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल व ओडिशा में मान्यता है कि विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.

शरद पूर्णिमा पर करें मां लक्ष्मी की पूजा

पौराणिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा पर ही महारास की रचना की थी. इस दिन चंद्र देवता की विशेष पूजा की जाती है और खीर का भोग लगाया जाता है. रात में आसमान के नीचे खीर रखी जाती है. ऐसा माना जाता है कि अमृत वर्षा से खीर भी अमृत के समान हो जाती है.

ये भी पढ़ें-दीपावली पर दुर्लभ संयोग देगा आर्थिक लाभ, शुभ फल की होगी प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, वे उस पर कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं. इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होता है और पृथ्वी पर चारों तरफ चंद्रमा की उजियारी फैली होती है. धरती जैसे दूधिया रोशनी में नहा जाती है.

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अनीष व्यास बताते हैं कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें. नदी में स्नान नहीं कर सकते, तो घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें. चौकी के ऊपर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं. अब लाल फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी आदि से मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन करें. इसके बाद लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें. पूजन संपन्न होने के बाद आरती करें. शाम के समय पुनः मां और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें. चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें. मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं.

शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ-19 अक्टूबर शाम 7 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर

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