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किसान आंदोलन : ईटीवी भारत से बयां किया दर्द, किसी ने खोया बेटा तो किसी ने पति

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का संघर्ष दिल्ली बॉर्डर पर पिछले एक महीने से जारी है. कृषि कानूनों से आहत कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली. इसको लेकर ईटीवी भारत ने मृतक किसानों के परिजनों से बातचीत की है.

farmer protest
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Published : Dec 27, 2020, 5:57 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक महीना हो गया है. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है. किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जिसके मद्देनजर दिल्ली के अन्य राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर लगातार सुरक्षा इंतजाम किया जा रहा है.

इसी बीच दिल्ली हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर ईटीवी भारत ने कुछ ऐसी महिलाओं से बात की जिनके परिवार में किसी ना किसी व्यक्ति ने कृषि कानूनों के चलते आत्महत्या की है. इन आत्महत्याओं का कारण खेती-बाड़ी में लगातार बढ़ रहे घाटे के कारण हुई है. बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं ने परिवार में पति या बेटे की आत्महत्या के बाद वे किस तरह से अपनी जिंदगी बसर कर रही हैं इस पर चर्चा की.

मृत किसानों के परिजनों से बातचीत.

पढ़ें :- किसान आंदोलन : 'मन की बात' कार्यक्रम का किसानों ने थाली बजाकर किया विरोध

इसी दौरान किसानों ने भी अपना दर्द ईटीवी भारत के साथ बांटा. पंजाब के संगरूर से आए नछत्तर सिंह एक ऐसे किसान हैं जिनके 21 वर्ष के नौजवान बेटे ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि कर्ज चुकाने के चलते वह स्कूल के बाद की पढ़ाई नहीं कर पाया. 2007 में उनके बेटे ने आत्महत्या की और उस वक्त उनके पास 8 एकड़ जमीन थी और 16 लाख कर्ज था. आज 13 साल बाद ये कर्ज, तो नहीं चुका पाए लेकिन जमीन बिक कर केवल 2.5 एकड़ रह गई है.

बेटे को खोने देने वाले किसान से बातचीत.

नई दिल्ली : दिल्ली की सीमा पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक महीना हो गया है. सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत अब तक बेनतीजा रही है. किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जिसके मद्देनजर दिल्ली के अन्य राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर लगातार सुरक्षा इंतजाम किया जा रहा है.

इसी बीच दिल्ली हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर ईटीवी भारत ने कुछ ऐसी महिलाओं से बात की जिनके परिवार में किसी ना किसी व्यक्ति ने कृषि कानूनों के चलते आत्महत्या की है. इन आत्महत्याओं का कारण खेती-बाड़ी में लगातार बढ़ रहे घाटे के कारण हुई है. बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं ने परिवार में पति या बेटे की आत्महत्या के बाद वे किस तरह से अपनी जिंदगी बसर कर रही हैं इस पर चर्चा की.

मृत किसानों के परिजनों से बातचीत.

पढ़ें :- किसान आंदोलन : 'मन की बात' कार्यक्रम का किसानों ने थाली बजाकर किया विरोध

इसी दौरान किसानों ने भी अपना दर्द ईटीवी भारत के साथ बांटा. पंजाब के संगरूर से आए नछत्तर सिंह एक ऐसे किसान हैं जिनके 21 वर्ष के नौजवान बेटे ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि कर्ज चुकाने के चलते वह स्कूल के बाद की पढ़ाई नहीं कर पाया. 2007 में उनके बेटे ने आत्महत्या की और उस वक्त उनके पास 8 एकड़ जमीन थी और 16 लाख कर्ज था. आज 13 साल बाद ये कर्ज, तो नहीं चुका पाए लेकिन जमीन बिक कर केवल 2.5 एकड़ रह गई है.

बेटे को खोने देने वाले किसान से बातचीत.
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