ETV Bharat / bharat

ईटीवी भारत से खास बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने किया बड़ा खुलासा

देश में किसान आंदोलन का ये पहला मौका नहीं है. पहले भी बड़े आंदोलन होते रहे हैं. सरकार और किसान हमेशा से दो अलग ध्रूव रहे हैं और राजनीति, जनप्रतिनिधि बीच की कड़ी बनते रहे हैं. मौजूदा हालात में देश की राजधानी की सड़कों पर किसान आंदोलनकारी जमे हुए हैं. न सर्दी की फिक्र और न ही कोरोना का डर. कानून में कौन से वो पहलू हैं और कौन सी आशंकायें है, जिसके मद्देनजर किसान दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. किसान दिवस के मौके पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से बात की दिल्ली स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत ने....

rakesh tikait
खास बातचीत
author img

By

Published : Dec 23, 2020, 9:26 AM IST

देखिए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के साथ खास बातचीत-

सवाल: किसान किन मुद्दे पर अडिग हैं, सरकार से क्या चाहते हैं ?

जवाब: सुधार बिल के नाम पर जो तीन संशोधित कृषि कानून लाए गए हैं वो किसानों के हित में नहीं है. सरकार व्यापारियों और दुकानदारों की मांगें ही पूरी करेगी, लेकिन कहती है कि यह किसानों के लिए सुधार बिल है. हमारी सरकार से मांग है कि इन बिलों को वापस लो और नया जो एमएसपी (MSP) है उस पर कानून बनाओ. जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा, तब तक किसानों को फायदा नहीं होगा.

सवाल: सरकार का कहना है कि जो कृषि कानून लागू किया गया है उसमें एमएसपी हटाने का कोई प्रावधान है ही नहीं, इस पर आपकी क्या कहेंगे?

जवाब: हमनें एमएसपी हटाने की बात ही नहीं की, हम तो एमएसपी पर कानून चाहते हैं, इससे जो भी व्यापारी आएगा वो एमएसपी से नीचे रेट पर हमारी उपज को खरीद नहीं पाएगा.

सवाल: कानून को वापस लेने की मांग ऐसा मसला है जो दोनों पक्षों की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है. फिलहाल मैं, आपके जरिए किसान पक्ष से मुखातिब हूं, इसीलिए से पूछ रहा हूं कहीं इसे आपने प्रतिष्ठा का मुद्दा तो नहीं बना लिया?

जवाब: तीनों कृषि कानून में कई सवाल हैं जिसके चलते हम कानून को वापस लेने की मांग कर रहे है. सबसे बड़ी समस्या भंडारण की है, जिसके चलते व्यापरियों ने पहले से भंडारण की सुविधा तैयार कर ली. व्यापरियों को खुली छूट दे दी गई लाखों का भंडारण कर सकें. एमएसपी है नहीं और सस्ते में अनाज खरीद कर उसे मार्केट में बेच कर मुनाफे वो कमाए.

सवाल: आखिर किसान और सरकार में समझौते का रास्ता कैसे बनेगा जब दोनों ही पीछे हटने को तैयार नहीं?

जवाब: हम समझौता कहां कर रहे हैं. हम कानून को वापस को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सरकार को ही रास्ता बनाने की जरूरत है. दिल्ली थोड़ा ऊंचा सुनती है तो सरकार को थोड़ा ऊंचा सुनाना पड़ेगा. हम अपनी बातों पर खड़े हैं, जब तक कोई बात नहीं बनी अपने घर वापस नहीं जाने वाले.

सवाल: आपने कहा कि सरकार के विरुद्ध हल क्रांति करेंगे, क्या होगा उसमें?

जवाब: हल क्रांति पर बैन है क्या है देश में, हम हल क्रांति करेंगे. हम अपने खेतों के औजारों को खेतों में ना सही सड़कों पर ही दिखा सकते हैं. 26 जनवरी को हल क्रांति की जाएगी. दिल्ली की परेड में शामिल होगा किसान.

सवाल: एक सवाल यह कि क्या किसान आंदोलन के सभी पक्ष एकजुट हैं, क्या सभी किसान,सभी मांगों पर साथ हैं, अलग-अलग राज्यों में कृषि के अलग-अलग मुद्दे हैं?

जवाब: ये तीनों कानून तो हर किसान के विरोध में है. एमएसपी उन किसानों का मुद्दा है, जो किसान फसल पैदा करते हैं. दूध, सब्जी और फल में भी एमएसपी होनी चाहिए.

सवाल: सरकार बहुमत में है और समाधान नहीं हो रहा। तो क्या ये WAIT AND WATCH की रणनीति है?

जवाब: हम तो सात साल से वेट एंड वॉच ही तो कर रहे हैं. सात साल के बाद दिल्ली में आए. ये आंदोलन तो चलता रहेगा जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती. सरकार ने जो गलतफहमी पाल रखी है उसे दूर कर ले हम यहां से नहीं हिलने वाले.

सवाल: क्या आपको लगता है कि दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों की बात सभी देश के किसानों तक पहुंच रही है?

जवाब: जी हां पूरा समर्थन मिल रहा है. रेल चल नहीं है इस सभी किसान यहां नहीं आ पा रहे हैं. सरकार कहती है किसान रेल रोकने की बात कह रहे हैं और हम रेल खोलने की बात कर रहे हैं. गर्मी का मौसम आते ही जो साउथ के किसान हैं वो भी हमारे साथ आ जाएंगे. पुलिस प्रशासन किसानों को रोकने की कोशिश कर रहा है.

सवाल: सरकार लिखित में आश्वासन देने को तैयार है एमएसपी पर फिर भी बात क्यों नहीं बन रही?

जवाब: हमने सरकार से लिखित में आश्वासन नहीं मांगा. हमनें कानून बनाने की मांग की है. तीनों कानून को वापस लें और एमएसपी पर कानून बनाए सरकार.

सवाल: सरकार का कहना है 2022 तक किसानों की आय को बढ़ा देंगे तो इस पर आपकी क्या दलीलें हैं?

जवाब: हमने सुझाव पर कोई बात नहीं कि ना ही हमने संशोधन की बात की हमारी मांग है कि कानून को वापस ले सरकार, स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया जाए. प्रधानमंत्री के अधिकारी गलत दस्तावेज देकर सरकार से झूठ बुलवाने का काम करते हैं. सरकार आमदनी को दोगना करने की बात कर रही है, यहां तो उपज के रेट ही घट गए. कोरोना काल में हमने देश को अनाज दिया, हमनें पुलिस की लाठियां खाई, हमनें हर तरफ से मदद की. हमारी ही मदद सरकार नहीं कर रही, हमारी बात नहीं मान रही है.

सवाल: क्या अब तक की बातचीत में सरकार से कोई संकेत मिला है, कोई सुलह की गुंजाइश है?

जवाब: अभी तक कोई संदेश या हिंट नहीं मिला. अभी एमएसपी पर बातचीत नहीं हुई. पहले सरकार कानून वापस ले फिर हम आगे की बातचीत करेंगे.

सवाल: किसान का क्या मॉडल है जो किसानों को तरक्की की राह पर ले जाएगा. सरकार ने अपना मॉडल रख दिया है। आपका मॉडल क्या है ?

जवाब: हमारे साथ पूर्ण रूप से धोखा हुआ है. जो टिकैत फार्मूला है उसे देश में लागू कर दिया जाए. 1967 का आधार वर्ष मान करके हमारी फसलों के रेट तय हो जाए तो किसान खुशहाल रहेगा.

सवाल: कई सरकारें आई और गईं, कई किसान आंदोलन हुए हैं देश में मगर हालात नहीं बदले हैं. इस बार आपको क्या उम्मीदें हैं और क्यों लगता है कि सरकार आपकी बात मान जाएगी?

जवाब: अगर हमारी मांगे अभी तक नहीं पूरी हो तो हम लगातार अपनी मांगों को उठाते रहेंगे. आंदोलन जारी होगा. देश को 90 वर्ष लगे आजाद होने में लगे, किसान को कब आजादी मिलेगी पता नहीं लेकिन हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

सवाल: अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. क्या लगता है कोई उम्मीद है?

जवाब: हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं और ये आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा. सरकार पीछे नहीं हठ रही तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे.

सवाल: इस मसले के हल होने के बाद क्या किसानों की बुनियादी समस्याएं खत्म हो जाएंगी?

जवाब: सरकार पहले हमारी बात तो सुने, हमारे बहुत सारे इश्यू हैं. सरकार ने एक भी समस्या पर बात करके कोई हल नहीं निकाला है. फसल की कीमत, बिजली की समस्या, क्रेडिट कार्ड की समास्या और 10 साल पुराने ट्रैक्टर की समस्या है. पहले सरकार बात करने को तो तैयार तो हो.

सवाल: किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों की गतिविधियां बढ़ रही है. आंदोलन पर राजनीति और आंदोलन में राजनीति के पहलू से कैसे निपटेंगे?

जवाब: किसानों के बीच कोई राजनीति नहीं है. अगर कोई दल कर रहा है तो उसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है. पिपक्ष का काम ही है तो उसमें हम क्या कर सकते हैं. हमारा किसी पार्टी के खिलाफ आंदोलन नहीं है. हमारी लड़ाई भारत सरकार और राज्या सरकार के खिलाफ है. जो भी सरकारें दिक्कतें पैदा करेंगी उसके खिलाफ आंदोलन होगा. अगर कोई ऐसी ओछी राजनीति करता है तो हम उससे भी निपट लेंगे. हम किसी दल या पार्टी से मांग नहीं कर रहे. हमारी मांगे सरकार से है. चाहे सरकार किसी भी दल की हो.

सवाल: अब आगे की क्या पहल है. क्या कोई संकेत हैं क्योंकि किसान सड़कों पर बैठा है?

जवाब: सरकार को शर्म आनी चाहिए कि किसान सड़कों पर बैठा है. देश का अन्नदाता जो देश को अन्न देता है वो आज सड़कों पर है तो इसमें देश की सरकार को शर्म आनी चाहिए.

सवाल: अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक दलों के किसानों के प्रकोष्ठ बने हैं जिनके अलग-अलग विचार है. उन पर आप क्या कहेंगे?

जवाब: सरकार कहा सभी से बात हुई जबकि किसी संगठन और किसान दल से बात नहीं की. सभी की बात सुनी जाए तब कोई हल होगा ना. यहां आंदोलन में कोई राजनीति या कोई अलग बातों पर बात नहीं करता. सभी किसान तीनों कृषि कानून के खिलाफ एक साथ खड़े हैं.

सवाल: कोरोना,सर्दी जैसी परेशानियां हो रही हैं. आंदोलन में किसानों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है. इस पर आपकी क्या राय है?

जवाब: आंदोलन के चलते कई किसान शहीद हो गए. प्रशासन का काम है कि किसानों के लिए व्यवस्था करें. साथ ही सुरक्षा को लेकर इंतजाम करना चाहिए. बात कोरोना को लेकर तो बिहार चुनाव में कोरोना नहीं था या तेलंगाना में कोरोना नहीं था.

सवाल: ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार और किसानों को क्या कहना चाहते हैं?

जवाब: हम यहां से लड़ाई जीत के ही जाएंगे हार के नहीं जाएंगे. किसानों की जो मांग हा उसे सरकार पूरा करे. तीनों कृषि कानूनों का वापस लें.

देखिए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के साथ खास बातचीत-

सवाल: किसान किन मुद्दे पर अडिग हैं, सरकार से क्या चाहते हैं ?

जवाब: सुधार बिल के नाम पर जो तीन संशोधित कृषि कानून लाए गए हैं वो किसानों के हित में नहीं है. सरकार व्यापारियों और दुकानदारों की मांगें ही पूरी करेगी, लेकिन कहती है कि यह किसानों के लिए सुधार बिल है. हमारी सरकार से मांग है कि इन बिलों को वापस लो और नया जो एमएसपी (MSP) है उस पर कानून बनाओ. जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा, तब तक किसानों को फायदा नहीं होगा.

सवाल: सरकार का कहना है कि जो कृषि कानून लागू किया गया है उसमें एमएसपी हटाने का कोई प्रावधान है ही नहीं, इस पर आपकी क्या कहेंगे?

जवाब: हमनें एमएसपी हटाने की बात ही नहीं की, हम तो एमएसपी पर कानून चाहते हैं, इससे जो भी व्यापारी आएगा वो एमएसपी से नीचे रेट पर हमारी उपज को खरीद नहीं पाएगा.

सवाल: कानून को वापस लेने की मांग ऐसा मसला है जो दोनों पक्षों की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है. फिलहाल मैं, आपके जरिए किसान पक्ष से मुखातिब हूं, इसीलिए से पूछ रहा हूं कहीं इसे आपने प्रतिष्ठा का मुद्दा तो नहीं बना लिया?

जवाब: तीनों कृषि कानून में कई सवाल हैं जिसके चलते हम कानून को वापस लेने की मांग कर रहे है. सबसे बड़ी समस्या भंडारण की है, जिसके चलते व्यापरियों ने पहले से भंडारण की सुविधा तैयार कर ली. व्यापरियों को खुली छूट दे दी गई लाखों का भंडारण कर सकें. एमएसपी है नहीं और सस्ते में अनाज खरीद कर उसे मार्केट में बेच कर मुनाफे वो कमाए.

सवाल: आखिर किसान और सरकार में समझौते का रास्ता कैसे बनेगा जब दोनों ही पीछे हटने को तैयार नहीं?

जवाब: हम समझौता कहां कर रहे हैं. हम कानून को वापस को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सरकार को ही रास्ता बनाने की जरूरत है. दिल्ली थोड़ा ऊंचा सुनती है तो सरकार को थोड़ा ऊंचा सुनाना पड़ेगा. हम अपनी बातों पर खड़े हैं, जब तक कोई बात नहीं बनी अपने घर वापस नहीं जाने वाले.

सवाल: आपने कहा कि सरकार के विरुद्ध हल क्रांति करेंगे, क्या होगा उसमें?

जवाब: हल क्रांति पर बैन है क्या है देश में, हम हल क्रांति करेंगे. हम अपने खेतों के औजारों को खेतों में ना सही सड़कों पर ही दिखा सकते हैं. 26 जनवरी को हल क्रांति की जाएगी. दिल्ली की परेड में शामिल होगा किसान.

सवाल: एक सवाल यह कि क्या किसान आंदोलन के सभी पक्ष एकजुट हैं, क्या सभी किसान,सभी मांगों पर साथ हैं, अलग-अलग राज्यों में कृषि के अलग-अलग मुद्दे हैं?

जवाब: ये तीनों कानून तो हर किसान के विरोध में है. एमएसपी उन किसानों का मुद्दा है, जो किसान फसल पैदा करते हैं. दूध, सब्जी और फल में भी एमएसपी होनी चाहिए.

सवाल: सरकार बहुमत में है और समाधान नहीं हो रहा। तो क्या ये WAIT AND WATCH की रणनीति है?

जवाब: हम तो सात साल से वेट एंड वॉच ही तो कर रहे हैं. सात साल के बाद दिल्ली में आए. ये आंदोलन तो चलता रहेगा जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती. सरकार ने जो गलतफहमी पाल रखी है उसे दूर कर ले हम यहां से नहीं हिलने वाले.

सवाल: क्या आपको लगता है कि दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों की बात सभी देश के किसानों तक पहुंच रही है?

जवाब: जी हां पूरा समर्थन मिल रहा है. रेल चल नहीं है इस सभी किसान यहां नहीं आ पा रहे हैं. सरकार कहती है किसान रेल रोकने की बात कह रहे हैं और हम रेल खोलने की बात कर रहे हैं. गर्मी का मौसम आते ही जो साउथ के किसान हैं वो भी हमारे साथ आ जाएंगे. पुलिस प्रशासन किसानों को रोकने की कोशिश कर रहा है.

सवाल: सरकार लिखित में आश्वासन देने को तैयार है एमएसपी पर फिर भी बात क्यों नहीं बन रही?

जवाब: हमने सरकार से लिखित में आश्वासन नहीं मांगा. हमनें कानून बनाने की मांग की है. तीनों कानून को वापस लें और एमएसपी पर कानून बनाए सरकार.

सवाल: सरकार का कहना है 2022 तक किसानों की आय को बढ़ा देंगे तो इस पर आपकी क्या दलीलें हैं?

जवाब: हमने सुझाव पर कोई बात नहीं कि ना ही हमने संशोधन की बात की हमारी मांग है कि कानून को वापस ले सरकार, स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया जाए. प्रधानमंत्री के अधिकारी गलत दस्तावेज देकर सरकार से झूठ बुलवाने का काम करते हैं. सरकार आमदनी को दोगना करने की बात कर रही है, यहां तो उपज के रेट ही घट गए. कोरोना काल में हमने देश को अनाज दिया, हमनें पुलिस की लाठियां खाई, हमनें हर तरफ से मदद की. हमारी ही मदद सरकार नहीं कर रही, हमारी बात नहीं मान रही है.

सवाल: क्या अब तक की बातचीत में सरकार से कोई संकेत मिला है, कोई सुलह की गुंजाइश है?

जवाब: अभी तक कोई संदेश या हिंट नहीं मिला. अभी एमएसपी पर बातचीत नहीं हुई. पहले सरकार कानून वापस ले फिर हम आगे की बातचीत करेंगे.

सवाल: किसान का क्या मॉडल है जो किसानों को तरक्की की राह पर ले जाएगा. सरकार ने अपना मॉडल रख दिया है। आपका मॉडल क्या है ?

जवाब: हमारे साथ पूर्ण रूप से धोखा हुआ है. जो टिकैत फार्मूला है उसे देश में लागू कर दिया जाए. 1967 का आधार वर्ष मान करके हमारी फसलों के रेट तय हो जाए तो किसान खुशहाल रहेगा.

सवाल: कई सरकारें आई और गईं, कई किसान आंदोलन हुए हैं देश में मगर हालात नहीं बदले हैं. इस बार आपको क्या उम्मीदें हैं और क्यों लगता है कि सरकार आपकी बात मान जाएगी?

जवाब: अगर हमारी मांगे अभी तक नहीं पूरी हो तो हम लगातार अपनी मांगों को उठाते रहेंगे. आंदोलन जारी होगा. देश को 90 वर्ष लगे आजाद होने में लगे, किसान को कब आजादी मिलेगी पता नहीं लेकिन हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

सवाल: अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. क्या लगता है कोई उम्मीद है?

जवाब: हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं और ये आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा. सरकार पीछे नहीं हठ रही तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे.

सवाल: इस मसले के हल होने के बाद क्या किसानों की बुनियादी समस्याएं खत्म हो जाएंगी?

जवाब: सरकार पहले हमारी बात तो सुने, हमारे बहुत सारे इश्यू हैं. सरकार ने एक भी समस्या पर बात करके कोई हल नहीं निकाला है. फसल की कीमत, बिजली की समस्या, क्रेडिट कार्ड की समास्या और 10 साल पुराने ट्रैक्टर की समस्या है. पहले सरकार बात करने को तो तैयार तो हो.

सवाल: किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों की गतिविधियां बढ़ रही है. आंदोलन पर राजनीति और आंदोलन में राजनीति के पहलू से कैसे निपटेंगे?

जवाब: किसानों के बीच कोई राजनीति नहीं है. अगर कोई दल कर रहा है तो उसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं है. पिपक्ष का काम ही है तो उसमें हम क्या कर सकते हैं. हमारा किसी पार्टी के खिलाफ आंदोलन नहीं है. हमारी लड़ाई भारत सरकार और राज्या सरकार के खिलाफ है. जो भी सरकारें दिक्कतें पैदा करेंगी उसके खिलाफ आंदोलन होगा. अगर कोई ऐसी ओछी राजनीति करता है तो हम उससे भी निपट लेंगे. हम किसी दल या पार्टी से मांग नहीं कर रहे. हमारी मांगे सरकार से है. चाहे सरकार किसी भी दल की हो.

सवाल: अब आगे की क्या पहल है. क्या कोई संकेत हैं क्योंकि किसान सड़कों पर बैठा है?

जवाब: सरकार को शर्म आनी चाहिए कि किसान सड़कों पर बैठा है. देश का अन्नदाता जो देश को अन्न देता है वो आज सड़कों पर है तो इसमें देश की सरकार को शर्म आनी चाहिए.

सवाल: अलग-अलग राज्यों में राजनीतिक दलों के किसानों के प्रकोष्ठ बने हैं जिनके अलग-अलग विचार है. उन पर आप क्या कहेंगे?

जवाब: सरकार कहा सभी से बात हुई जबकि किसी संगठन और किसान दल से बात नहीं की. सभी की बात सुनी जाए तब कोई हल होगा ना. यहां आंदोलन में कोई राजनीति या कोई अलग बातों पर बात नहीं करता. सभी किसान तीनों कृषि कानून के खिलाफ एक साथ खड़े हैं.

सवाल: कोरोना,सर्दी जैसी परेशानियां हो रही हैं. आंदोलन में किसानों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रहती है. इस पर आपकी क्या राय है?

जवाब: आंदोलन के चलते कई किसान शहीद हो गए. प्रशासन का काम है कि किसानों के लिए व्यवस्था करें. साथ ही सुरक्षा को लेकर इंतजाम करना चाहिए. बात कोरोना को लेकर तो बिहार चुनाव में कोरोना नहीं था या तेलंगाना में कोरोना नहीं था.

सवाल: ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार और किसानों को क्या कहना चाहते हैं?

जवाब: हम यहां से लड़ाई जीत के ही जाएंगे हार के नहीं जाएंगे. किसानों की जो मांग हा उसे सरकार पूरा करे. तीनों कृषि कानूनों का वापस लें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.