नई दिल्लीः इस साल 19 नवंबर से 13 दिसंबर तक केवल 15 मुहूर्त हैं. ऐसे में देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) से शादियां प्रारंभ हो जाएगी. नवंबर-दिसंबर में 15 दिन के शादियों के मुहूर्त में कई जोड़े शादी के बंधन में बंधेंगे. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से शुभकार्य प्रारंभ हो जाते हैं.
अनीष व्यास के अनुसार, जुलाई में देवशयन होने के बाद 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पर विवाह मुहूर्त के साथ शादियों का दौर फिर शुरू होगा. नवंबर में 7 और दिसंबर में 15 तारीख के पहले तक विवाह के सिर्फ 8 मुहूर्त ही होंगे.
ये रहेंगे मुहूर्त
नवंबर-19, 20, 21, 26, 28, 29 व 30
दिसंबर-1, 2, 5, 6, 7, 11, 12 व 13
15 नवंबर को चातुर्मास का समापन होगा. इसके साथ शुभ कार्य शुरू होगें. 16 दिसंबर 2021 से 13 जनवरी 2022 तक धनु संक्रांति का मलमास रहेगा.
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यह हैं 2022 शादी के श्रेष्ठ मुहूर्त
जनवरी – 15, 20, 21, 22, 23, 25, 26, 27, 28, 29
फरवरी – 5, 6, 9, 10, 11, 16, 17, 19 और 20
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चार और नौ मार्च को भी शुभ विवाह (happy marriage) का योग है. वहीं 14, 17, 21 और 22 अप्रैल को भी शादी की तिथि है. इसके अलावा, 11, 12, 18, 20 और 25 मई को भी शुभ विवाह का मुहूर्त है. 16, 10, 12, 15, 16 जून के अलावा, 3, 6, 8, 10, 11 और 14 जुलाई को भी विवाह किया जा सकता है. इसके बाद फिर नवंबर, 2022 में ही विवाह का मुहूर्त निकलेगा.
विवाह मुहूर्त में लग्न का महत्व
शादी-ब्याह के संबंध में लग्न का अर्थ होता है फेरे का समय. लग्न का निर्धारण शादी की तारीख तय होने के बाद ही होता है. यदि विवाह लग्न के निर्धारण में गलती होती है, तो विवाह के लिए यह एक गंभीर दोष माना जाता है. विवाह संस्कार में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग व नक्षत्रों को शरीर का अंग और लग्न को आत्मा माना गया है, यानि लग्न के बिना विवाह अधूरा होता है.
क्यों मिलाई जाती है कुंडली
अनीष व्यास ने बताया कि रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार, विवाह में वर और वधू की कुंडलियों को मिलाया जाता है. इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है. जब दोनों के न्यूनतम 18 से 32 गुण मिल जाते हैं, तो ही उनकी शादी के सफल होने की संभावना बनती है. बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके गुण मिलान में 24 से 32 गुण तक मिलते हैं, लेकिन वैवाहिक जीवन बहुत ही दुश्वारियों भरा होता है.