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पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन की राय- इस बार नहीं है ग्रीन बजट

बजट में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को दी जाने वाली राशि में 230 करोड़ रुपये की कटौती ने पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ा दी है. उनका मानना है कि इसका असर पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कामों पर पड़ सकता है.

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन
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Published : Feb 2, 2021, 8:07 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय बजट 2021-22 में पर्यावरण मंत्रालय को दी जाने वाली राशि घटा दी गई है. इस वर्ष मंत्रालय के लिए आवंटित कुल बजट 2,869.93 करोड़ रुपये है, जबकि पिछले साल यह 3,100 करोड़ रुपये था.

इस मामले पर बात करते हुए ओआरएफ कोलकाता के निदेशक व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन घोष ने कहा, बजट में दो-तीन ऐसी चीजें हैं जो पर्यावरण को लेकर चिंता बढ़ाती हैं, इन पर विचार किए जाने की जरूरत है.

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कितनी राशि आवंटित की गई है, इसका जिक्र नहीं किया गया है. बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय का भी मुद्दा है जो बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए जरूरी है, इसलिए मेरे हिसाब से ये 'ज्यादा ग्रीन बजट' नहीं है. हालांकि 42 शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र ने अलग से 2,217 करोड़ रुपये की राशि रखी है. इसके अलावा राष्ट्रीय तटीय मिशन के लिए राशि पिछले वित्त वर्ष में 103 करोड़ रुपये से लगभग दोगुनी होकर 2021-22 में 200 करोड़ रुपये हो गई है.

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन

पहली बार वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए नवगठित समिति के लिए 20 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है, लेकिन केंद्र ने जलवायु परिवर्तन कार्य योजना में आवंटित राशि को 10 करोड़ रुपये और प्रोजेक्ट टाइगर को 50 करोड़ रुपये से कम कर दिया है.

पढ़ें- मानव जाति के लिए खतरा बन रहा है समुद्री प्रदूषण

नीलांजन घोष ने कहा कि यह सराहनीय है कि बजट में जैव विविधता की खोज के लिए धन की जो जरूरत पर जोर दिया गया है, यह 'ब्ल्यू अर्थव्यवस्था' के लिए अच्छा है.

नई दिल्ली : केंद्रीय बजट 2021-22 में पर्यावरण मंत्रालय को दी जाने वाली राशि घटा दी गई है. इस वर्ष मंत्रालय के लिए आवंटित कुल बजट 2,869.93 करोड़ रुपये है, जबकि पिछले साल यह 3,100 करोड़ रुपये था.

इस मामले पर बात करते हुए ओआरएफ कोलकाता के निदेशक व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन घोष ने कहा, बजट में दो-तीन ऐसी चीजें हैं जो पर्यावरण को लेकर चिंता बढ़ाती हैं, इन पर विचार किए जाने की जरूरत है.

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कितनी राशि आवंटित की गई है, इसका जिक्र नहीं किया गया है. बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय का भी मुद्दा है जो बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए जरूरी है, इसलिए मेरे हिसाब से ये 'ज्यादा ग्रीन बजट' नहीं है. हालांकि 42 शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र ने अलग से 2,217 करोड़ रुपये की राशि रखी है. इसके अलावा राष्ट्रीय तटीय मिशन के लिए राशि पिछले वित्त वर्ष में 103 करोड़ रुपये से लगभग दोगुनी होकर 2021-22 में 200 करोड़ रुपये हो गई है.

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नीलांजन

पहली बार वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए नवगठित समिति के लिए 20 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है, लेकिन केंद्र ने जलवायु परिवर्तन कार्य योजना में आवंटित राशि को 10 करोड़ रुपये और प्रोजेक्ट टाइगर को 50 करोड़ रुपये से कम कर दिया है.

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नीलांजन घोष ने कहा कि यह सराहनीय है कि बजट में जैव विविधता की खोज के लिए धन की जो जरूरत पर जोर दिया गया है, यह 'ब्ल्यू अर्थव्यवस्था' के लिए अच्छा है.

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