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हरियाली के लिए हवन: पेड़ों को कटने से बचाने के लिए अनोखा प्रयास

छत्तीसगढ़ के बालोद जिला स्थित दैहान बायपास मार्ग निर्माण के लिए प्रस्तावित लगभग 3,000 पेड़ों की बलि दी जानी है. जिसका पर्यावरण प्रेमी अपने तरीके से विरोध कर रहे हैं. पर्यावरण प्रेमियों ने सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया. ताकि प्रशासन को सद्बुद्धि मिल सके.

हरियाली के लिए हवन
हरियाली के लिए हवन
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Published : Aug 9, 2021, 6:30 AM IST

बालोद: छत्तीसगढ़ के पहले हरियाली पर्व को प्रत्येक प्रदेशवासी कुछ खास उम्मीदों से मनाते हैं. स्थानीय लोग इस पर्व से अच्छी फसल और चारों ओर हरियाली की कामना करते हैं. इसलिए यह पर्व बड़े ही धूमधाम से प्रदेशभर में मनाया जाता है. सरकार भी इस पर्व को लेकर बेहद उत्सुक है और पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है.

बालोद जिले के दैहान बायपास मार्ग निर्माण के लिए यहां प्रस्तावित लगभग 3,000 पेड़ों की बलि दी जानी है. जिसको लेकर पर्यावरण प्रेमियों द्वारा तरह- तरह से विरोध किया जा रहा है. हरियाली पर्व के मद्देनजर जंगल के बीचो-बीच, पर्यावरण प्रेमियों ने सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया, जोकि पूरे जिले भर में चर्चा का विषय है. इन पर्यावरण प्रेमियों के मुताबिक जब तक सरकार पेड़ों के काटने को लेकर अपनी मंशा को स्पष्ट नहीं करती है. उनका कहना है यह आंदोलन जारी रहेगा. पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को शिफ्ट करने या फिर मार्ग की चौड़ाई को कम करने की मांग कर रहे हैं.

पर्यावरण प्रेमियों का अनोखे तरीके से विरोध

हवन से सद्बुद्धि की उम्मीद

पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने कहा कि हमें हवन से सद्बुद्धि की उम्मीद है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है और प्रशासन जिस हिसाब से हम पर्यावरण प्रेमियों की मांग को सिरे से नकार रही है, तो अब भगवान से ही उम्मीद है कि वे शासन और प्रशासन को सद्बुद्धि प्रदान करें. हमने इसके लिए ज्ञापन भी दिया हैं. हमने राष्ट्रपति, राज्यपाल तक अपनी बात को भी पहुंचाया है.

कोरोना है 'प्रकृति' का कहर

पर्यावरण प्रेमी प्रशांत पवार ने कहा कि कोरोना वायरस कहीं ना कहीं प्रकृति का प्रहार है. क्योंकि यहां पर ऑक्सीजन के लिए त्राहि-त्राहि मच गई थी. क्या अब लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है. क्यों वे जानबूझकर अनहोनी को आमंत्रण दे रहे हैं.

तरह- तरह के आयोजन

पर्यावरण प्रेमी कविता गेंद्रे ने बताया कि यहां पर प्रशासन को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि पर्यावरण का संरक्षण हो सके, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है. जिसके कारण पर्यावरण का दोहन निश्चित नजर आ रहा है. लेकिन हम सब पर्यावरण प्रेमी लगातार मांग कर रहे हैं कि पेड़ों का संरक्षण किया जाए. मार्ग निर्माण के लिए कोई ठोस रास्ता निकाला जाए. जैसे की पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया जा सकता है. मार्ग की चौड़ाई को कम किया जा सकता है.

पर्यावरण को बचाने के लिए यज्ञ
पर्यावरण को बचाने के लिए यज्ञ

पढ़ें : छत्तीसगढ़ : सहजन का एनर्जी बार चॉकलेट विदेश में बना बेस्ट फूड

पेड़ रहे सुरक्षित, बच्चे का भी मनाया जन्मदिन

पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प लिए पर्यावरण प्रेमी ने अपने पुत्र का जन्म दिवस भी पेड़ों के बीच बनाया. उनका संदेश है कि मेरा बेटा जैसे-जैसे बड़ा होगा. वैसे- वैसे ही इन पेड़ों के बड़े होने की मुझे उम्मीद है और जैसे में अपने बेटे की देखभाल करता हूं. वैसे ही मैं इन पेड़ों की भी देखभाल कर लूंगा.

पर्यावरण संरक्षण को लेकर सदैव हमेशा हर व्यक्ति को संकल्पित रहना चाहिए. मैं अपने बच्चे का जन्मदिन इन प्रकृति की गोद में मना रहा हूं क्योंकि मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा भी प्रकृति को समझेगा और लोगों के लिए यह प्रेरणा रहेगी. क्यों ना हम प्रकृति के संरक्षण को लेकर आगे आएं और कुछ करें. ताकि प्रकृति भी हमें अपना भरपूर प्रेम दे सके.

प्रकृति से युवाओं का जुड़ाव

युवक शुभम साहू, बाबुल, मनीष और करण इत्यादि ने बताया कि वे भी पर्यावरण प्रेमियों की इस मुहिम से प्रभावित हैं. वह भी आगे आकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं. क्यों ना शुरुआत यहीं से की जा सके. जब हमारी नजरों के सामने 3,000 पेड़ों की बलि दी जा रही है हरियाली पर्व के दिन और हरियाली के इस मौसम में प्रशासन अपना आरा पेड़ों के ऊपर चलाने जा रहे हैं. तो हम भी चुप रहने वाले नहीं हैं. हम सब युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं ताकि इस अभियान से जुड़े और पेड़ों की बलि दी जाने से रोका जा सके.

Raw
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क्यों शुरू हुआ आंदोलन

इस आंदोलन की शुरुआत तब हुई जब यहां पर लोक निर्माण विभाग ने बायपास सड़क निर्माण के लिए लगभग 29 पेड़ों को काटे जाने का निर्णय लिया था. इस बायपास निर्माण की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है. इससे पहले जब बाईपास का आधा काम हुआ था, तो खेतों का अधिग्रहण किया गया था. अब सरकार यहां पर जंगलों के बीच से बाईपास सड़क को गुजारने की मंशा लिए बैठी है. जिसका पर्यावरण प्रेमी तरह-तरह से विरोध कर रहे हैं.

पर्यावरण प्रेमियों का यह भी आरोप है कि यहां लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन ने पेड़ों की कटाई के आंकड़े को गलत दर्शाया है. जिस हिसाब से यहां पर घने पेड़ हैं, तो उससे यह प्रतीत होता है कि, जहां पर लगभग 50,000 पेड़ काटे जा सकते हैं. क्या छोटे पेड़ों को प्रशासन बख्शेगा.

बालोद: छत्तीसगढ़ के पहले हरियाली पर्व को प्रत्येक प्रदेशवासी कुछ खास उम्मीदों से मनाते हैं. स्थानीय लोग इस पर्व से अच्छी फसल और चारों ओर हरियाली की कामना करते हैं. इसलिए यह पर्व बड़े ही धूमधाम से प्रदेशभर में मनाया जाता है. सरकार भी इस पर्व को लेकर बेहद उत्सुक है और पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है.

बालोद जिले के दैहान बायपास मार्ग निर्माण के लिए यहां प्रस्तावित लगभग 3,000 पेड़ों की बलि दी जानी है. जिसको लेकर पर्यावरण प्रेमियों द्वारा तरह- तरह से विरोध किया जा रहा है. हरियाली पर्व के मद्देनजर जंगल के बीचो-बीच, पर्यावरण प्रेमियों ने सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया, जोकि पूरे जिले भर में चर्चा का विषय है. इन पर्यावरण प्रेमियों के मुताबिक जब तक सरकार पेड़ों के काटने को लेकर अपनी मंशा को स्पष्ट नहीं करती है. उनका कहना है यह आंदोलन जारी रहेगा. पर्यावरण प्रेमी पेड़ों को शिफ्ट करने या फिर मार्ग की चौड़ाई को कम करने की मांग कर रहे हैं.

पर्यावरण प्रेमियों का अनोखे तरीके से विरोध

हवन से सद्बुद्धि की उम्मीद

पर्यावरण प्रेमी भोज साहू ने कहा कि हमें हवन से सद्बुद्धि की उम्मीद है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है और प्रशासन जिस हिसाब से हम पर्यावरण प्रेमियों की मांग को सिरे से नकार रही है, तो अब भगवान से ही उम्मीद है कि वे शासन और प्रशासन को सद्बुद्धि प्रदान करें. हमने इसके लिए ज्ञापन भी दिया हैं. हमने राष्ट्रपति, राज्यपाल तक अपनी बात को भी पहुंचाया है.

कोरोना है 'प्रकृति' का कहर

पर्यावरण प्रेमी प्रशांत पवार ने कहा कि कोरोना वायरस कहीं ना कहीं प्रकृति का प्रहार है. क्योंकि यहां पर ऑक्सीजन के लिए त्राहि-त्राहि मच गई थी. क्या अब लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है. क्यों वे जानबूझकर अनहोनी को आमंत्रण दे रहे हैं.

तरह- तरह के आयोजन

पर्यावरण प्रेमी कविता गेंद्रे ने बताया कि यहां पर प्रशासन को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि पर्यावरण का संरक्षण हो सके, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है. जिसके कारण पर्यावरण का दोहन निश्चित नजर आ रहा है. लेकिन हम सब पर्यावरण प्रेमी लगातार मांग कर रहे हैं कि पेड़ों का संरक्षण किया जाए. मार्ग निर्माण के लिए कोई ठोस रास्ता निकाला जाए. जैसे की पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट भी किया जा सकता है. मार्ग की चौड़ाई को कम किया जा सकता है.

पर्यावरण को बचाने के लिए यज्ञ
पर्यावरण को बचाने के लिए यज्ञ

पढ़ें : छत्तीसगढ़ : सहजन का एनर्जी बार चॉकलेट विदेश में बना बेस्ट फूड

पेड़ रहे सुरक्षित, बच्चे का भी मनाया जन्मदिन

पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प लिए पर्यावरण प्रेमी ने अपने पुत्र का जन्म दिवस भी पेड़ों के बीच बनाया. उनका संदेश है कि मेरा बेटा जैसे-जैसे बड़ा होगा. वैसे- वैसे ही इन पेड़ों के बड़े होने की मुझे उम्मीद है और जैसे में अपने बेटे की देखभाल करता हूं. वैसे ही मैं इन पेड़ों की भी देखभाल कर लूंगा.

पर्यावरण संरक्षण को लेकर सदैव हमेशा हर व्यक्ति को संकल्पित रहना चाहिए. मैं अपने बच्चे का जन्मदिन इन प्रकृति की गोद में मना रहा हूं क्योंकि मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा भी प्रकृति को समझेगा और लोगों के लिए यह प्रेरणा रहेगी. क्यों ना हम प्रकृति के संरक्षण को लेकर आगे आएं और कुछ करें. ताकि प्रकृति भी हमें अपना भरपूर प्रेम दे सके.

प्रकृति से युवाओं का जुड़ाव

युवक शुभम साहू, बाबुल, मनीष और करण इत्यादि ने बताया कि वे भी पर्यावरण प्रेमियों की इस मुहिम से प्रभावित हैं. वह भी आगे आकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम कर रहे हैं. क्यों ना शुरुआत यहीं से की जा सके. जब हमारी नजरों के सामने 3,000 पेड़ों की बलि दी जा रही है हरियाली पर्व के दिन और हरियाली के इस मौसम में प्रशासन अपना आरा पेड़ों के ऊपर चलाने जा रहे हैं. तो हम भी चुप रहने वाले नहीं हैं. हम सब युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं ताकि इस अभियान से जुड़े और पेड़ों की बलि दी जाने से रोका जा सके.

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क्यों शुरू हुआ आंदोलन

इस आंदोलन की शुरुआत तब हुई जब यहां पर लोक निर्माण विभाग ने बायपास सड़क निर्माण के लिए लगभग 29 पेड़ों को काटे जाने का निर्णय लिया था. इस बायपास निर्माण की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है. इससे पहले जब बाईपास का आधा काम हुआ था, तो खेतों का अधिग्रहण किया गया था. अब सरकार यहां पर जंगलों के बीच से बाईपास सड़क को गुजारने की मंशा लिए बैठी है. जिसका पर्यावरण प्रेमी तरह-तरह से विरोध कर रहे हैं.

पर्यावरण प्रेमियों का यह भी आरोप है कि यहां लोक निर्माण विभाग और स्थानीय प्रशासन ने पेड़ों की कटाई के आंकड़े को गलत दर्शाया है. जिस हिसाब से यहां पर घने पेड़ हैं, तो उससे यह प्रतीत होता है कि, जहां पर लगभग 50,000 पेड़ काटे जा सकते हैं. क्या छोटे पेड़ों को प्रशासन बख्शेगा.

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