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एक घटना से प्रेरित होकर इंजीनियर ने बदल दी अपने गांव की तस्वीर, जानें प्रेरक कहानी

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Published : Oct 4, 2021, 11:34 PM IST

भीड़ से हटकर कुछ अलग किया जाए तो पहचान खुद-ब-खुद बन जाती है. आईआईटीएन अमितेश कुमार ने अपनी इंजीनियरिंग से अपने छोटे से गांव की तस्वीर बदल दी. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए क्या कुछ है इसकी कहानी.

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हजारीबाग : इतिहास गवाह है जो भी व्यक्ति भीड़ से अलग रहा उसने कीर्तिमान स्थापित किया है. हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के सुदूरवर्ती दयिहर गांव में रहने वाले अमितेश कुमार आईआईटीएन हैं.

उन्होंने एमटेक की पढ़ाई आईआईटी मुंबई से की लेकिन ये इंजीनियर कुछ अलग हैं जिन्होंने भीड़ से अलग होकर अपने गांव के लिए करने के लिए ठानी. उनका प्रयास भी रंग लाया और आज दहियर गांव की पहचान पूरे देशभर में होने जा रही है.

अमितेश कुमार, एक ऐसा नाम जो आने वाले दिनों में अपनी पहचान पूरे देशभर में बनाने जा रहा है. पेशे से इग्जीक्यूटिव एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अमितेश 2019 में ओएनजीसी में अपना सेवा देना प्रारंभ किया.

एक साल के बाद होली के दौरान वह अपने गांव हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के सुदूरवर्ती दयिहर पहुंचा. लेकिन गांव में होली की खुशी नहीं दिख रही थी, पूरा परिवार दुख के सागर में डूबा हुआ था. क्योंकि पास की रहने वाली चाची की मौत कुएं में डूबकर हो गई.

देखें पूरी खबर

जब इसके बारे में अमितेश ने मालूम किया तो पता चला कि गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. घर में पानी लाने के लिए गई थी और पैर फिसल गया और वह कुएं में गिर गई, जिससे उनकी मौत हो गई, दो बच्चे के ऊपर से मां का साया उठ गया.

इसी घटना ने अमितेश को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने सोचा कि कुछ ना कुछ अपने गांव के लिए किया जाए. इसके बाद रणनीति के तहत विभिन्न कंपनियों से उन्होंने वार्ता स्थापित किया और सीएसआर फंड से गांव की तस्वीर और तकदीर बदलने का निश्चय किया.

अमितेश के अपने गांव आने के कुछ दिन के बाद ही पूरे देशभर में लॉकडउन लग गया. जिसके कारण वह भी गांव में फंस गया. गांव में रहने के दौरान उसने यहां के विकास के लिए एक प्रपोजल बनाकर ओएनजीसी को दिया.

ओएनजीसी ने उस फॉर्मेट को देखकर खुशी जाहिर की और उसे फंड भी देने को तैयार हो गया कि आप अपने गांव की तस्वीर और तकदीर बदल दी. इसके बाद उन्होंने ओला और रिलायंस कंपनी से भी संपर्क स्थापित किया, सभी ने फंड दिया, इसमें लगभग 13 करोड़ रुपया सेंनशन किया गया.

पहले चरण के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपया उसे अलॉट किया गया. जिसमें अभी 30 लाख रुपया उसे मिला है. उसने उस 30 लाख रूपए से प्रत्येक घर में शुद्ध पेयजल, स्ट्रीट लाइट, सड़क चौड़ीकरण और पक्काकरण और वाईफाई का काम किया गया है. जिससे अब गांव के लोग नदी, तालाब या कुएं पर नहीं जाते हैं और गांव में बड़ी गाड़ी भी पहुंचना शुरू कर दी है.

गांव में शुद्ध पेयजल और हॉटस्पॉट की व्यवस्था

दयिहर गांव की आबादी लगभग 7000 से अधिक है और इस पूरे गांव में 600 परिवार रहते हैं. अमितेश ने सबसे पहले इन 600 घरों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की. शुद्ध पेयजल पहुंचने के बाद गांव की महिलाओं के चेहरे में खुशी का ठिकाना नहीं है. महिलाएं बताती हैं कि अब हम कुआं, तालाब, पोखर नहीं जाते हैं.

दूसरी ओर छात्र भी बेहद खुश हैं, उनका कहना है कि हमारे गांव में लगभग 4 जगह पर हॉटस्पॉट सेंटर बनाया गया है जहां हम निशुल्क इंटरनेट का लाभ लेते हैं. वर्तमान समय में जब कॉलेज स्कूल बंद थे उस वक्त बच्चों ने उसी हॉटस्पॉट सेंटर में जाकर पढ़ाई किया करते थे.

गांव के विकास की योजना को चार भागों में या कहें 4 फेज में बांटा गया है. अपने तीन दोस्तों के साथ चार लोगों की कमिटी बनी और फिर युद्धस्तर पर काम शुरू किया गया. एक प्रोजेक्ट बनाया गया और उसे सरकारी और प्राइवेट फर्म को फंडिंग करने के लिए भेजा गया.

सबसे पहले ओएनजीसी सामने आयी और उसने पेयजल के लिए फंडिंग की मंजूरी दे दी. उसके बाद ओला ने भी गांव के सुंदरीकरण के लिए पैसा दिया और अब रिलायंस फाउंडेशन ने सड़क और 50 पक्के मकान के लिए वित्तीय सहायता देने की बात कही है.

साथ ही साथ पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और पक्की सड़क हाईवे तक बनायी जाएगी. अमितेश की मानें तो पूरे गांव में इन सब चीजों के अलावा एक अच्छा अस्पताल, बढ़िया स्कूल और पूरे गांव में सोलर पावर से 24 घंटे बिजली देने की व्यवस्था पर काम किया जाएगा.

गांव वालों ने विकास में दिखायी सहभागिता

उनके इस प्रयास को अब गांव वालों का साथ मिल रहा है, अब गांव के बुजुर्ग और बच्चे खुद ही गांव में वृक्षारोपण कर रहे है. गांव में ही छोटे-छोटे जगह बैठने के लिए बनाए गए हैं. जहां गांव के लोग बैठकर गांव की तरक्की और बच्चों का भविष्य कैसे सभंले इसे लेकर भी विचार विमर्श करते हैं.

अमितेश के मित्र बताते हैं कि हम लोग बहुत ही मेहनत से गांव के तरक्की के लिए काम कर रहे हैं. आने वाले समय में यह गांव पूरे देशभर में आदर्श साबित होगा. फेज बाई फेज काम किया जा रहा है और इसमें गांव वालों का सहयोग भी मिल रहा है.

पहले जब अमितेश काम करना शुरू किया था तो समस्याएं भी सामने आईं. लेकिन बाद में जब लोगों ने समझा कि यह उनके लिए है तो मदद मिलना भी शुरू हो गया. बिना सरकारी मदद के अमितेश कुमार दयिहर गांव की तस्वीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं. पहले पेयजल, बिजली, इंटरनेट पक्की सड़क सभी ख्वाब था वह पूरा हो गया है.

यह भी पढ़ें-पीएम नरेंद्र मोदी यूपी को 4737 करोड़ की 75 परियोजनाओं का देंगे उपहार

फिलहाल अमितेश अभी गांव में है और कार्यों को देख रहे हैं. अमितेश का कहना है कि केवल इसी गांव में नहीं उनका सपना है कि जहां भी लोग परेशान है वहा भी उनकी परेशानी दूर करने की दिशा में काम करेंगे. उन्होंने कहा पहले अपने गांव को बेहतर करले फिर गांव के बाहर मदद के लिए निकलेंगे.

हजारीबाग : इतिहास गवाह है जो भी व्यक्ति भीड़ से अलग रहा उसने कीर्तिमान स्थापित किया है. हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के सुदूरवर्ती दयिहर गांव में रहने वाले अमितेश कुमार आईआईटीएन हैं.

उन्होंने एमटेक की पढ़ाई आईआईटी मुंबई से की लेकिन ये इंजीनियर कुछ अलग हैं जिन्होंने भीड़ से अलग होकर अपने गांव के लिए करने के लिए ठानी. उनका प्रयास भी रंग लाया और आज दहियर गांव की पहचान पूरे देशभर में होने जा रही है.

अमितेश कुमार, एक ऐसा नाम जो आने वाले दिनों में अपनी पहचान पूरे देशभर में बनाने जा रहा है. पेशे से इग्जीक्यूटिव एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अमितेश 2019 में ओएनजीसी में अपना सेवा देना प्रारंभ किया.

एक साल के बाद होली के दौरान वह अपने गांव हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के सुदूरवर्ती दयिहर पहुंचा. लेकिन गांव में होली की खुशी नहीं दिख रही थी, पूरा परिवार दुख के सागर में डूबा हुआ था. क्योंकि पास की रहने वाली चाची की मौत कुएं में डूबकर हो गई.

देखें पूरी खबर

जब इसके बारे में अमितेश ने मालूम किया तो पता चला कि गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. घर में पानी लाने के लिए गई थी और पैर फिसल गया और वह कुएं में गिर गई, जिससे उनकी मौत हो गई, दो बच्चे के ऊपर से मां का साया उठ गया.

इसी घटना ने अमितेश को झकझोर कर रख दिया और उन्होंने सोचा कि कुछ ना कुछ अपने गांव के लिए किया जाए. इसके बाद रणनीति के तहत विभिन्न कंपनियों से उन्होंने वार्ता स्थापित किया और सीएसआर फंड से गांव की तस्वीर और तकदीर बदलने का निश्चय किया.

अमितेश के अपने गांव आने के कुछ दिन के बाद ही पूरे देशभर में लॉकडउन लग गया. जिसके कारण वह भी गांव में फंस गया. गांव में रहने के दौरान उसने यहां के विकास के लिए एक प्रपोजल बनाकर ओएनजीसी को दिया.

ओएनजीसी ने उस फॉर्मेट को देखकर खुशी जाहिर की और उसे फंड भी देने को तैयार हो गया कि आप अपने गांव की तस्वीर और तकदीर बदल दी. इसके बाद उन्होंने ओला और रिलायंस कंपनी से भी संपर्क स्थापित किया, सभी ने फंड दिया, इसमें लगभग 13 करोड़ रुपया सेंनशन किया गया.

पहले चरण के लिए लगभग डेढ़ करोड़ रुपया उसे अलॉट किया गया. जिसमें अभी 30 लाख रुपया उसे मिला है. उसने उस 30 लाख रूपए से प्रत्येक घर में शुद्ध पेयजल, स्ट्रीट लाइट, सड़क चौड़ीकरण और पक्काकरण और वाईफाई का काम किया गया है. जिससे अब गांव के लोग नदी, तालाब या कुएं पर नहीं जाते हैं और गांव में बड़ी गाड़ी भी पहुंचना शुरू कर दी है.

गांव में शुद्ध पेयजल और हॉटस्पॉट की व्यवस्था

दयिहर गांव की आबादी लगभग 7000 से अधिक है और इस पूरे गांव में 600 परिवार रहते हैं. अमितेश ने सबसे पहले इन 600 घरों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की. शुद्ध पेयजल पहुंचने के बाद गांव की महिलाओं के चेहरे में खुशी का ठिकाना नहीं है. महिलाएं बताती हैं कि अब हम कुआं, तालाब, पोखर नहीं जाते हैं.

दूसरी ओर छात्र भी बेहद खुश हैं, उनका कहना है कि हमारे गांव में लगभग 4 जगह पर हॉटस्पॉट सेंटर बनाया गया है जहां हम निशुल्क इंटरनेट का लाभ लेते हैं. वर्तमान समय में जब कॉलेज स्कूल बंद थे उस वक्त बच्चों ने उसी हॉटस्पॉट सेंटर में जाकर पढ़ाई किया करते थे.

गांव के विकास की योजना को चार भागों में या कहें 4 फेज में बांटा गया है. अपने तीन दोस्तों के साथ चार लोगों की कमिटी बनी और फिर युद्धस्तर पर काम शुरू किया गया. एक प्रोजेक्ट बनाया गया और उसे सरकारी और प्राइवेट फर्म को फंडिंग करने के लिए भेजा गया.

सबसे पहले ओएनजीसी सामने आयी और उसने पेयजल के लिए फंडिंग की मंजूरी दे दी. उसके बाद ओला ने भी गांव के सुंदरीकरण के लिए पैसा दिया और अब रिलायंस फाउंडेशन ने सड़क और 50 पक्के मकान के लिए वित्तीय सहायता देने की बात कही है.

साथ ही साथ पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और पक्की सड़क हाईवे तक बनायी जाएगी. अमितेश की मानें तो पूरे गांव में इन सब चीजों के अलावा एक अच्छा अस्पताल, बढ़िया स्कूल और पूरे गांव में सोलर पावर से 24 घंटे बिजली देने की व्यवस्था पर काम किया जाएगा.

गांव वालों ने विकास में दिखायी सहभागिता

उनके इस प्रयास को अब गांव वालों का साथ मिल रहा है, अब गांव के बुजुर्ग और बच्चे खुद ही गांव में वृक्षारोपण कर रहे है. गांव में ही छोटे-छोटे जगह बैठने के लिए बनाए गए हैं. जहां गांव के लोग बैठकर गांव की तरक्की और बच्चों का भविष्य कैसे सभंले इसे लेकर भी विचार विमर्श करते हैं.

अमितेश के मित्र बताते हैं कि हम लोग बहुत ही मेहनत से गांव के तरक्की के लिए काम कर रहे हैं. आने वाले समय में यह गांव पूरे देशभर में आदर्श साबित होगा. फेज बाई फेज काम किया जा रहा है और इसमें गांव वालों का सहयोग भी मिल रहा है.

पहले जब अमितेश काम करना शुरू किया था तो समस्याएं भी सामने आईं. लेकिन बाद में जब लोगों ने समझा कि यह उनके लिए है तो मदद मिलना भी शुरू हो गया. बिना सरकारी मदद के अमितेश कुमार दयिहर गांव की तस्वीर बदलने की कोशिश कर रहे हैं. पहले पेयजल, बिजली, इंटरनेट पक्की सड़क सभी ख्वाब था वह पूरा हो गया है.

यह भी पढ़ें-पीएम नरेंद्र मोदी यूपी को 4737 करोड़ की 75 परियोजनाओं का देंगे उपहार

फिलहाल अमितेश अभी गांव में है और कार्यों को देख रहे हैं. अमितेश का कहना है कि केवल इसी गांव में नहीं उनका सपना है कि जहां भी लोग परेशान है वहा भी उनकी परेशानी दूर करने की दिशा में काम करेंगे. उन्होंने कहा पहले अपने गांव को बेहतर करले फिर गांव के बाहर मदद के लिए निकलेंगे.

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