लखनऊ : डिजिटल मीडिया के इस दौर में आजकल कोई भी ऐप डाउनलोड करने पर सबसे पहले गैलरी और कॉन्टैक्ट्स नंबर की अनुमति मांगी जाती है. यूजर इसकी अनुमति अक्सर दे ही देते हैं. इसके बाद कंपनियों के पास आपसे जुड़ी सारी प्राइवेट जानकारी पहुंच जाती है और इसके बाद शुरू हो जाता है ठगी का धंधा. साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहा है उसने डाटा को सिक्योर करना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.
उपभोक्ताओं के डाटा संग्रहण के मामले में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की बात करें तो उसके पास करोड़ों उपभोक्ताओं का डाटा है और इसे सेफ रखना किसी चुनौती से कम नहीं है. उपभोक्ताओं के नंबर पर लगातार जिस तरह बिजली के फ्रॉड मैसेज आ रहे हैं और उपभोक्ता ठगी का शिकार हो रहे हैं उससे पावर कॉरपोरेशन की चिंता और बढ़ गई है. हालांकि पावर कॉरपोरेशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 'उपभोक्ताओं का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. उससे कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती है, लेकिन उपभोक्ता परिषद की तरफ से एक बार फिर यूपीपीसीएल को इस मामले में सजग रहने की सलाह दी गई है.'
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 'पहले ही उपभोक्ता परिषद ने डाटा की सुरक्षा के लिए पावर कारपोरेशन से सभी बिजली कंपनियों के लिए आदेश निर्गत कराया था. एक बार फिर अब जब लगभग प्रदेश के 95 फीसद विद्युत उपभोक्ताओं की केवाईसी अपडेट हो गई है, फिर उपभोक्ता परिषद प्रदेश के उपभोक्ताओं के व्यापक हित में पावर कारपोरेशन में बिजली कंपनियों से मांग करता है कि सभी उपभोक्ताओं के डाटा को हर हाल में सुरक्षित रखा जाए, क्योंकि बडे़ पैमाने पर डाटा को खरीदने व चुराने के लिए कंपनियां अभी से जुट गई हैं.'
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निदेशक (वाणिज्य) योगेश कुमार का कहना है कि 'सभी उपभोक्ताओं का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है. इसके लिए विभाग की तरफ से पूरी व्यवस्था की गई है. सर्वर पर डाटा अपडेट करते समय इसे सिक्योर किया गया है. किसी तरह की सेंधमारी हो पाना संभव नहीं है.'