नई दिल्ली : भारत ने एक बार फिर पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्यों सहित दुनिया के शीर्ष तेल उत्पादक देशों से कच्चे तेल की कीमतों को स्थाई स्तर पर लाने के लिए कहा है, ताकि यह तेल खपत करने वाले देशों की आर्थिक सुधार को नुकसान न पहुंचाए.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि जब तक कच्चे तेल की कीमतों को स्थाई स्तर पर नहीं रखा जाता है, तब यह वैश्विक आर्थिक सुधार रूप से प्रभावित करता रहेगा.
पुरी ने तेल उद्योग के नेताओं की तीन दिवसीय बैठक के बाद नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि ऊर्जा की लागत को उपभोग करने वाले देशों की भुगतान क्षमता से आगे निकलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जिसमें सऊदी तेल मंत्री और अमेरिकी ऊर्जा सचिव भी शामिल थे.
आईएचएस मार्किट द्वारा आयोजित इंडिया एनर्जी फोरम सेरावीक के समापन पर मंत्री ने विश्व बैंक द्वारा नवीनतम कमोडिटी मार्केट आउटलुक का उल्लेख किया, जिसमें सुझाव दिया गया था कि ऊर्जा की लागत को उपभोग करने वाले देशों की भुगतान क्षमता से आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए .
मंत्री ने कहा कि विश्व बैंक ने कहा था कि ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि वैश्विक मुद्रास्फीति के लिए महत्वपूर्ण निकट अवधि के जोखिम पैदा करती है और अगर यह बनी रहती है, तो ऊर्जा आयात करने वाले देशों में विकास पर भी असर पड़ सकता है.
पेट्रोल, डीजल पर टैक्स में कटौती से सरकार का इनकार
इस साल जुलाई में पुरी ने पेट्रोलियम मंत्रालय का कार्यभार संभाला है, इसके बाद से देश में लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी है. उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में अगले साल चुनाव है, विपक्ष लगातार पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर सरकार पर हमलावर रहती है. लगातार पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम जनता परेशान है, ऐसे में आने वाले चुनावों में भाजपा सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. इसके बाद भी मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने से लगातार इनकार किया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि पेट्रोलियम क्षेत्र से एकत्र राजस्व का उपयोग कई कल्याणकारी योजनाओं में किया जा रहा है. कोविड टीकाकरण अभियान और पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लगभग दो-तिहाई भारतीयों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने कराने के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है.
ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में पुरी ने कहा कि पेट्रोलियम क्षेत्र से केंद्र सरकार द्वारा अर्जित राजस्व न केवल पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत टीकाकरण और खाद्यान्न राहत, इसका उपयोग उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी कई अन्य योजनाओं के वित्तपोषण में किया गया.
उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार का कर्तव्य है कि वह सड़कों का निर्माण करे और अन्य सुविधाएं प्रदान करे और एकत्र राजस्व का उपयोग उसी के लिए किया जाए.
सामूहिक खरीदारी
हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि सऊदी अरब और अन्य देशों से बेहतर कीमत पर कच्चे तेल का आयात करने के लिए भारत सरकार सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र की रिफाइनरी कंपनियों को एक साथ लाने पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि देश इस समय ईंधन की रिकॉर्ड कीमतों से जूझ रहा है, और ऐसे में संयुक्त खरीद से बेहतर मोलतोल की ताकत आएगी तथा आयात बिल में कटौती करने में मदद मिलेगी.
मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय के सचिव ने इस संबंध में सार्वजनिक और निजी रिफाइनरियों के साथ एक बैठक की है. उन्होंने कहा कि मैं बैठक के नतीजे से बहुत उत्साहित हूं। परिणाम अनुकूल रहेगा.
पिछले पांच वर्षों में भारत ने विदेशों से कच्चे तेल और गैस के आयात पर प्रति वर्ष औसतन 100 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च किए हैं. हालांकि, विभिन्न निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के रिफाइनर आपूर्तिकर्ताओं के साथ अलग-अलग सौदे करते हैं. सरकार को उम्मीद है कि तेल की संयुक्त खरीद से वह अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर कीमत के लिए सौदेबाजी कर सकती है.