नई दिल्ली : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव (Union Health Secretary ) राजेश भूषण (Secretary Rajesh Bhushan ) को एक ज्ञापन सौंपा. इस दौरान आईएमए ने चिकित्सा पेशेवरों (medical professionals) पर हिंसा को कम करने के लिए एक कड़े केंद्रीय कानून और उसके उचित कार्यान्वयन की मांग की.
राष्ट्रीय विरोध दिवस (national protest day) पर आईएमए अध्यक्ष डॉ जे ए जयलाल (Dr JA Jayalal) और महासचिव डॉ जयेश एम लेले (Dr Jayesh M Lele) ने भूषण से मुलाकात की और अपना ज्ञापन सौंपा.
उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में अस्पतालों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त (Delhi police commissioner) एसएन श्रीवास्तव (SN Shrivastav) को एक ज्ञापन (memorandum) भी सौंपा.
आईएमए ने कहा, 'भारत भर में 3.5 लाख से अधिक डॉक्टरों और चिकित्सकों ने विरोध दिवस में हिस्सा लिया.
आईएमए ने कहा कि पूरे देश में हर राज्य में अलग-अलग अस्पतालों में, डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों ने काले बैज (black badges) और रिबन और काली शर्ट पहनी और 'बचाओ बचाने वालों को' (Save the Saviours) का नारा लगाया और अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड कीं.
विरोध में एएसआई, एपीआई और एफओजीएसआई जैसे अन्य विशिष्ट संगठनों के चिकित्सा पेशेवर भी शामिल हुए.
कई कॉरपोरेट अस्पतालों (corporate hospitals ) ने डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग करते हुए अपने अस्पतालों के सामने होर्डिंग लगा दी थी. दिल्ली में एम्स, आईएमए कॉम्प्लेक्स, उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली समेत 10 अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया गया.
आईएमए ने कहा कि विभिन्न आईएमए ब्रांच ने भी प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे चिकित्सा बिरादरी की सुरक्षा सुनिश्चित करने और टीकाकरण और इसके प्रोटोकॉल के खिलाफ झूठी खबर (false news ) फैलाने में शामिल लोगों पर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया. कई मेडिकल कॉलेजों में छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार (boycott) किया और एक आभासी छात्र संसद का आयोजन किया, जिसमें 1000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया.
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यह एक अनूठा विरोध था, जिसमें भारतीय चिकित्सा बिरादरी ने समान रूप से हमले के कारण अपनी पीड़ा और दर्द व्यक्त किया है.
आईएमए ने कहा कि अस्पतालों की सुरक्षा बढ़ाई जाए और अस्पतालों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए. डॉक्टरों के साथ मारपीट करने वालों को फास्ट-ट्रैक ट्रायल मोड ( fast-track trial mode) के तहत दंडित किया जाए.
कई घटनाओं के बाद राष्ट्रव्यापी विरोध का आयोजन किया गया था जहां भारत भर में विभिन्न स्थानों पर डॉक्टरों, स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों