लखनऊ: यूपी सरकार मरीजों को बड़ी राहत देने जा रही है. वह राज्य की इमरजेंसी सेवाओं को सुधार करने में जुट गई है. इसके लिए अस्पतालों की इमरजेंसी और संस्थानों के ट्रामा सेंटर को सेंट्रलाइज करने का फैसला किया है. साथ ही व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए केजीएमयू, लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआई की एक्सपर्ट टीम गठित की गई है. यहां के चिकित्सकों के सुझावों को अमलीजामा पहनाकर सेवाओं को सुधारा जाएगा. खासकर, मरीजों को बेड फोन पर ही एलॉट हो जाएंगे.
उत्तर प्रदेश में गंभीर मरीजों को समय पर इलाज मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. चिकित्सा संस्थानों के इमरजेंसी में बेड फुल होने पर उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल चक्कर लगाने पड़ते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इमरजेंसी सेवाओं को दुरुस्त करने का फैसला किया है. इसके लिए एसजीपीजीआई के डॉ. आर के सिंह, केजीएमयू के डॉ. संदीप तिवारी, लोहिया संस्थान के डॉ. पीके दास के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी इमरजेंसी सेवाओं के सुधार को लेकर प्लान बना रही है. 1 जुलाई को मुख्य सचिव के समक्ष कमेटी अपना प्रेजेंटेशन देगी. इसके माह भर के भीतर इमरजेंसी सेवाओं के सुधार की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
यह होगा बदलाव: एक्सपर्ट कमेटी के डॉ. पीके दास के मुताबिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की सीएचसी, बीएमसी, जिला अस्पताल, संयुक्त अस्पताल हैं. वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग के मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा संस्थान हैं. इन दोनों विभागों के अस्पतालों की इमरजेंसी सेवा को एक प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा. सभी इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर कमांड सेंटर से जुड़ेंगे. अस्पतालों को मरीज रेफर करने से पहले बीमारी की हिस्ट्री कमांड सेंटर भेजनी होगी. यहां से उसे बीमारी की स्थिति के लिहाज से बेड एलॉट कर दिए जाएंगे. कुछ बेड अस्पतालों के पास भी रिजर्व रहेंगे, जो कि एक्सिडेंट के डायरेक्ट पहुंचने वाले मरीज को तत्काल भर्ती कर सकेंगे.
निजी अस्पताल के बेड भी जुड़ेंगे: डॉक्टर पीके दास के मुताबिक सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों की इमरजेंसी भी जोड़ने की योजना है. इस दौरान सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर में बेड फुल होने पर मरीजों को निजी अस्पताल की इमरजेंसी का भी विकल्प दिया जाएगा. अगर वो निजी अस्पताल में इलाज कराना चाहते हैं, तो उन्हें बेड एलॉट कर दिया जायेगा. यहां के इमरजेंसी के बेड और आईसीयू के बेड के शुल्क निर्धारित किए जाएंगे. इसके साथ ही आयुष्मान योजना से संबंध अस्पतालों में भी मरीजों को मुफ्त इलाज के लिए भेजा जाएगा. इससे मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकने का झंझट खत्म होगा.
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