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25 जून 1975...जिसके बाद जेल बन गया था हरियाणा!

25 जून 1975 की आधी रात में हमारे देश पर इमरजेंसी थोप दी गई, अगले दिन ऑल इंडिया रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज सुनाई दी और ये आम हो गया कि अब आम आदमी के पास कोई अधिकार नहीं बचा है. इमरजेंसी (emergency 1975) में कुछ अहम किरदार थे जो या तो इस फैसले के साथ खड़े थे या खिलाफ, इनमें से कई हरियाणा के रहने वाले थे.

आपातकाल 1975
आपातकाल 1975
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Published : Jun 25, 2021, 12:57 AM IST

Updated : Jun 25, 2021, 12:41 PM IST

चंडीगढ़ः 25 जून 1975 की रात भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे काली रात थी. जब इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी (emergency 1975) थोप दी. इमरजेंसी के उस दौर में हरियाणा सबसे ज्यादा प्रभावित प्रदेशों में से एक था. यहां कई अस्थाई जेल बनाई गई थीं जिनमें नेताओं और इमरजेंसी का विरोध करने वाले हजारों लोगों को गिरफ्तार कर रखा गया था. उस दौर के निकले कई नेता आज भी जब अपने अनुभव बताते हैं तो पता चलता है कि निरंकुशता और तानाशाही का जो खेल खेला जा रहा था वो भयावह था.

इमरजेंसी के दौरान हरियाणा के ज्यादा प्रभावित होने की वजह थे बंसी लाल(bansi lal), जो उस वक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, लेकिन इमरजेंसी के दौर में इंदिरा गांधी(indira gandhi) ने उन्हें दिल्ली बुला लिया और रक्षा मंत्री बना दिया. बंसी लाल संजय गांधी(sanjay gandhi) के बेहद करीब और इंदिरा गांधी के मुरीद थे. इंदिरा गांधी को बंसीलाल कितना पसंद करते थे इस पर बीके नेहरू ने अपनी आत्मकथा 'नाइस गाइज़ फ़िनिश सेकेंड' में लिखा है कि 'एक बार बंसी लाल ने कहा था कि इंदिरा गांधी को पूरी जिंदगी के लिए राष्ट्रपति बना दीजिए, बाकी कुछ करने की जरूरत नहीं है'

आपातकाल 1975
आपातकाल के दौरान हरियाणा की एक जेल का दृष्य(फाइल फोटो)

इमरजेंसी के दौर को याद करते हुए हरियाणा की बैठकों पर लोग आज भी कहते हैं कि उस वक्त पूरा हरियाणा एक बड़ी जेल की तरह हो गया था और किसी की भी कहीं भी पकड़कर नसबंदी कर दी जाती थी, जरा सा विरोध करने पर जेल में डाल दिया जाता था इस दौर में बड़े नेताओं को महेंद्रगढ़ या हिसार की जेलों में रखा गया था. महेंद्रगढ़ में ही उस वक्त सरकार के खिलाफ प्रदेश की सबसे मुखर आवाजों में से एक देवी लाल को भी रखा गया था. चौधरी देवी लाल के दो बेटों को भी गिरफ्तार किया था, उनमें ओपी चौटाला भी शामिल थे जिन्हें हिसार की जेल में रखा गया था.

ये भी पढ़ेंः 'इमरजेंसी की वो वजहें आज भी हैं मौजूद'

डॉ. चंद्र त्रिखा अपनी किताब 'कैसे भूलें आपातकाल का दंश' में लिखते हैं कि "चौधरी देवीलाल(devi lal) आपातकाल विरोधी आंदोलन के क्षेत्रीय आधार स्तंभों में से एक थे. जब इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित होने के बाद विपक्षी दलों की दिल्ली में मीटिंग हुई तो उन्होंने हरियाणा की नुमाइंदगी की, और 1977 में गैर कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री बने. इसी सरकार में भजन लाल(bhajan lal) भी मंत्री बने जो इमरजेंसी के बाद कांग्रेस छोड़ आये थे.

आपातकाल 1975
चौधरी देवी लाल(फाइल फोटो)

हरियाणा में कई महिला नेताओं को भी इमरजेंसी के दौरान जेल में डाल दिया गया था. उनमें बीजेपी की पहली अध्यक्ष डॉ. कमला वर्मा भी एक थीं. अटल बिहार वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद वो अंडरग्राउंड हो गईं, लेकिन उन्हें एक दिन घर लौटना पड़ा. जब वो घर पहुंची तो सीआईडी के कई अधिकारी उनके घर के इर्द-गिर्द घूम रहे थे, और शाम होते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

उस वक्त कुछ कांग्रेसी भी थे जो इंदिरा के इस फैसले खुश नहीं थे, ऐसे लोगों को उन्हीं के पार्टी नेताओं ने प्रताड़ित किया. इसी वजह से हरियाणा की पहली महिला सांसद चंद्रावती को उस दौरान छिपकर रहना पड़ा, क्योंकि बंसीलाल से उनकी नहीं बनती थी और वो संजय गांधी के साथ-साथ इंदिरा गांधी के भी बेहद करीब थे.

आपातकाल 1975
आपातकाल के दौरान जंजीरों में बंधे जॉर्ज फर्नांडिस (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ेंः आपातकाल : कब, क्यों, कैसे, कितनी बार...जानिए सबकुछ

इमरजेंसी के वक्त नसबंदी(Vasectomy) को लेकर पूरे देश में जो आतंक था उनकी कहानियां आज तक भयभीत करती हैं. हरियाणा के हर मंत्री को नसबंदी का टारगेट पूरा करने के लिए एक जिला दिया गया था.

आपातकाल 1975
इंदिरा गांधी और संजय गांधी(फाइल फोटो)

हरियाणा को नसबंदी के लिए मिला था टारगेट

  • हरियाणा को पहले एक साल में 74,300 लोगों की नसबंदी का टारगेट मिला था
  • फिर वो घटाकर 45,000 कर दिया गया लेकिन हरियाणा में 57,492 लोगों की नसबंदी हुई
  • अगले साल हरियाणा में 2 लाख लोगों की नसबंदी का टारगेट रखा गया
  • 1976-77 में हरियाणा में 2.22 लाख लोगों की नसबंदी हुई
  • टारगेट पूरा करने के लिए 105 कुंवारों की भी नसबंदी कर दी गई
  • गिनती बढ़ाने के लिए ही 55 साल से ज्यादा के 179 लोगों की नसबंदी की गई
    आपातकाल 1975
    संजय गांधी

आखिर होता क्या है आपातकाल ?

आपातकाल भारतीय संविधान में एक ऐसा प्रावधान है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब देश को किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका होती है. इसके बाद केंद्र सरकार बिना किसी रोकटोक के कोई भी फैसला ले सकती है. हमारे देश में एक बार नहीं बल्कि तीन बार आपातकाल लगा है, पहली बार 1968 में जब भारत-चीन युद्ध हुआ, दूसरी बार 1971 में जब भात-पाकिस्तान युद्ध हुआ और तीसरी बार 1975 में.

ये भी पढ़ें: आज ही के दिन 46 साल पहले लगाया गया था आपातकाल

चंडीगढ़ः 25 जून 1975 की रात भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे काली रात थी. जब इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी (emergency 1975) थोप दी. इमरजेंसी के उस दौर में हरियाणा सबसे ज्यादा प्रभावित प्रदेशों में से एक था. यहां कई अस्थाई जेल बनाई गई थीं जिनमें नेताओं और इमरजेंसी का विरोध करने वाले हजारों लोगों को गिरफ्तार कर रखा गया था. उस दौर के निकले कई नेता आज भी जब अपने अनुभव बताते हैं तो पता चलता है कि निरंकुशता और तानाशाही का जो खेल खेला जा रहा था वो भयावह था.

इमरजेंसी के दौरान हरियाणा के ज्यादा प्रभावित होने की वजह थे बंसी लाल(bansi lal), जो उस वक्त हरियाणा के मुख्यमंत्री थे, लेकिन इमरजेंसी के दौर में इंदिरा गांधी(indira gandhi) ने उन्हें दिल्ली बुला लिया और रक्षा मंत्री बना दिया. बंसी लाल संजय गांधी(sanjay gandhi) के बेहद करीब और इंदिरा गांधी के मुरीद थे. इंदिरा गांधी को बंसीलाल कितना पसंद करते थे इस पर बीके नेहरू ने अपनी आत्मकथा 'नाइस गाइज़ फ़िनिश सेकेंड' में लिखा है कि 'एक बार बंसी लाल ने कहा था कि इंदिरा गांधी को पूरी जिंदगी के लिए राष्ट्रपति बना दीजिए, बाकी कुछ करने की जरूरत नहीं है'

आपातकाल 1975
आपातकाल के दौरान हरियाणा की एक जेल का दृष्य(फाइल फोटो)

इमरजेंसी के दौर को याद करते हुए हरियाणा की बैठकों पर लोग आज भी कहते हैं कि उस वक्त पूरा हरियाणा एक बड़ी जेल की तरह हो गया था और किसी की भी कहीं भी पकड़कर नसबंदी कर दी जाती थी, जरा सा विरोध करने पर जेल में डाल दिया जाता था इस दौर में बड़े नेताओं को महेंद्रगढ़ या हिसार की जेलों में रखा गया था. महेंद्रगढ़ में ही उस वक्त सरकार के खिलाफ प्रदेश की सबसे मुखर आवाजों में से एक देवी लाल को भी रखा गया था. चौधरी देवी लाल के दो बेटों को भी गिरफ्तार किया था, उनमें ओपी चौटाला भी शामिल थे जिन्हें हिसार की जेल में रखा गया था.

ये भी पढ़ेंः 'इमरजेंसी की वो वजहें आज भी हैं मौजूद'

डॉ. चंद्र त्रिखा अपनी किताब 'कैसे भूलें आपातकाल का दंश' में लिखते हैं कि "चौधरी देवीलाल(devi lal) आपातकाल विरोधी आंदोलन के क्षेत्रीय आधार स्तंभों में से एक थे. जब इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित होने के बाद विपक्षी दलों की दिल्ली में मीटिंग हुई तो उन्होंने हरियाणा की नुमाइंदगी की, और 1977 में गैर कांग्रेसी सरकार के मुख्यमंत्री बने. इसी सरकार में भजन लाल(bhajan lal) भी मंत्री बने जो इमरजेंसी के बाद कांग्रेस छोड़ आये थे.

आपातकाल 1975
चौधरी देवी लाल(फाइल फोटो)

हरियाणा में कई महिला नेताओं को भी इमरजेंसी के दौरान जेल में डाल दिया गया था. उनमें बीजेपी की पहली अध्यक्ष डॉ. कमला वर्मा भी एक थीं. अटल बिहार वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद वो अंडरग्राउंड हो गईं, लेकिन उन्हें एक दिन घर लौटना पड़ा. जब वो घर पहुंची तो सीआईडी के कई अधिकारी उनके घर के इर्द-गिर्द घूम रहे थे, और शाम होते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

उस वक्त कुछ कांग्रेसी भी थे जो इंदिरा के इस फैसले खुश नहीं थे, ऐसे लोगों को उन्हीं के पार्टी नेताओं ने प्रताड़ित किया. इसी वजह से हरियाणा की पहली महिला सांसद चंद्रावती को उस दौरान छिपकर रहना पड़ा, क्योंकि बंसीलाल से उनकी नहीं बनती थी और वो संजय गांधी के साथ-साथ इंदिरा गांधी के भी बेहद करीब थे.

आपातकाल 1975
आपातकाल के दौरान जंजीरों में बंधे जॉर्ज फर्नांडिस (फाइल फोटो)

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इमरजेंसी के वक्त नसबंदी(Vasectomy) को लेकर पूरे देश में जो आतंक था उनकी कहानियां आज तक भयभीत करती हैं. हरियाणा के हर मंत्री को नसबंदी का टारगेट पूरा करने के लिए एक जिला दिया गया था.

आपातकाल 1975
इंदिरा गांधी और संजय गांधी(फाइल फोटो)

हरियाणा को नसबंदी के लिए मिला था टारगेट

  • हरियाणा को पहले एक साल में 74,300 लोगों की नसबंदी का टारगेट मिला था
  • फिर वो घटाकर 45,000 कर दिया गया लेकिन हरियाणा में 57,492 लोगों की नसबंदी हुई
  • अगले साल हरियाणा में 2 लाख लोगों की नसबंदी का टारगेट रखा गया
  • 1976-77 में हरियाणा में 2.22 लाख लोगों की नसबंदी हुई
  • टारगेट पूरा करने के लिए 105 कुंवारों की भी नसबंदी कर दी गई
  • गिनती बढ़ाने के लिए ही 55 साल से ज्यादा के 179 लोगों की नसबंदी की गई
    आपातकाल 1975
    संजय गांधी

आखिर होता क्या है आपातकाल ?

आपातकाल भारतीय संविधान में एक ऐसा प्रावधान है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब देश को किसी आंतरिक, बाहरी या आर्थिक रूप से किसी तरह के खतरे की आशंका होती है. इसके बाद केंद्र सरकार बिना किसी रोकटोक के कोई भी फैसला ले सकती है. हमारे देश में एक बार नहीं बल्कि तीन बार आपातकाल लगा है, पहली बार 1968 में जब भारत-चीन युद्ध हुआ, दूसरी बार 1971 में जब भात-पाकिस्तान युद्ध हुआ और तीसरी बार 1975 में.

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Last Updated : Jun 25, 2021, 12:41 PM IST
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