नई दिल्ली : कांग्रेस ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार के तहत पिछले चार वर्षों के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में 935 करोड़ रुपये का गबन हुआ.
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि मनरेगा को लेकर कानून के तहत सोशल ऑडिट सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'एक खबर के जरिये यह खुलासा हुआ है कि मोदी सरकर के तहत पिछले चार वर्षों में मनरेगा योजना में 935 करोड़ रुपये का गबन हुआ. यह आंकड़ा किसी निजी एजेंसी का नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास मंत्रालय की 'सोशल ऑडिट यूनिट' द्वारा किये गए ऑडिट में सामने आया है.'
उनके मुताबिक, साल 2017-18 से 2020-21 के दौरान 2.65 लाख ग्राम पंचायतों का सोशल ऑडिट किया गया. खेड़ा ने कहा, 'इस सोशल ऑडिट यूनिट द्वारा किये गये ऑडिट में जो तथ्य सामने आये हैं उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि ज्यादातर मामले वित्तीय गडबड़ी के थे जिनमें घूसखोरी भी शामिल थी. 935 करोड़ रुपये में से सिर्फ 12.5 करोड़ रुपये की ही वसूली की जा सकी.'
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सबसे ज्यादा 245 करोड़ रुपये का गबन तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सरकार के दौरान हुआ. उन्होंने केंद्र सरकार को इस कथित गबन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कानून के प्रावधानों के मुताबिक सोशल ऑडिट सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
खेड़ा ने आग्रह किया, 'गबन की जो राशि वसूल की गई है उसका इस्तेमाल कोविड महामारी से प्रभावित गरीबों की मदद करने में किया जाए.' उन्होंने कहा कि पुलिस बलों में दिव्यांगो के लिए निर्धारित चार प्रतिशत कोटे को खत्म करने वाली अधिसूचना को वापस लिया जाए.
पढ़ें-वित्तीय वर्ष 2021-22 : मनरेगा के तहत 6.51 करोड़ लोगों को मिला रोजगार
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि महिला पुलिस अधिकारियों के 90 प्रतिशत आरक्षित पद रिक्त हैं और उन्हें भरने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास किया जाए.
(पीटीआई-भाषा)