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एल्गार परिषद मामला: हनी बाबू, तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में डीयू के प्रोफेसर हनी बाबू और तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिका एनआईए कोर्ट ने खारिज कर दी है.

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जमानत याचिका खारिज
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Published : Feb 14, 2022, 9:12 PM IST

मुंबई : मुंबई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने सोमवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू (Delhi University professor Hany Babu) और तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी.

विशेष न्यायाधीश डी.ई. कोठालीकर ने बाबू और सह-आरोपी सागर गोरखे, रमेश और ज्योति जगताप द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. मामले में तीनों सह-आरोपी कबीर कला मंच के सदस्य हैं. अदालत के विस्तृत आदेश का इंतजार है.

बाबू को 28 जुलाई, 2020 को दिल्ली में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. बाकी तीनों आरोपियों को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में हैं.

पढ़ें-एल्गार परिषद : वरवर राव को आत्मसमर्पण के लिए 28 फरवरी तक का समय दिया गया

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित 'एल्गार परिषद' सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि इसके चलते कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा हुई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : मुंबई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने सोमवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू (Delhi University professor Hany Babu) और तीन अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी.

विशेष न्यायाधीश डी.ई. कोठालीकर ने बाबू और सह-आरोपी सागर गोरखे, रमेश और ज्योति जगताप द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया. मामले में तीनों सह-आरोपी कबीर कला मंच के सदस्य हैं. अदालत के विस्तृत आदेश का इंतजार है.

बाबू को 28 जुलाई, 2020 को दिल्ली में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं. बाकी तीनों आरोपियों को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में हैं.

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यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित 'एल्गार परिषद' सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि इसके चलते कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास अगले दिन हिंसा हुई थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था.

(पीटीआई-भाषा)

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