रायपुर: चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान किया था. इसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम राज्य शामिल हैं. इन पांचों राज्यों में 18 से 19 साल के कुल वोटर्स की संख्या 60.2 लाख है. जिसमें छत्तीसगढ़ में इस वर्ग के युवा वोटर्स की संख्या 7 लाख के करीब है. 18 से 19 साल के युवा वोटर्स में एमपी में 22.36 लाख मतदाता हैं. राजस्थान में 22.04 लाख मतदाता हैं. तेलंगाना में 8.11 लाख मतदाता हैं. छत्तीसगढ़ में 7.23 लाख मतदाता हैं. मिजोरम में 50,611 पहली बार वोटर्स हैं. 5 राज्यों में पहली बार मतदान करने वाले 18 से 19 साल के कुल मतदाताओं की संख्या 60.2 लाख है.
छत्तीसगढ़ में यंगिस्तानी वोटर्स पर नजरें: छत्तीसगढ़ में इस बार यूथ वोटर्स और फर्स्ट टाइम वोटर्स भाग्य विधाता के तौर पर उभर सकते हैं. राज्य के कुल मतदाताओं में करीब 7 लाख से अधिक वोटर्स 18 से 19 साल के बीच हैं. जबकि 18 से 22 साल के बीच 18.68 लाख वोटर्स हैं. राज्य चुनाव आयोग की तरफ से ये आंकड़े जारी किए गए हैं. जिसके आधार पर यंगिस्तानी वोट बैंक एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरा है.
छत्तीसगढ़ में फर्स्ट टाइम वोटर्स मतदान को लेकर खुश: छत्तीसगढ़ में फर्स्ट टाइम वोटर्स से ईटीवी भारत ने बात की है. वह पहली बार मतदान करने को लेकर काफी खुश नजर आ रहे हैं. वह वोटिंग की प्रक्रिया से वाकिफ होना चाहते हैं. इस बात को लेकर भी पहली बार मतदान करने वाले मतदाता काफी खुश हैं. इसके अलावा मतदाताओं ने उम्मीदवारों पर भी अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि ऐसा हो. जो सभी वर्गों का ख्याल रखे. क्षेत्र का विकास कर सके.
राजनीतिक दल कैसे फर्स्ट टाइम वोटर्स को लुभा रहे: राजनीतिक दल छत्तीसगढ़ में फर्स्ट टाइम वोटर्स को लेकर क्या रणनीति अपना रहे हैं. इस बारे में ईटीवी भारत ने राजनीतिक दलों से संपर्क साधा तो उनकी रणनीति को लेकर कई खुलासे हुए. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कहा कि "कांग्रेस सरकार की खूबियों की बात यूथ से कर रही है. युवा वर्ग के लिए किए गए कार्यों के बारे में उन्हें बता रही है. युवा संवाद कार्यक्रम का जिक्र कर रही है. इसके अलावा शिक्षा, रोजगार, बेरोजगारी भत्ता और छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन की बात कर रही है".
"पीएससी घोटाला ,भ्रष्टाचार, नियमितीकरण का न होना, रोजगार की समस्या, उचित शिक्षा का अभाव सहित अन्य मामलों को लेकर भाजपा फर्स्ट टाइम वोटिंग के बीच जा रही है. रोजगार देने में यह सरकार नाकाम रही है. नियमितीकरण नहीं किया गया है. बेरोजगारी भत्ता भी सभी को नहीं दिया गया है. प्रदेश का युवा भत्ते से ज्यादा रोजगार चाहता है": गौरीशंकर श्रीवास, प्रवक्ता, बीजेपी
फर्स्ट टाइम वोटर्स का चुनाव में कितना होगा असर: छत्तीसगढ़ चुनाव में फर्स्ट टाइम वोटर्स का कितना असर होगा. इस सवाल पर जब राजनीतिक जानकारों से बात की गई तो कई बातें सामने आई. युवा फैक्टर चुनाव में सबसे ज्यादा वोट करने वाला वर्ग होता है. वह चुनाव प्रक्रिया में तेजी से भाग लेता है. इसलिए इलेक्शन में इनकी सहभागिता होने से बहुत फर्क पड़ता है. फर्स्ट टाइम वोटर्स वोटिंग को मिस नहीं करना चाहते हैं. उनके अंदर मतदान को लेकर गजब का आकर्षण होता है. इसलिए यह वर्ग एक निर्णायक भूमिका चुनाव में निभाता है.
राजनीतिक विश्लेषक दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा कि "खुशी से अधिकांश फर्स्ट टाइम वोटर मतदान करने जाते हैं. वह चुनाव के सबसे बड़े फैक्टर शिक्षा, बेरोजगारी और रोजगार पर वोट करते हैं. इसके अलावा तीसरा मुद्दा भ्रष्टाचार का है. नागरिकों को क्या सुविधाएं दी गई है. इसका लेखा जोखा भी युवा वर्ग होता है. ऐसे में यह वर्ग लगातार इन आधार पर वोटिंग करता है"
वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है कि" छत्तीसगढ़ में इस बार युवा वोटरों की संख्या काफी है. राज्य में हर साल नए वोटर्स में युवा वोटरों की संख्या 10 से 12 फीसदी तक बढ़ती है. युवा वर्ग पर राजनीतिक दलों की सीधी नजर रहती है. यही वजह है कि यूथ फैक्टर को कोई भी राजनीतिक दल इग्नोर नहीं करता. हाल के दिनों में चुनाव में यूथ के मुद्दे जैसे पीएससी स्कैम, रोजगार, बेरोजगारी और छत्तीसगढ़ियावाद की एंट्री हुई है. यह युवाओं को प्रभावित भी कर रहा है"
लोकतंत्र में कहा जाता है कि वोटर्स भाग्य विधाता होते हैं. उनका आशीर्वाद जिस पार्टी को मिल जाए. उसकी सरकार बन जाती है. सभी मतदाताओं में से युवा वर्ग वाले वोटरों में उर्जा ज्यादा होती है. चुनाव प्रक्रिया में वह बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. यही वजह है कि यंगिस्तानी मतदाताओं से राजनीतिक दल सीधा संपर्क हमेशा रखते हैं. ताकि इस वर्ग की उर्जा से उनकी पार्टी को राजनैतिक ऊर्जा मिलती रहे.