नई दिल्ली: रिमोट ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. लगभग सर्वसम्मति से, रिमोट ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने पर (पार्टियों द्वारा) असहमति जताई गई थी. वे एक प्रदर्शन देना चाहते थे, लेकिन वह भी ठुकरा दिया गया. इसे लेकर देश में संदेह है. ये बातें एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर बैठक के बाद कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहीं.
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहले वे कहते थे कि यह एक स्टैंडअलोन मशीन है, लेकिन अब वे स्वीकार करते हैं कि यह एक स्टैंडअलोन मशीन नहीं है, क्योंकि उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह इंटरनेट के माध्यम से डाला जाता है. वे कहते थे कि इसमें एक बार प्रोग्राम करने योग्य चिप है. लेकिन अब वे स्वीकार करते हैं कि इसमें कई प्रोग्रामेबल चिप हैं. यहां मौजूद सभी राजनीतिक दल इस बात से सहमत हैं कि हमें चुनाव आयोग से यह पूछने की जरूरत है और हमारे मन से संदेह दूर किया जाना चाहिए.
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई
आपको बता दें कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता की चर्चा के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने साझा हित और ईवीएम के प्रभाव से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए गुरुवार को विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं को यहां आमंत्रित किया था. पवार ने माना है कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के हित में, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के सटीक होने की आवश्यकता है और उसके कथित दुरुपयोग से संबंधित किसी भी संदेह को मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा दूर किया जाना चाहिए.
पवार ने विपक्षी नेताओं को लिखे अपने पत्र में कहा कि विशेषज्ञों ने कहा है कि चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है और 'हम लोकतंत्र को अनैतिक तत्वों द्वारा बंधक बनने नहीं दे सकते. इसलिए, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के हित में, हमें एकसाथ बैठना चाहिए और प्रख्यात आईटी पेशेवरों और क्रिप्टोग्राफर द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को सुनना चाहिए. पवार के कद को देखते हुए कई विपक्षी दलों के नेताओं ने इस बैठक में भाग लिया.
यह बैठक ऐसे समय में हुई, जब भाजपा के साथ मुकाबले के लिए विपक्षी दलों में एकता के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने हाल के दिनों में इस दिशा में कुछ प्रयास किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसके बिना कोई विपक्षी गठबंधन संभव नहीं हो सकता, क्योंकि वह राष्ट्रव्यापी दल है.
(पीटीआई-भाषा)