नई दिल्ली : वैसे भगवान गणेश के कई नाम हैं. उनमे से उनका एक नाम ‘एकदंत’ भी है. भगवान गणेश के धड़ पर हाथी का शीश स्थापित होने के कारण उनके दो हाथी के दांत होने चाहिए, लेकिन भगवान गणेश के पास आम हाथियों की तरह दो दांत नहीं दिखते हैं. उनकी हर तस्वीर व मूर्ति में केवल एक लंबा दांत दिखता है. दूसरा दांत टूटा हुए दिखायी देता है. इसीलिए उन्हें एकदंत कहा जाता है.
बताया जाता है कि बाल्यकाल में उनके पास दोनों दांत थे. बाद में भगवान गणेश का एक दांत टूट गया. इस एक दांत के टूटने व खोने से संबंधित कई कथाएं मिलती हैं. इनमें से एक कथा भगवान परशुराम से, दूसरी कथा वेदव्यास व महाभारत से, तीसरी कथा एक असुर से और चौथी कथा उनके बड़े भाई कार्तिकेय से जुड़ी हुयी है.
आज ईटीवी भारत Ganesh Chaturthi 2022 के अवसर पर आपको इन कथाओं को संक्षिप्त में बताने की कोशिश करेगा, जिससे भगवान गणेश के एकदंत होने की कथा जुड़ी है. ...
परशुराम जी जुड़ी पहली कथा (Ganesh and Parashuram War)
भगवान गणेश के एकदंत होने की सर्वाधिक प्रचलित कथा भगवान परशुराम और गणेश युद्ध संबंधित है. भगवान परशुराम भगवान विष्णु के ऐसे अवतार माने जाते हैं, जो स्वभाव से बेहद उग्र थे. परशुराम भगवान शिव को अपना गुरु मानते थे. उन्हें भगवान शिव के द्वारा आशीर्वाद स्वरुप दिए गए फरसे के कारण उन्हें परशुराम कहा जाता था, जिसकी वजह से उनका नाम परशुराम पड़ा.
इस कथा के अनुसार बताया जाता है कि एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने पहुंचे तो उन्हें द्वार पर ही भगवान गणेश मिले. भगवान गणेश ने परशुराम को द्वार पर ही रोकते हुए अंदर जाने से मना कर दिया. भगवान परशुराम द्वारा बार-बार आग्रह करने के बावजूद भी जब भगवान गणेश ने उन्हें भगवान शिव से नहीं मिलने दिया तो परशुराम क्रोधित हो उठे और उन्होंने गणेश जी को युद्ध की चुनौती देते हुए ललकार दिया. भगवान गणेश ने परशुराम जी की इस चुनौती को स्वीकार किया और परशुराम जी से युद्ध करने लगे. इसी युद्ध में भगवान परशुराम ने भगवान गणेश पर फरसा चला दिया, जो भगवान गणेश की दांत पर लगा और उसी के कारण उनका एक दांत टूट गया और वे एकदंत हो गए.
महाभारत से जुड़ी दूसरी कथा (Ganesh Wrote Mahabharat)
भगवान गणेश के एकदंत होने की दूसरी कथा महाभारत के प्रसंग से जुड़ी बतायी जाती है. इस कथा के अनुसार जब वेदव्यास ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को आमंत्रित किया और मदद मांगी तो गणेश जी ने उनके सामने एक शर्त रखी. जब तक वह बोलते रहेंगे तब तक वह कथा लिखते रहेंगे, जैसे ही वेदव्यास बोलना बंद करेंगे, भगवान गणेश उसी समय महाभारत लिखना बंद कर देंगे और चले जाएंगे. वेदव्यास ने गणेश जी की यह बात मान ली. तभी महाभारत लिखने के लिए गणेश जी ने तब अपना एक दांत तोड़ कर उसकी कलम बनाई थी और उसी से पूरा महाभारत लिखा गया था.
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असुर से जुड़ी तीसरी कथा
भगवान गणेश के एकदंत होने की तीसरी कथा के अनुसार गजमुखासुर से गणेश का युद्ध हुआ था. कहते हैं कि गजमुखासुर नामक एक असुर ने यह आशीर्वाद प्राप्त कर लिया था कि वह किसी भी अस्त्र या शस्त्र से मारा नहीं जा सकेगा. इसकी वजह से गजमुखासुर लगभग अमर हो गया. इसकी वजह से वह निडर हो गया और उसने देवताओं और मनुष्यों को परेशान करना शुरू कर दिया. तब मनुष्यों और देवताओं को बचाने के लिए भगवान गणेश ने अपने ही दांत से गजमुखासुर का वध किया था. इस वजह से उन्हें अपना एक दांत गंवाना पड़ा था और वह एकदंत बन गए थे.
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भाई कार्तिकेय से जुड़ी कथा (Ganesh Kartikeya Fight )
भविष्य पुराण की कथा के अनुसार गणेश जी का दांत किसी और ने नहीं, बल्कि भाई कार्तिकेय की वजह से टूटा था. गणेश जी का दांत टूटने की कथा के बारे में बताया जाता है कि बचपन में गणेश जी बहुत शैतानी किया करते थे, जबकि उनके बड़े भाई कार्तिकेय काफी सरल स्वभाव के थे. दोनों भाईयों के विपरीत स्वभाव के चलते शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे. कहा जाता है कि गणेश जी कार्तिकेय को बहुत अधिक परेशान किया करते थे. ऐसे ही एक झगड़े में कार्तिकेय ने भगवान गणेश को सबक सिखाने का निश्चय किया और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी, जिससे उनका एक दांत टूट गया और तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाने लगे.
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