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शिक्षण संघों ने मिश्रित शिक्षण पद्धति के खतरों के प्रति यूजीसी को आगाह किया - अखिल बंगाल विश्वविद्यालय अध्यापक संघ

पश्चिम बंगाल के यादवपुर विश्वविद्यालय के दो शिक्षक संघों ने UGC को मिश्रित शिक्षण पद्धति के खतरों के प्रति आगाह किया है. एबीयूटीए को लगता है कि मिश्रित शिक्षा सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालय व्यवस्था को बर्बाद कर देगी.

UGC को शिक्षण संघों ने किया आगाह
UGC को शिक्षण संघों ने किया आगाह
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Published : Jun 7, 2021, 10:46 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल (West Bengal) के यादवपुर विश्वविद्यालय (Yadavpur University) के दो शिक्षक संघों (Teachers Association) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission-UGC) से कहा है कि शिक्षण व सीखने की प्रक्रिया को और नवोन्मेषी एवं समावेशी (innovative and inclusive) बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों (digital medias) का उपयोग समय की जरूरत है. सरकार द्वारा आवश्यक भौतिक बुनियादी ढांचे (physical infrastructure) का विकास किया जाना चाहिए.

नेटवर्क कनेक्टिविटी अहम समस्या

यादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (Jadavpur University Teachers Association-JUTA) ने UGC के मिश्रित शिक्षा (कक्षा में परंपरागत पढ़ाई के साथ ही डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया माध्यमों से होने वाली पढ़ाई) पद्धति परिकल्पना नोट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अधिकतर छात्रों के पास मानक डिजिटल उपकरण के साथ उच्च-गति इंटरनेट की सुविधा नहीं है, जो शिक्षण संसाधनों तक हर वक्त पहुंच सुलभ करने के लिये जरूरी हैं.

देश में 60 प्रतिशत कॉलेजों और 40 प्रतिशत विश्वविद्यालयों की भौगोलिक स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में है जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी अहम समस्या है.

छात्रों के बीच डिजिटल विभाजन

संघ के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय (Parth Pratim Roy) ने कहा कि इसके अलावा छात्रों के बीच डिजिटल विभाजन लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र और आय में स्पष्ट रूप से नजर आता है.

एक अन्य शिक्षक संघ 'अखिल बंगाल विश्वविद्यालय अध्यापक संघ' (All Bengal University Teachers Association-ABUTA) ने कहा कि मिश्रित शिक्षण पद्धति के बारे में शिक्षक संघों से विचार जानने का कदम कुछ और नहीं बल्कि लोगों को गुमराह करने का एक प्रयास है. क्योंकि, यूजीसी ने पहले ही नियम निर्धारित कर लिये हैं और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से 40 प्रतिशत शिक्षण ऑनलाइन माध्यम से कराने को कहा है.

नई शिक्षा नीति के मसौदे का विरोध

यादवपुर विश्वविद्यालय में एबीयूटीए के संयोजक गौतम मैती (Gautam Maity) ने कहा कि हमनें नई शिक्षा नीति के मसौदे के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था लेकिन यूजीसी ने इसकी अनदेखी की.

उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि मिश्रित शिक्षा सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालय व्यवस्था को बर्बाद कर देगी और कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा संचालित निजी विश्वविद्यालयों की मदद करेगी.

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने यूजीसी को रविवार को पत्र भेजकर अपने फैसले से अवगत करा दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : पश्चिम बंगाल (West Bengal) के यादवपुर विश्वविद्यालय (Yadavpur University) के दो शिक्षक संघों (Teachers Association) ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission-UGC) से कहा है कि शिक्षण व सीखने की प्रक्रिया को और नवोन्मेषी एवं समावेशी (innovative and inclusive) बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों (digital medias) का उपयोग समय की जरूरत है. सरकार द्वारा आवश्यक भौतिक बुनियादी ढांचे (physical infrastructure) का विकास किया जाना चाहिए.

नेटवर्क कनेक्टिविटी अहम समस्या

यादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (Jadavpur University Teachers Association-JUTA) ने UGC के मिश्रित शिक्षा (कक्षा में परंपरागत पढ़ाई के साथ ही डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया माध्यमों से होने वाली पढ़ाई) पद्धति परिकल्पना नोट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अधिकतर छात्रों के पास मानक डिजिटल उपकरण के साथ उच्च-गति इंटरनेट की सुविधा नहीं है, जो शिक्षण संसाधनों तक हर वक्त पहुंच सुलभ करने के लिये जरूरी हैं.

देश में 60 प्रतिशत कॉलेजों और 40 प्रतिशत विश्वविद्यालयों की भौगोलिक स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में है जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी अहम समस्या है.

छात्रों के बीच डिजिटल विभाजन

संघ के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय (Parth Pratim Roy) ने कहा कि इसके अलावा छात्रों के बीच डिजिटल विभाजन लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र और आय में स्पष्ट रूप से नजर आता है.

एक अन्य शिक्षक संघ 'अखिल बंगाल विश्वविद्यालय अध्यापक संघ' (All Bengal University Teachers Association-ABUTA) ने कहा कि मिश्रित शिक्षण पद्धति के बारे में शिक्षक संघों से विचार जानने का कदम कुछ और नहीं बल्कि लोगों को गुमराह करने का एक प्रयास है. क्योंकि, यूजीसी ने पहले ही नियम निर्धारित कर लिये हैं और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से 40 प्रतिशत शिक्षण ऑनलाइन माध्यम से कराने को कहा है.

नई शिक्षा नीति के मसौदे का विरोध

यादवपुर विश्वविद्यालय में एबीयूटीए के संयोजक गौतम मैती (Gautam Maity) ने कहा कि हमनें नई शिक्षा नीति के मसौदे के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था लेकिन यूजीसी ने इसकी अनदेखी की.

उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि मिश्रित शिक्षा सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालय व्यवस्था को बर्बाद कर देगी और कॉर्पोरेट सेक्टर द्वारा संचालित निजी विश्वविद्यालयों की मदद करेगी.

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने यूजीसी को रविवार को पत्र भेजकर अपने फैसले से अवगत करा दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

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