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गजब : इस गांव की पाठशाला में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक हो रहीं साक्षर

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Published : Feb 4, 2021, 10:51 PM IST

उत्तरकाशी के लोन्थरु और सिरोर गांव में चौपाल बनीं पाठशाल में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक सभी महिलाएं साक्षर हो रहीं हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उत्तरकाशी डीएम मयूर दीक्षित ने कहा, इस पाठशाला को लेकर बुजुर्ग महिलाओं में काफी उत्साह है.

uttarkashi
उत्तराखंड

उत्तरकाशी : ये कहानी है उत्तरकाशी जिले के सीमांत विकासखंड भटवाड़ी के लोन्थरु और सिरोर गांव की. एक तरफ शिक्षा के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोग किताबी ज्ञान पाने के लिए मोहताज हैं. ऐसे लोगों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम चौपाल कर रही है.

विकासखंड भटवाड़ी के 84 गांव में चौपालों पर अलग ही माहौल देखने को मिलता है. चौपाल और स्थानीय प्रशासन की पहल से अंगूठा लगाने वाली महिलाएं अब शिक्षित हो रहीं हैं. पहाड़ में पहाड़ जैसे हौसलों के साथ जीवन जीने वाली महिलाएं और बुजुर्ग चौपाल में बड़े उत्साह के साथ कॉपी-पेंसिल लेकर जाती हैं. इस क्लास में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक साक्षर हो रहीं हैं.

गांव की चौपाल बनी स्कूल.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में लोंथरु और सिरोर की बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस उम्र में शिक्षा लेने में किसी प्रकार की कोई हिचक नहीं है. बुजुर्ग महिलाओं ने जिला प्रशासन की पहल का स्वागत करते हुए कहा, पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उन्हें सही समय पर शिक्षा हासिल नहीं हुई. ऐसे में इस उम्र में सभी महिलाएं नए जोश और जुनून के साथ पढ़ाई कर रहीं हैं, ताकि कम से कम हस्ताक्षर करना तो सभी सीख जाएं. गांव की बुजुर्ग विजरा देवी ने कहा कि चौपाल के माध्यम से शिक्षित होने एक सुखद अनुभव है, अगर गांव में कोई आएगा तो ऐसे में वे खुले मन से लोगों को बातचीत कर सकेंगी.

पढ़ें: महाराष्ट्र : स्कूल से निकाले गए एचआईवी पॉजिटिव छात्र

जिला प्रशासन के मुताबिक, भटवाड़ी विकासखंड में 3115 निरक्षर हैं, जिनके लिए मॉडल साक्षर विकासखंड योजना शुरू की गई है. डीएम मयूर दीक्षित की तरफ से इन महिलाओं की पढ़ाई के लिए स्टेशनरी उपलब्ध करवाई जा रही है. साथ ही आखर ज्ञान के एक बुकलेट भी तैयार की गई है.

ईटीवी भारत से बातचीत में उत्तरकाशी डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि इस पाठशाला को लेकर बुजुर्ग महिलाओं में काफी उत्साह दिख रहा है. हालांकि, अभी पुरुष कम हैं, लेकिन प्रयास जारी है कि सभी निरक्षर लोगों को साक्षर बनाया जाए और इसके लिए जून 2021 तक शिक्षा विभाग को अभियान पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार, केरल के बाद दिल्ली 88.7 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ दूसरे स्थान पर है. उत्तराखंड 87.6 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है.

उत्तरकाशी : ये कहानी है उत्तरकाशी जिले के सीमांत विकासखंड भटवाड़ी के लोन्थरु और सिरोर गांव की. एक तरफ शिक्षा के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोग किताबी ज्ञान पाने के लिए मोहताज हैं. ऐसे लोगों के बीच शिक्षा की अलख जगाने का काम चौपाल कर रही है.

विकासखंड भटवाड़ी के 84 गांव में चौपालों पर अलग ही माहौल देखने को मिलता है. चौपाल और स्थानीय प्रशासन की पहल से अंगूठा लगाने वाली महिलाएं अब शिक्षित हो रहीं हैं. पहाड़ में पहाड़ जैसे हौसलों के साथ जीवन जीने वाली महिलाएं और बुजुर्ग चौपाल में बड़े उत्साह के साथ कॉपी-पेंसिल लेकर जाती हैं. इस क्लास में दादी से लेकर, बुआ, मामी और नानी तक साक्षर हो रहीं हैं.

गांव की चौपाल बनी स्कूल.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में लोंथरु और सिरोर की बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस उम्र में शिक्षा लेने में किसी प्रकार की कोई हिचक नहीं है. बुजुर्ग महिलाओं ने जिला प्रशासन की पहल का स्वागत करते हुए कहा, पारिवारिक परिस्थितियों के चलते उन्हें सही समय पर शिक्षा हासिल नहीं हुई. ऐसे में इस उम्र में सभी महिलाएं नए जोश और जुनून के साथ पढ़ाई कर रहीं हैं, ताकि कम से कम हस्ताक्षर करना तो सभी सीख जाएं. गांव की बुजुर्ग विजरा देवी ने कहा कि चौपाल के माध्यम से शिक्षित होने एक सुखद अनुभव है, अगर गांव में कोई आएगा तो ऐसे में वे खुले मन से लोगों को बातचीत कर सकेंगी.

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जिला प्रशासन के मुताबिक, भटवाड़ी विकासखंड में 3115 निरक्षर हैं, जिनके लिए मॉडल साक्षर विकासखंड योजना शुरू की गई है. डीएम मयूर दीक्षित की तरफ से इन महिलाओं की पढ़ाई के लिए स्टेशनरी उपलब्ध करवाई जा रही है. साथ ही आखर ज्ञान के एक बुकलेट भी तैयार की गई है.

ईटीवी भारत से बातचीत में उत्तरकाशी डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि इस पाठशाला को लेकर बुजुर्ग महिलाओं में काफी उत्साह दिख रहा है. हालांकि, अभी पुरुष कम हैं, लेकिन प्रयास जारी है कि सभी निरक्षर लोगों को साक्षर बनाया जाए और इसके लिए जून 2021 तक शिक्षा विभाग को अभियान पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार, केरल के बाद दिल्ली 88.7 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ दूसरे स्थान पर है. उत्तराखंड 87.6 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है.

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