नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पत्रकार इरफान मेहराज की गिरफ्तारी और मीडियाकर्मियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के “ बेतहाशा इस्तेमाल” पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार को गहरी चिंता व्यक्त की.
गिल्ड ने यहां जारी एक बयान में कहा, “कश्मीर में मीडिया की आजादी का दायरा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. पहले पत्रकार आसिफ सुल्तान, सज्जाद गुल और फहद शाह को भी गिरफ्तार किया गया था.” बयान में कहा गया है, “इरफान मेहराज की गिरफ्तारी बताती है कि कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा प्रशासन की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के कारण पत्रकारों को गिरफ्तार करने का चलन जारी है.” राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मेहराज को आतंकवाद के लिए वित्त पोषण मामले में गिरफ्तार किया था.
गिल्ड ने प्रशासन से लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों के उत्पीड़न को रोकने का आग्रह किया. बयान में कहा गया है कि मेहराज ने 2015 में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था और उन्होंने राजनीति और मानवाधिकारों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ बड़े पैमाने पर लिखा है. गिल्ड ने कहा कि मेहराज ने धारा 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर की स्थिति के बारे में कई प्रकाशनों के लिए लिखा है और वह ‘वंदे मैगजीन’ नामक एक ऑनलाइन पत्रिका भी चलाते हैं.
इरफान मेराज ने मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की JKCCS के साथ एक शोधकर्ता के रूप में भी काम किया है. इरफान के पिता मेराजुद्दीन बट ने कहा कि उनका बेटा पत्रकार है और किसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं है. कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इरफान की गिरफ्तारी की निंदा की है और उनकी रिहाई की मांग की है.
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(पीटीआई-भाषा)