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पूर्व बसपा MLC के खिलाफ ईडी की कार्रवाई, 74 करोड़ रुपये की जमीन कुर्क

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Published : Oct 29, 2021, 7:59 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने उत्तर प्रदेश के पूर्व बसपा एमएलसी (former Uttar Pradesh BSP MLC) मोहम्मद इकबाल (Mohammed Iqbal) और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देहरादून में 74 करोड़ रुपये की जमीन कुर्क की है.

ईडी
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नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने उत्तर प्रदेश के पूर्व बसपा एमएलसी (former Uttar Pradesh BSP MLC) मोहम्मद इकबाल (Mohammed Iqbal) और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देहरादून में 74 करोड़ रुपये की जमीन कुर्क की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

केंद्रीय जांच एजेंसी (central probe agency) के लखनऊ जोनल कार्यालय (Lucknow zonal office) ने अचल संपत्ति को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act ) के तहत एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया है. ईडी के संयुक्त निदेशक (लखनऊ) राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) ने इसकी पुष्टि की.

ईडी ने रेत-खनन और चीनी मिलों की बिक्री को लेकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक पूर्व एमएलसी (former MLC from Saharanpur) इकबाल और अन्य के खिलाफ गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office) द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत और सीबीआई द्वारा अवैध रूप से दर्ज किए गए मामलों का संज्ञान लेने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में सीबीआई को एक जनहित याचिका (public interest litigation) दायर करने के बाद इकबाल के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व विधायक भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग (corruption and money laundering) में शामिल थे.

एजेंसी ने पहले कहा था कि चीनी मिलों को इकबाल और उनके परिवार के सदस्यों को वर्ष 2010-11 में विनिवेश / बिक्री प्रक्रिया के माध्यम से केवल 60.28 करोड़ रुपये की कीमत पर बेचा गया था. उस समय उत्तर प्रदेश में बसपा सत्ता में थी और सरकार का नेतृत्व पार्टी सुप्रीमो मायावती कर रही थी.

एजेंसी ने कहा था कि इन मिलों की बिक्री में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) द्वारा किए गए एक ऑडिट ने विनिवेश में प्रशासनिक और वित्तीय विसंगतियों और अनियमितताओं को उजागर किया था.

मनी लॉन्ड्रिंग के कथित तौर-तरीकों के बारे में बताते हुए, एजेंसी ने कहा, 'मोहम्मद इकबाल और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी (huge unaccounted cash deposits) जमा की गई.'

पढ़ें - मनी लाउंड्रिंग की आरोपी और शब्बीर शाह की पत्नी बिल्किस शाह को जमानत मिली

उसे 2014-15 के दौरान तुरंत ग्लोकल इंडिया इंडस्ट्रीज (Glocal India Industries) के खाते में स्थानांतरित कर दिया गया था और बाद में ग्लोकल इंडिया इंडस्ट्रीज के बैंक खातों में जमा धन को तुरंत स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके बाद ग्लोकल इंडिया इंडस्ट्रीज (Glocal India Industries) द्वारा बीएसएस एसोसिएट्स के शेयरों को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था.

इसमें आरोप लगाया गया कि इकबाल और अन्य न केवल कंपनी अधिनियम के तहत धोखाधड़ी के अनुसूचित अपराधों में शामिल थे, बल्कि उन्होंने देहरादून में भूमि के रूप में संपत्ति के लाभकारी स्वामित्व के लिए सावधानीपूर्वक डिजाइन किए गए फेड को बनाए रखने के लिए इस तरह का लेनदेन किया.

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने उत्तर प्रदेश के पूर्व बसपा एमएलसी (former Uttar Pradesh BSP MLC) मोहम्मद इकबाल (Mohammed Iqbal) और उनके परिवार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देहरादून में 74 करोड़ रुपये की जमीन कुर्क की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

केंद्रीय जांच एजेंसी (central probe agency) के लखनऊ जोनल कार्यालय (Lucknow zonal office) ने अचल संपत्ति को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act ) के तहत एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया है. ईडी के संयुक्त निदेशक (लखनऊ) राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) ने इसकी पुष्टि की.

ईडी ने रेत-खनन और चीनी मिलों की बिक्री को लेकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के एक पूर्व एमएलसी (former MLC from Saharanpur) इकबाल और अन्य के खिलाफ गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (Serious Fraud Investigation Office) द्वारा दायर एक आपराधिक शिकायत और सीबीआई द्वारा अवैध रूप से दर्ज किए गए मामलों का संज्ञान लेने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में सीबीआई को एक जनहित याचिका (public interest litigation) दायर करने के बाद इकबाल के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व विधायक भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग (corruption and money laundering) में शामिल थे.

एजेंसी ने पहले कहा था कि चीनी मिलों को इकबाल और उनके परिवार के सदस्यों को वर्ष 2010-11 में विनिवेश / बिक्री प्रक्रिया के माध्यम से केवल 60.28 करोड़ रुपये की कीमत पर बेचा गया था. उस समय उत्तर प्रदेश में बसपा सत्ता में थी और सरकार का नेतृत्व पार्टी सुप्रीमो मायावती कर रही थी.

एजेंसी ने कहा था कि इन मिलों की बिक्री में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General) द्वारा किए गए एक ऑडिट ने विनिवेश में प्रशासनिक और वित्तीय विसंगतियों और अनियमितताओं को उजागर किया था.

मनी लॉन्ड्रिंग के कथित तौर-तरीकों के बारे में बताते हुए, एजेंसी ने कहा, 'मोहम्मद इकबाल और उनके परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी (huge unaccounted cash deposits) जमा की गई.'

पढ़ें - मनी लाउंड्रिंग की आरोपी और शब्बीर शाह की पत्नी बिल्किस शाह को जमानत मिली

उसे 2014-15 के दौरान तुरंत ग्लोकल इंडिया इंडस्ट्रीज (Glocal India Industries) के खाते में स्थानांतरित कर दिया गया था और बाद में ग्लोकल इंडिया इंडस्ट्रीज के बैंक खातों में जमा धन को तुरंत स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके बाद ग्लोकल इंडिया इंडस्ट्रीज (Glocal India Industries) द्वारा बीएसएस एसोसिएट्स के शेयरों को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था.

इसमें आरोप लगाया गया कि इकबाल और अन्य न केवल कंपनी अधिनियम के तहत धोखाधड़ी के अनुसूचित अपराधों में शामिल थे, बल्कि उन्होंने देहरादून में भूमि के रूप में संपत्ति के लाभकारी स्वामित्व के लिए सावधानीपूर्वक डिजाइन किए गए फेड को बनाए रखने के लिए इस तरह का लेनदेन किया.

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