नई दिल्ली : भारतीय कृषि ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव, खेती की बढ़ती लागत आदि जैसी कुछ चुनौतियों की पृष्ठभूमि में इस क्षेत्र को नई दिशा देने की जरूरत है. संसद में मंगलवार को पेश 2022-23 की आर्थिक समीक्षा (Economic Survey 2023) में यह कहा गया है. अन्य चुनौतियों में छोटी जोत भूमिधारिता, कृषि मशीनीकरण की दिशा में कम प्रगति, कम उत्पादकता, छुपी हुई बेरोजगारी, बढ़ती लागत आदि हैं.
इसमें कहा गया है, 'हालांकि भारतीय कृषि ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन इस क्षेत्र को कुछ चुनौतियों को देखते हुए इसे फिर से एक नई दिशा देने की आवश्यकता है...'
समीक्षा में कहा गया है कि देश में विकास और रोजगार के लिए कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन काफी महत्वपूर्ण है, ऐसे में ऋण वितरण के लिए एक किफायती, समय पर और समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से कृषि क्षेत्र (agriculture sector) में निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. यह ध्यान देने योग्य है कि 75 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण महिला श्रमिक, कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं. इसका तात्पर्य कृषि से संबंधित क्षेत्रों जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में महिलाओं के कौशल को बढ़ाने और रोजगार सृजित करने की आवश्यकता है.
समीक्षा में कहा गया है, 'यहां स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) वित्तीय समावेशन, आजीविका विविधीकरण और कौशल विकास के ठोस विकास परिणामों में ग्रामीण महिलाओं की क्षमता को बढ़ाने के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.'
समीक्षा के अनुसार, पिछले छह वर्षों के दौरान कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रही है. यह क्षेत्र वित्त वर्ष 2020-21 के 3.3 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान तीन प्रतिशत की दर से बढ़ा है. हाल के वर्षों में भारत भी तेजी से कृषि उत्पादों के शुद्ध निर्यातक देश के रूप में उभरा है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, कृषि निर्यात 50.2 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया.
समीक्षा में कहा गया है कि यह वृद्धि, आंशिक रूप से अच्छे मानसून वाले वर्षों तथा आंशिक रूप से कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों के कारण संभव हुई है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई कोष, और जैविक और प्राकृतिक खेती जैसी नीतियों ने किसानों को संसाधनों के अधिकतम उपयोग और खेती की लागत को कम करने में मदद की है. किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) के विस्तार ने किसानों को सशक्त बनाया है, उनके संसाधनों को बढ़ाया है, और उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाया है.
कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) ने विभिन्न कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण को सुगम बनाया है. किसान रेल, विशेष रूप से जल्दी खराब होने वाली कृषि-बागवानी वस्तुओं की आवाजाही करने की जरुरत को पूरा करती है. क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) ने बागवानी क्लस्टरों के लिए एकीकृत और बाजार आधारित विकास को बढ़ावा दिया है.
किसानों को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्टार्टअप पारिस्थिकी तंत्र बनाने के लिए भी सहायता प्रदान की जा रही है. समीक्षा में कहा गया है कि ये सभी उपाय कृषि उत्पादकता में वृद्धि को मदद करने और मध्यम अवधि में समग्र आर्थिक वृद्धि में इसके योगदान को बनाए रखने के लिए मकसद से किए गए हैं.
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(पीटीआई-भाषा)