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सभी राजनीतिक दल करें उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का प्रकाशन: चुनाव आयोग

उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के ऐसे विवरणों का प्रकाशन अनिवार्य है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में इस मामले के बारे में निर्देश दिया था. बता दें, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इस आदेश को लागू किया गया था.

criminal history of candidates
चुनाव आयोग ने दिया निर्देश
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Published : Jan 20, 2021, 10:10 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे सभी उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की डिटेल्स जारी करें.

चुनाव आयोग की जारी अधिसूचना के अनुसार उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को तीन मौकों पर अखबारों में और टेलीविजन पर आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण प्रकाशित करना होगा. ऐसे आपराधिक रिकॉर्डों का पहला प्रकाशन नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख के पहले चार दिनों के भीतर होना चाहिए.

दूसरा प्रकाशन नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख के पांच से आठ दिनों के भीतर होना चाहिए, जबकि तीसरा नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक होना चाहिए, जो मतदान के दो दिन पहले होता है. उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के ऐसे विवरणों का प्रकाशन अनिवार्य है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में इस मामले के बारे में निर्देश दिया था. बता दें, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इस आदेश को लागू किया गया था.

पढ़े: चुनाव आयोग के दौरे से ठीक पहले ममता सरकार ने की दो अहम नियुक्तियां

चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने हलफनामे में अपने आपराधिक रिकॉर्ड की घोषणा करनी होती है, लेकिन आम लोगों को इसका अवसर नहीं मिलता है. आयोग का मानना है कि सभी निर्वाचकों को उम्मीदवारों के विवरण के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए और इसलिए इसे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी प्रकाशित किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे सभी उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की डिटेल्स जारी करें.

चुनाव आयोग की जारी अधिसूचना के अनुसार उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को तीन मौकों पर अखबारों में और टेलीविजन पर आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण प्रकाशित करना होगा. ऐसे आपराधिक रिकॉर्डों का पहला प्रकाशन नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख के पहले चार दिनों के भीतर होना चाहिए.

दूसरा प्रकाशन नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख के पांच से आठ दिनों के भीतर होना चाहिए, जबकि तीसरा नौवें दिन से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक होना चाहिए, जो मतदान के दो दिन पहले होता है. उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के ऐसे विवरणों का प्रकाशन अनिवार्य है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में इस मामले के बारे में निर्देश दिया था. बता दें, बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान इस आदेश को लागू किया गया था.

पढ़े: चुनाव आयोग के दौरे से ठीक पहले ममता सरकार ने की दो अहम नियुक्तियां

चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने हलफनामे में अपने आपराधिक रिकॉर्ड की घोषणा करनी होती है, लेकिन आम लोगों को इसका अवसर नहीं मिलता है. आयोग का मानना है कि सभी निर्वाचकों को उम्मीदवारों के विवरण के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए और इसलिए इसे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी प्रकाशित किया जाना चाहिए.

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