चेन्नई : तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक ने गुरुवार को कहा कि निर्वाचन आयोग ने महासचिव के तौर पर ई.के पलानीस्वामी (Edappadi K Palaniswami) की पदोन्नति को स्वीकार कर लिया है. आज ही मद्रास उच्च न्यायालय ने पार्टी के नेतृत्व और अन्य मुद्दों को लेकर पलानीस्वामी के विरोधी खेमे की याचिकाओं पर सुनवाई फिर शुरू की. पार्टी प्रवक्ता आर.एम. बाबू मुरुगवेल ने निर्वाचन आयोग की ओर से पलानीस्वामी को भेजा गया पत्र ट्वीट किया और कहा कि आयोग ने अन्नाद्रमुक के उपनियमों, महासचिव के चुनाव और नए पदाधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित संशोधन को स्वीकार कर लिया है.
मुरुगवेल के ट्विटर खाते पर साझा पत्र में आयोग ने पलानीस्वामी को बताया कि 'पार्टी के संशोधित नियमों एवं विनियमों और पदाधिकारियों में बदलाव को लेकर आपके संदर्भित पत्रों के माध्यम से भेजे संदेश को रिकॉर्ड पर ले लिया गया है जो न्यायालय के किसी अन्य आदेश/निर्देश पर निर्भर करेगा.' गुरुवार को ही मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने खुद को पार्टी से पिछले साल निष्कासित किए जाने और पलानीस्वामी की पदोन्नति के खिलाफ दाखिल ओ. पन्नीरसेल्वम की याचिका पर सुनवाई की.
पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी 28 मार्च को अन्नाद्रमुक के महासचिव चुने गए थे. इससे पहले ही मद्रास उच्च न्यायालय ने अपदस्थ पन्नीरसेल्वम और उनके सहयोगियों द्वारा 11 जुलाई, 2022 के पार्टी की महा परिषद के प्रस्तावों तथा महासचिव के चुनाव के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
इससे पहले अन्नाद्रमुक महासचिव ई. के. पलानीस्वामी ने अपनी पार्टी को अल्पसंख्यकों का सच्चा रक्षक बताते हुए रविवार को कहा था विचारधारा और गठबंधन के बीच अंतर करने का प्रयास करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उनका संगठन कभी भी अपने सिद्धांतों से विचलित नहीं होगा. पलानीस्वामी ने यहां पार्टी द्वारा आयोजित इफ्तार कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अन्नाद्रमुक ने अल्पसंख्यकों का सच्चे प्यार से समर्थन किया है. परोक्ष तौर पर भाजपा के साथ अपनी पार्टी के गठजोड़ की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, 'हमारी विचारधारा अलग है, गठबंधन अलग है.'
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(पीटीआई-भाषा)