जम्मू: जम्मू कश्मीर के डोडा जिले में शनिवार को भूकंप के दो हल्के झटके महसूस (Earthquake in Jammu Kashmir) किए गए. अधिकारियों ने बताया कि भूकंप के दोनों झटके सुबह में साढ़े चार घंटे के अंतराल में आए और इनकी तीव्रता क्रमश: 2.9 और 3.4 दर्ज की गई. अधिकारियों के मुताबिक, मंगलवार से लेकर अब तक जम्मू के डोडा, किश्तवाड़, कटरा (रियासी) और उधमपुर जिलों में कम तीव्रता के कुल 13 भूकंप आ चुके हैं.
उन्होंने बताया कि भूकंप से हालांकि जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है. अधिकारियों के अनुसार, तड़के 4.32 बजे आए पहले भूकंप का केंद्र भद्रवाह शहर से 26 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में 10 किलोमीटर की गहराई में स्थित था. उन्होंने बताया कि दूसरा भूकंप सुबह 9.06 बजे आया, जिसका केंद्र डोडा से पांच किलोमीटर दक्षिण-पू्र्व में पांच किलोमीटर की गहराई में स्थित था.
इस बीच, भूवैज्ञानिकों ने जम्मू कश्मीर में एक बड़े भूकंप की आशंका के प्रति आगाह किया है, क्योंकि यह हिमालयी क्षेत्र के कमजोर स्थान में आता है. जम्मू विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त प्रोफेसर व भूविज्ञानी एमए मलिक ने कहा, हिमालयी बेल्ट और एशियाई प्लेट 7 से 8 रिक्टर पैमाने तक के बड़े भूकंपों की चपेट में हैं. हमने पिछले 100 वर्षों में ऐसा भूकंप नहीं देखा है. इसलिए, एक बड़े भूकंप की पूरी संभावना है जो जम्मू कश्मीर को हिला सकता है क्योंकि यह एक संवेदनशील क्षेत्र है.'
बड़े भूकंप की संभावना के प्रति सचेत करते हुए उन्होंने कहा कि एक तरह से, छोटे झटके एक वरदान के रूप में होते हैं क्योंकि दबाव मुक्त हो जाता है, हालांकि यह बड़े झटके से पहले एक चेतावनी संकेत भी हो सकता है. मलिक ने कहा कि चूंकि जम्मू कश्मीर 4 से 5 के भूकंपीय क्षेत्रों में आता है, इसलिए भवन निर्माण के अनुशंसित कोड के अनुसार भवनों, पुलों, बांधों और संरचनाओं का निर्माण करते समय सतर्क रहने की आवश्यकता है जो भूकंप को झेल सकें.
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हालांकि, सरकारी संरचनाओं को छोड़कर आम तौर पर भूकंप प्रतिरोधी इमारतों के निर्माण की सिफारिशों का पालन नहीं किया जाता है. प्रोफेसर मलिक ने कहा, जल निकायों के पास अस्थिर और ढीली मिट्टी किसी भी संरचना के निर्माण के लिए असुरक्षित है. इसलिए लोगों को वहां बिल्डिंग या किसी भी तरह के स्ट्रक्चर के निर्माण से बचना चाहिए और बिल्डिंग कोड का पालन करना चाहिए.